गुना जिला अस्पताल में भ्रष्टाचार का मामला उजागर, डॉ. पर पहले 10 हजार, डिलीवरी के वक्त 30 हजार रु. मांगने का आरोप

स्वतंत्र समय, गुना

यूं तो कोई नई बात नहीं है, गुना का जिला अस्पताल भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व से ही सुर्खियों में रहा है। जहां आए दिन इलाज के नाम पर मरीजों से पैसे ऐंठने के मामले सामने आते रहते हैं।  यहां ऐसा ही एक और मामला सामने आया है जहां एक डॉक्टर पर इलाज के दौरान पहले तो 10 हजार रू. की मांग की गई तो मरीज के पति द्वारा डॉक्टर को पैसे देने की जुगाड़ लगा ली।  जब डिलीवरी करने का समय आया तब एक महिला डॉक्टर द्वारा डिलीवरी करने के बदले 30 हजार रू. मांगे गए। इस पर पेशेंट के परिजन भड़क गए, और फिर क्या था हंगामा खड़ा कर दिया। मामले को फूल पढ़ते देख स्टाफ द्वारा महिला का सफल ऑपरेशन किया गया, वर्तमान में जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। इलाज के नाम पर मरीजों का जमकर शोषण किया जाता है और उनसे हजारों रुपए बसूले जाते हैं।

यह है पूरा मामला

जिला अस्पताल में डिलीवरी कराने आई  राजकुमारी पत्नी अंकित योगी निवासी ग्राम मूनडरा हनुमान हाल निवासी भार्गव कॉलोनी गुना द्वारा बताया गया कि उनकी पत्नी राजकुमारी प्रेग्नेंट है और डॉक्टर आभा शर्मा से उनका प्राइवेट इलाज कराया जा रहा था। जब डिलीवरी का वक्त आया तब उन्होंने कहा कि 10 हजार रू. लगेंगे, और डिलीवरी सरकारी अस्पताल में होगी। इस पर महिला के पति अंकित द्वारा 10 हजार की व्यवस्था कर ली गई। जब डिलीवरी करने का वक्त आया तब डॉक्टर द्वारा पेशेंट के पति से कहा गया कि 30 हजार रू. लगेंगे। पैसे नहीं देने पर पेशेंट को बाहर ले जाने की सलाह दी गई। इस पर परिजन भड़क गए और जिला अस्पताल परिसर में हंगामा खड़ा हो गया। मामले को बढ़ता देख स्टाफ द्वारा आनंद फानन में महिला की ऑपरेशन द्वारा डिलीवरी की गई, और बर्तमान में जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

स्टाफ का लंबे समय से एक ही जगह डटे रहना है भ्रष्टाचार की मुख्य वजह

प्रसूति गृह में मरीज के अटेंडर से डिलीवरी के बदले सरेआम पैसे मांगे जाने के आए दिन मामले सामने आते हैं। पूर्व में भी इस तरह के कई मामले सामने आए हैं, और इस संबंध में संबंधित वरिष्ठ अधिकारी सीएमएचओ राजकुमार ऋषिईश्वर से भी कई बार चर्चा की गई, मगर समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, और स्थिति जस की तस बनी हुई है। डॉक्टर और स्टाफ के लंबे समय से एक ही जगह डटे रहने के सवाल पर वह गोलमोल जवाब देते नजर आए। अगर इस तरीके की शिकायतें बार-बार सामने पर कार्रवाई न होना कहीं ना कहीं दाल में काला जरूर है। ऐसे में कहा जा सकता कि वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण में ही यह घोल-माल चल रहा हैं ? कर्मचारी की सम्बंधित विभाग के अधिकारियों से ही जांच करना कहां तक उचित ? अनियमितताओं को लेकर पूर्व में कई मामले सामने आए हैं, जिसमें यह देखा गया है कि विभाग के ही अधिकारी कर्मचारियों द्वारा मामले की जांच कर दी जाती है और मामले को क्लीन चिट दे दी जाती है ऐसे में पारदर्शिता की दृष्टि से यह कहां तक उचित है ?  संभवत यह देखा जाता है कि कोई अधिकारी कर्मचारी उसी के विभाग के कर्मचारी की जांच को पूर्ण ईमानदारी के साथ नहीं करते हैं और क्लीन चिट दे दी जाती है।  ऐसे मामलों में क्यों ना अन्य विभाग के अधिकारी कर्मचारियों से जांच हो ताकि सच्चाई सामने आ सके।

इनका कहना है

प्रसूति गृह में लंबे समय से नर्सिंग ऑफिसर की कमान संभाल रही उर्मिला मांडवी से बात की गई। स्टाफ द्वारा पैसे लेने की बार-बार शिकायत सामने आ रही है इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हमारे पास कोई भी शिकायत आती है तो हम उसका निराकरण जरूर करवाते हैं। लंबे समय से पैसे लेने की शिकायत आने पर उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है बाहरी लोग हैं कुछ तो भी बोल देते हैं। आपके द्वारा  लंबे समय से मैनेजमेंट संभाल नैके बाद भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं है कि जवाब में वह गोलमोल जवाब देती नजर आई।  पैसे की मांग किए जाने के बाद उपजे  विवाद के बाद सफलतापूर्वक डिलीवरी होने की जवाब में उन्होंने माना कि हां कहीं ना कहीं अनियमितता तो जरूर हुई है।

-उर्मिला मांडवे , नर्सिंग ऑफिसर,  जिला अस्पताल, गुना।