अधूरी रिंग ‘रोड’ में ‘चंदन नगर’ का ‘रोड़ा’

स्वतंत्र समय, इंदौर

एक ओर शहर के बाहरी क्षेत्र में पश्चिम रिंग रोड को बनाने की तैयारियां तेजी से चल रही है तो शहर के बीच यानी चंदन नगर होकर एयरपोर्ट के बीच बनने वाला रिंग रोड 30 साल के लंबे अंतराल से कोशिशों के बाद भी अधूरा ही रहा है। इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा घोषित की गई स्कीम नंबर 156 में बनने वाला 100 फीट चौड़ा यह रोड 2006 में भूमिपूजन के बाद भी आबादी को हटा नहीं पाने के कारण पूरी नहीं हो पाई। आईडीए ने यहां के रहवासियों को नई स्कीम में प्लॉट तक आवंटित कर दिए थे। दो साल पहले इस स्कीम को बंद कर यह प्लॉट दूसरों को बेच दिए गए। इस रोड के बनने से सीधे एयरपोर्ट जाने का रास्ता सीधा और आसान हो जाएगा। अब शहर के नए कलेक्टर ने ज्वाइन करने के बाद चंदन नगर से एलिवेटेड रोड की संभावनाएं फिर से तलाशना शुरू की है। इससे एक बार फिर यहां से निकलने वाली रोड की कवायदें शुरू हो गई है। देखना है कि इस बार भी यह केवल कवायद रहती है या फिर मूर्त रूप ले पाती है।
मुंबई की तर्ज पर बढ़ते इंदौर शहर में ट्रैफिक की बड़ी समस्या को देखते हुए भविष्य की योजनाएं लगातार बनाई जा रही है। इसी क्रम में इंदौर विकास प्राधिकरण शहर के व्यस्त चौराहों पर फ्लायओवर्स का निर्माण करवा रहा है और उसके साथ ही अब लम्बे एलिवेटेड ब्रिज के निर्माण पर भी नजर है। कुछ साल पहले जवाहर मार्ग पर इस तरह के ब्रिज की योजना बनी लेकिन विरोध के कारण मामला खत्म हो गया। अब जवाहर मार्ग को वन-वे करने की प्रक्रिया शुरू की गई है तो फिर से एलिवेटेड ब्रिज बनाने पर ध्यान गया है। एबी रोड पर अभी इसी हफ्ते चार साल से लम्बित पड़े एलिवेटेड ब्रिज के निर्माण की मंजूरी दी गई, तो अब अधूरे पड़े पश्चिमी रिंग रोड को भी पूरा करने के लिए चंदन नगर से धार रोड को जोडऩे के लिए एलिवेटेड ब्रिज पर चर्चा शुरू हुई है। कलेक्टर आशीष सिंह ने निगम अधिकारियों के साथ मौका-मुआयना भी किया। उल्लेखनीय है कि प्राधिकरण ने कुछ साल पहले यहां एलिवेटेड ब्रिज की ना सिर्फ योजना बनाई, बल्कि 400 विस्थापितों को भूखंड भी बांट दिए, जो बाद में निरस्त कर टेंडर के जरिए बेच भी डाले। वहीं गत वर्ष यहां घोषित की गई योजना 156 को भी निरस्त करना पड़ा।

2006 में बनाई गई थी स्कीम

लगभग 16 साल पहले 2006 में यह स्कीम जोर-शोर से बनाई गई थी और इसका भूमिपूजन भी कर दिया गया। उस समय इस योजना का काफी विरोध भी हुआ लेकिन आईडीए इसे रोकने के लिए तैयार नहीं दिख रहा था। चंदन नगर की बस्ती के ऊपर से यह एलिवेटेड ब्रिज बनाया जाना था। इस प्लानिंग के लिए आईडीए ने कई सालों पहले स्कीम नंबर 156 घोषित की थी। जब लैंड पुलिंग एक्ट लागू किया गया तो नए नियमों के अंतर्गत पुरानी स्कीम्स को खत्म किया गया। मप्र ग्राम निवेश अधिनियम में हुए संशोधन के बाद छह माह के भीतर आइडीए ने नई स्कीम भी घोषित नहीं की, और न ही 10 प्रतिशत डेवलपमेंट किया। अधिनियम की संशोधित धारा 50(ख) में 25 साल पुरानी ऐसी योजनाओं को खत्म करने का प्रविधान है। इस कारण चंदन नगर स्कीम भी खत्म हो गई।

400 से ज्यादा को कर दिए प्लॉट अलॉट

मास्टर प्लान की 100 फीट रोड यहां प्रस्तावित है। 2006 में आईडीए ने पश्चिमी रिंग रोड को पूरा करने की सोची और 400 से अधिक लोगों को विस्थापित करने के लिए अपनी स्कीम नं. 136 में प्लॉट भी अलॉट कर दिए। लेकिन चंदन नगर के लोगों ने न तो समझाइश से और न ही सख्ती से समझाया जा सका। उधर लोगों ने प्लॉट भी अलॉट करा लिए। कुछ साल पहले आईडीए ने इन सभी प्लॉट्स ना सिर्फ कैंसल किया, बल्कि टेंडर के जरिए बेच भी दिए। एयरपोर्ट से योजना 71 तक के रिंग रोड में चंदन नगर के कारण ही चार किलोमीटर की सडक़ आज तक बन नहीं पाई है, जिससे पश्चिमी रिंग रोड अधूरा पड़ा है।

लगातार बढ़ रहा है दबाव

बड़े गणपति से यातायात का दबाव लगातार बढ़ता रहा है। अब चूंकि शहर में ओवरब्रिजों के साथ एलिवेटेड ब्रिज पर भी जोर दिया जा रहा है और जो लम्बित फाइलें हैं उन्हें फिर निकाला जा रहा है। एबी रोड के एलिवेटेड ब्रिज को अभी चार दिन पहले ही मंजूरी दी गई। इसी तरह कलेक्टर आशीष सिंह ने धार रोड से एयरपोर्ट रोड को जोडऩे के लिए प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के बारे में चंदन नगर चौराहा पर पहुंचकर मौका-मुआयना किया।

लालवानी के समय फिर बनी थी स्कीम

वर्तमान सांसद और उस समय आईडीए के चेयरमेन रहे शंकर लालवानी और तत्कालीन कलेक्टर पी. नरहरि के समय पश्चिमी रिंग रोड को चंदन नगर से एयरपोर्ट रोड तक बनाने के लिए आईडीए जमीन मालिकों को दो गुना मुआवजा देना तय किया था। इसके लिए प्रशासन, आईडीए, नगर निगम, वन विभाग और टीएंडसीपी के अधिकारियों की टीम बनाई गई, मौके का सर्वे और भौतिक सत्यापन कर रिपोर्ट तैयार कर सडक़ पर काम शुरू करेगी। इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा देने और बाधाएं हटाने का निर्णय लिया गया। लालवानी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस सडक़ के लिए राशि भी मांगी थी। बाद में तय हुआ कि इसके लिए अनुदान लिया जाए या सीएम इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड से राशि मांगी जाए। इसलिए सीएम इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड से सहायता दें। 198.40 करोड़ रुपए से बनने वाली 30 मीटर चौड़ी इस सडक़ के लिए पहले एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने का निर्णय लिया गया था।

कब क्या हुआ

  • चंदन नगर बस्ती की 13.641 हेक्टेयर जमीन पर पर वर्ष 1993 में स्कीम-126 घोषित की गई थी।
  • कलेक्टर कार्यालय से वर्ष 1999 में भू अर्जन अवार्ड घोषित किया गया, लेकिन आइडीए को सडक़ बनाने के लिए जमीन नहीं मिली।
  • 2006 में नए सिरे से चंदन नगर में स्कीम-156 घोषित की गई।
  • वर्ष 2006 में आईडीए का अमला सर्वे के लिए पहुंचा था तो रहवासियों ने विरोध किया और पथराव कर अफसरों को भगा दिया।
  • उसके बाद कोई प्रगति नहीं हुई और स्कीम नए नियम के तहत खत्म हो गई।
  • अब फिर से इस रोड के लिए कवायद शुरू हुई है।