गोविंदपुरा क्षेत्र में लगे वंशवाद हटाओ के पोस्टर, भाजपा विधायक कृष्णा गौर का अंदरखाने में हो रहा विरोध

स्वतंत्र समय, भोपाल

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और भाजपा के बीच जारी पोस्टर वार की राजनीति अब भाजपा के अंदर ही अलग-अलग खेमे के नेताओं के बीच सामने आ रहा है। हाल ही में राजधानी की गोविंदपुरा सीट से विधायक कृष्णा गौर के खिलाफ उनके विधानसभा क्षेत्र में दूसरे खेमे के भाजपा नेताओं ने ही ‘ गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में वंशवाद हटाओ’ के पोस्टर लगा दिए। इसके पहले गोविंदपुरा सीट से कृष्णा गौर का टिकट काटने को लेकर भी कुछ कार्यकर्ताओं ने प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया था।

राजधानी में एक बार फिर चुनाव से पहले पोस्टर वार को लेकर राजनीति गर्मा गई है। अभी तक पोस्टर वार के निशाने पर दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस- भाजपा के प्रदेश के प्रमुख नेता थे, लेकिन अब पोस्टर वार की राजनीति प्रदेश स्तर से निकलकर विधानसभा क्षेत्र स्तर पर पहुंच गई है। रविवार को राजधानी के गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में पोस्टर वार का मामला सामने आया है। इसमें भाजपा से विधायक कृष्णा गौर को टारगेट करते हुए गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में वंशवाद हटाओ के पोस्टर लगे पाए गए। इन पोस्टरों में कहीं – कहीं निवेदक के रूप में आरटीआई एक्टिविस्ट अजय पाटीदार का नाम भी लिखा है। यह पोस्टर पूरे शहर में लोगों एवं भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि गोविंदपुरा से वर्तमान विधायक कृष्णा गौर हैं। पोस्टर में लिखे वंशवाद शब्द को गौर परिवार से  लोग जोडक़र देख रहे हैं। कृष्णा गौर, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बाबूलाल गौर की बहू हैं। गोविंदपुरा सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है। ऐसे में अंदरखाने पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि पिछले लगभग 50 साल से यह सीट एक ही परिवार के हाथों में है, जबकि इस सीट पर भाजपा का कोई भी नेता जीत सकता है, ऐसे में पार्टी के दूसरे नेताओं को भी अवसर मिलना चाहिए।

तब गौर ने दी थी कांग्रेस से चुनाव लड़ाने की धमकी

गोविंदपुरा सीट और परिसीमन के पहले भोपाल दक्षिण नाम से रही इस विधानसभा सीट से भाजपा के खांटी नेता स्व. बाबूलाल गौर ने दस बार चुनाव जीतकर रिकार्ड बनाया था। बाद में उम्र का हवाला देकर 2018 में उनका टिकट काट दिया गया था, तब बाबूलाल गौर ने शर्त रख दी थी, कि अगर मुझे नहीं तो मेरी बहू को टिकट मिलना चाहिए, नहीं तो पार्टी छोड़ देंगे। ऐसा न होते देख उन्होंने पार्टी पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस नेताओं को नास्ते पर घर बुलाना शुरू कर दिया। गौर ने भाजपा से टिकट न मिलने की स्थिति में कांग्रेस के टिकट पर बहू को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी भी कर ली थी, जिसके बाद भाजपा ने दबाव में कृष्णा गौर को टिकट दिया था, वे चुनाव भी जीतीं। विधायक बनने से पहले कृष्णा गौर भोपाल की महापौर भी रह चुकीं हैं। वे वर्तमान में मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग की सदस्य हैं और संगठन में पिछड़ा वर्ग मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। ऐसे में कृष्णा गौर का टिकट काटना पार्टी के लिए आसान नहीं है। हालांकि कई बड़े चेहरे गोविंदपुरा से चुनाव लडऩा चाह रहे हैं।