‘एमपी09’ में भाजपा विधायकों के रिकॉर्ड ! 9 में से 8 विधायकों का प्रदर्शन बेहतरीन

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर 7 इंदौर जिले की सभी 9 सीट जीतने के बाद सोशल मीडिया पर इस जीत को असली ‘एमपी09’ का नाम दिया जा रहा है 7 इसके अलावा कुछ और भी है जिससे भजपाई गदगद हो रहे हैं 7 ज्यादातर विधायकों ने खुद की और पार्टी की जीत के पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। महू से उषा ठाकुर ने कमाल कर दिखाया 7 बीते पांच चुनावों में जीत का निम्नतम आंकड़ा तीन हजार और अधिकतम 12 हजार (2013 में कैलाश विजयवर्गीय) रहा है, लेकिन इस बार उषा ठाकुर 34 हजार 392 वोटों से जीतीं हैं। उन्होंने महू विधानसभा के साथ ही खुद अपनी 13 हजार वोटों की सबसे बड़ी जीत (2013 में इंदौर-3) का रेकॉर्ड तोड़ दिया। वहीं एक नंबर विधानसभा से विजयवर्गीय ने खुद का रिकॉर्ड तोड़ा7 विजयवर्गीय ने इससे पहसे सबसे बड़ी जीत 36 हजार छह सौ वोटों की इंदौर-2 से (2003 में) हासिल की थी। तब उन्होंने कांग्रेस के अजय राठौर को हराया था। इस बार एक नंबर से वे करीब 58 हजार वोटों से जीते हैं। उन्होंने एक नंबर की भी सबसे बड़ी जीत (2013 में भाजपा के सुदर्शन गुप्ता 53 हजार वोट से जीते थे) का रिकॉर्ड तोड़ा है।
दो नंबर से रमेश मेंदोला बीते चार चुनावों से खुद का और अपनी विधानसभा का रिकॉर्ड तोड़ते आ रहे हैं। इससे पहले सबसे बड़ी जीत 2013 में करीब 92 हजार वोटों की रही थी, जब उन्होंने कांग्रेस के छोटू शुक्ला को हराया था। इस बार वे 1 लाख 7 हजार वोटों से जीते हैं, जो मप्र ही नहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ के कुल 519 विधायकों में भी सबसे बड़ी जीत है। प्रदेश की सबसे छोटी विधानसभा (इंदौर-3) में भाजपा के गोलू शुक्ला 14 हजार 700 वोटों से जीते हैं। हालांकि उनका यह पहला ही चुनाव है, लेकिन उन्होंने इस विधानसभा और पिछली जीत का कीर्तिमान भंग कर दिया। इससे पहले इस विधानसभा में 13 हजार वोटों की सबसे बड़ी जीत भाजपा की ही उषा ठाकुर (2013) थी। चार और पांच नंबर विधानसब से मालिनी गौड़ और महेंद्र हार्डिया उस कमाल दोहराया है 7 चार नंबर में भाजपा और मालिनी गौड़ की अब तक की सबसे बड़ी जीत 41 हजार से ज्यादा वोटों की थी, जो इस बार बढक़र करीब 70 हजार पर पहुंच गई। इसी प्रकार महेंद्र हार्डिया ने 2013 में कांग्रेस के पंकज संघवी को करीब 13 हजार वोट से हराया था, इस बार वे 15 हजार 700 वोट से जीते हैं। राऊ विधानसभा के आंकड़े रोचक कहानी कह रहे हैं। यहां से हारे कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने खुद का जीत और हार का आंकड़ा पीछे छोड़ दिया।
इस विधानसभा में सबसे बड़ी जीत (2013 में जीतू जिराती को 18 हजार वोट से हराया था) जीतू के ना थी। यही राऊ की भी अब तक की सबसे बड़ी जीत थी। इस बार राऊ और जीतू के नाम सबसे बड़ी हार दर्ज हुई। यहां भाजपा के मधु वर्मा 35 हजार 300 वोटों से जीते। सांवेर मे तुलसी सिलावट कांग्रेस से भाजपा में आकर पहली बार 2020 में उपचुनाव लड़े थे, तब उन्होंने कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को करीब 53 हजार वोटों से हराया था। साढ़े तीन साल बाद उन्होंने अपना और सांवेर की सबसे बड़ी जीत का कीर्तिमान बना दिया। इस बार वे 68 हजार 800 से ज्यादा वोटों से जीते हैं। देपालपुर मे मनोज पटेल बहती गंगा मे हाथ धोने से चूक गए 7 देपालपुर इकलौती विधानसभा रही।

जहां भाजपा और उसके विधायक मनोज पटेल अपना पुराना कीर्तिमान तोड़ नहीं पाए। मनोज पटेल ने इससे पहले 30 हजार वोटों की सबसे बड़ी जीत 2013 में हासिल की थी। तब उन्होंने कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को हराया था। इस बार वे करीब 13 हजार 700 वोटों से जीते हैं।