अधिकारी सुस्त, सरपंच-सचिव मनमर्जी से निपटा रहे पंचायत के कार्य

स्वतंत्र समय, शहडोल

शासन ने ग्रामीण क्षेत्रों के चतुर्दिक विकास के लिए त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की थी, लेकिन इस व्यवस्था में भ्रष्टाचार का ऐसा रोग लगा कि व्यवस्था का पूरा पिंजर ही जर्जर हो गया। विकास की जगह अब केवल भ्रष्टाचार ही दिखाई पड़ रहा है। शासकीय प्रावधानों की धज्जियां ही उड़ाई जा रहीं हैं। जिले में कुल 391 ग्रामपचंायतें हैं। इनमें से अधिकांश में इस कदर भ्रष्टाचार फैला हुआ है कि पंचायतें मानेा सरपंच व सचिव की अंधेरनगरी ही बन गईं हैं। हैरानी की बात यह है कि संबंधित प्रशासनिक अफसर न तो कभी पंचायतों की मॉनीटरिंग करते न कभी मौका मुआयना करते हैं।

फर्जी वेण्डर संस्थाएं

ग्रामपंचायतों में होने वाले निर्माण कार्यों के लिए मटेरियल सप्लाई का काम करने वाली संस्थाएं प्राय: फर्जी रहतीं हैं। एक बार पंजीयन कराने के बाद जब शुल्क नहीं जमा होता तो सेलटेक्स विभाग द्वारा उसे निरस्त कर दिया जाता है। लेकिन उसी फ र्म के नाम पर भुगतान होता रहता है और मटेरियल सप्लाई चलती रहती है। अधिकांशत: ऐसी फ र्में सरपंच अथवा सचिव के रिश्तेदारों की होती हैं। ग्रामीण क्ष़ेत्रों में कितनी संस्थाएं कहां कार्यरत हैं उनकी संवैधानिक स्थिति क्या है, जनपद सीईओ कभी जानने का प्रयास नहीं करते हैं। क्योंकि इनके कमीशन की भी डौल बैठाई जाती है।  सचिवों द्वारा ग्रामपंचायत में होने वाले व्यय और भुगतान के आहरण के लिए बिलों के धुंधले प्रिंट लगाकर पैसा निकाल रहे हैं। बिलों में यह दिखता ही नहीं कि किस मद के लिए कितनी राशि निकाली गई है। ऐसे बिलों का औचित्य क्या है यह बात समझ के परे है। एक लम्बे समय से यह खेल चल रहा है लेकिन आज तक किसी अधिकारी ने बिलों में आपत्ति नहीं लगाई है। आपत्तिजनक होने के बावजूद सारा खेल मजे से चल रहा है।

मनरेगा में मशीन का उपयोग

प्रावधान है कि पंचायतेां में निर्माण कार्य मनरेगा अंतर्गत कराए जाएंगे ताकि मजदूरों को रोजगार प्राप्त हो सके। लेकिन सचिवों द्वारा अधिकांश कार्य मशीनों से करा लिए जाते हैं। हाल ही में संभाग मुख्यालय शहडोल से लगी ग्रामपंचायत गोरतरा में एक सीसी रोड के निर्माण के समय पटरी भराई के कार्य में रात के समय जेसीबी का उपयोग किया गया। जब पंचों को भनक लगी तो वे मौके पर पहुंच गए और उन्हेाने मशीन का विरोध करते हुए सीईओ और कलेक्टर से शिकायत की। लेकिन तत्काल में किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। बताते हैं कि मशीन तत्काल गायब करा दी गई।

मनमाने कार्य करा रहे

ग्रामपंचायतों में जितने भी कार्य हो रहे हैं वे केवल सरपंच और सचिव की इच्छानुसार हो रहे हैं। जहां चाहा सडक़ बनवा दी, जहां चाहा रपटा बनवा दिया, सभी सरकारी स्कूलों में बाउण्डी वाल बनाई जानी थी लेकिन दो चार स्कूलों को छोडक़र कहीं भी बाउण्डीवाल नहीं बनाई गई है। जबकि कई स्कूलों में निर्माण कार्य कराने के नाम पर रकम आहरित कर ली गई है। ग्रामीणों ने यद्यपि इसकी जानकारी जनपद सीईओ को दी लेकिन कार्रवाई होना तो दूर पूछताछ तक नहीं हुई। अफसरों ने मानो छूट दे रखी है।