याचियों का वकीलों से उठा भरोसा, खुद करेंगे पैरवी

बिलासपुर। राज्य लोकसेवा आयोग की कार्यप्रणाली के खिलाफ दायर एक याचिका सुनवाई के अंतिम दौर में वकील की लापरवाही से खारिज हो गई। इससे याचियों का वकीलों से ही भरोसा उठ गया। याचियों ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में इसी मुददे पर याचिका दाखिल की है, लेकिन विशेष यह है कि याची इस बार खुद इसकी पैरवी कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने याचिका सुनवाई के लिए मंजूर कर ली है। इसी 19 अगस्त को मामले की अंतिम सुनवाई होगी।
महत्वपूर्ण यह है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब एक ही मामले में तीन याची अदालत में अपनी दलीलें पेश करेंगे। अलग-अलग याचिका के जरिए याचियों ने पीएसपी 2003 की परीक्षा में स्केलिंग पद्घति, आरक्षण नियमों का सही ढंग से पालन नहीं करने समेत अन्य गंभीर आरोप लगाए हैं।
राज्य लोकसेवा आयोग द्वारा वर्ष 2003 में आयोजित परीक्षा और उसके बाद अपनाई गई प्रक्रिया को लेकर राजनांदगांव निवासी रविंद्र सिंह, चमन लाल सिन्हा व वर्षा डोंगरे ने वर्ष 2006 में हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाएं दायर की थीं। इनमें याचियों ने उत्तरपुस्तिकाओं की जांच के बाद आयोग द्वारा अपनाई गई स्केलिंग पद्घति पर आपत्ति जताने के साथ साक्षात्कार और चयन सूची में आरक्षण नियमों का पालन नहीं करने का मुददा उठाया था। इसमें कहा गया कि गलत स्केलिंग के कारण 19 अपात्र उम्मीदवारों की भी भर्ती कर ली गई। इंटरव्यू में शामिल करने के साथ ही नायब तहसीलदार, लेखापाल व अन्य पदों पर नौकरी भी दे दी गईं। याचिकाओं में आरक्षण नियम की आयोग द्वारा गलत व्याख्या करने और इसमें गड़बड़ी करने की भी शिकायत की गई। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने चयनित 147 अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया। वर्ष 2006 से लगातार इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही थी। एक वर्ष पहले बहुचर्चित याचिका में तब नया मोड़ आया, जब बार-बार नोटिस के बाद भी याचियों के वकील ने अदालत में पेश होकर उनका पक्ष नहीं रखा। इससे नाराज हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। लेकिन, याचियों को राहत देते हुए कोर्ट ने यह व्यवस्था भी दे दी कि याची चाहें तो दोबारा हाईकोर्ट में याचिका पेश कर सकते हैं।
बताते हैं कि हाईकोर्ट से मिली राहत के आधार पर ही अब तीनों याचियों ने अदालत में फिर से याचिकाएं दायर की हैं। हाईकोर्ट ने नए सिरे से सुनवाई के बजाय जहां से प्रकरण को खत्म किया गया था, वहीं से दोबारा फाइल खोली और सुनवाई प्रारंभ कर दी। एकलपीठ से जारी होने वाले नोटिसों का याची खुद खड़े होकर लिखित में जवाब पेश करते रहे।
बीते 8 वर्ष से चल रहे मामले की सुनवाई तकरीबन पूरी हो गई है। एकलपीठ ने अंतिम सुनवाई के लिए 19 अगस्त की तिथि तय कर दी है। हाईकोर्ट द्वारा अंतिम सुनवाई के लिए तिथि तय करने के बाद तीनों याची अब अपनी फाइल तैयार करने में लगे हैं। इसमें सूचना के अधिकार के तहत हासिल की गईं तमाम जानकारियों की फाइलिंग की जा रही है। जानकारी के अनुसार आरटीआइ के तहत स्केलिंग पद्घति में की गई गड़गड़ी के साथ ही राज्य शासन के निर्देश पर एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा की गई जांच रिपोर्ट की कॉपी भी याचियों फाइल में लगाई है।