अब ‘नाराज’ चुनावी ‘फूफाओं’ को मनाने की कोशिश

स्वतंत्र समय, इंदौर

प्रदेश की कुल 230 विधानसभा चुनावी सीट पर कांग्रेस ने अपनी स्थिति पूरी तरह साफ कर दी है। इन सीट पर बाद में आरंभ कर उसने पहले अपनी पारी खत्म कर ली है। उधर भाजपा भी जल्दी ही पूरी स्थिति साफ कर देगी। कांग्रेस अब सीट प्रत्याशी के रूप में दावेदार रहे अन्य नेताओं को मनाने में जुट गई है। इन नाराज फूफाओं के कारण चुनाव का परिणाम प्रभावित हो सकता है। उधर भाजपा पहले से ही यह कर रही है। बाकी सीट पर उम्मीदवार घोषित होने के बाद इन सीट पर भी विरोध से स्वर जरूर उठेंगे। इसके लिए पहले से ही तैयारी की जा रही है। कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में प्रत्याशी घोषित कर बाजी मार ली है, जबकि उसकी पहली लिस्ट ही काफी देर से आई थी। अब भाजपा द्वारा बचे हुए उम्मीदवारों की लिस्ट आने की तैयारी है। कांग्रेस द्वारा घोषित नामों के आधार ही वह अपने अंतिम नाम तय करेगी। इंदौर जिले की सभी नौ सीट पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी तय कर दिए है। स्वतंत्र समय द्वारा दिए गए पूर्व समाचारों में इन नामों को अंतिम माना गया था, जो संभावना बिल्कुल सही निकली।

पांच में रही कांटे की टक्कर

कांग्रेस द्वारा घोषित उम्मीदवारों में विधानसभा क्रमांक एक में संजय शुक्ला, दो में चिंटू चौकसे और राऊ से जीतू पटवारी का किसी प्रकार का कोई विरोध नहीं था और न ही अब तक है। बाकी विधासभा क्षेत्रों में अन्य दावेदार अभी भी नाराज नजर आ रहे हैं। इसमें विधानसभा क्रमांक तीन में पिंटू जोशी के साथ ही पूर्व विधायक अश्विन जोशी और अरविंद बागड़ी अंत तक लगे रहे। अब अरविंद बागड़ी का विरोध जारी है। विधानसभा क्रमांक पांच में सत्यनारायण पटेल और स्वप्निल कोठारी के बीच में अंतिम मुकाबला था, जिसमें पटेल ने बाजी मार ली। अब स्वप्निल का विरोध कहां तक आगे जाता है, यह देखना होगा।

विधानसभा चार में जोरदार विरोध

सबसे ज्यादा विरोध विधानसभा क्रमांक चार में देखने में नजर आ रहा है।  यहां पर राजा मंधवानी को उम्मीदवार घोषित किया गया है। जबकि अक्षय कांति बम भी पूरी उम्मीदों से थे। उन्होंने अपना कार्यालय तक खोल लिया था। उनके समर्थकों ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया है लेकिन कांग्रेस ने अपनी अंतिम लिस्ट में इस सीट से उम्मीदवार के नाम में कोई बदलाव नहीं किया, जबकि तीन नाम विरोध के बाद बदल दिए हैं। जब तक अक्षय बम को सेट नहीं किया जाता है मंधवानी को काफी तकलीफ हो सकती है। उधऱ दूसरा बड़ा विरोध देपालपुर सीट पर विशाल पटेल को उम्मीदवार बनाने से हो रहा है और मोतीलाल पटेल ने भी काफी समय से ही कार्यालय खोल लिया था। अब टिकट नहीं मिलने के बाद वो भी नाराज होकर ताल ठोंक रहे हैं।

भाजपा में मनाना पड़ेगा

ऐसी ही स्थिति भाजपा प्रत्याशी मनोज पटेल के साथ भी है। यहां से राजेंद्र चौधरी ने निर्दलीय चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है। सांवेर से रीन बौरासी की दावेदारी के समय विरोध था, लेकिन टिकट घोषित होने के बाद यह विरोध सडक़ों पर नजर नहीं आया। महू में भाजपा से कांग्रेस में वापस लौट प्रत्याशी घोषित हुए रामकिशोर शुक्ला का विरोध पूर्व विधायक और पिछले तीन चुनाव से हार के बाद दावेदार बने अंतर सिंह दरबार और उनके समर्थक कर रहे हैं। उन्हें भी किसी न किसी तरह मनाकर कहीं न कहीं एडजस्ट करना पड़ेगा। अभी भाजपा के विधानसभा तीन, पांच और महू के प्रत्याशी घोषित नहीं है। इनके घोषित होने के बाद उन्हें भी विरोध देखना पड़ सकता है। अगर महू से उषा ठाकुर और विधानसभा क्रमांक पांच में महेन्द्र हार्डिया को फिर से विधायक के प्रत्याशी घोषित किया जाता है तो यहां पर भाजपा को भी विरोध देकने मिल सकता है।