स्वतंत्र समय, मुरैना
गांव से करने प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देकर गौमाता को पशु की श्रेणी से हटाकर राष्ट्रमाता का सम्मान दिए जाने की मांग की है। ज्ञापन में कहा गया है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और हमारे देश की संस्कृति भी कृषि आधारित है। हमारी संस्कृति गाय और गौवंश के बिना अधूरी है। गाय के बिना शायद भारत की कल्पना भी सम्भव नही है। वर्तमान में हमारे देश मे गाय की स्तिथि बहुत ही दयनीय है। सबसे अधिक जिसकी तस्करी की जाती है वह गाय ही है। गाय और गोवंश किसान हेतु अत्यंत अनिवार्य है, संस्कृति के लिए अनिवार्य, पूजनीय है। भारत की कल्पना गाय बिना अधुरी है।
गौ सेवकों ने मांग की है कि यह कि गौमाता को पशु की श्रेणी से हटाकर संवैधानिक तौर पर राष्ट्रमाता का सम्मान अविलंब दिया जाए। गौमाता एवं गोवंश के संरक्षण व संवर्धन के लिए पशुपालन विभाग से गोवंश को अलग कर गौ मंत्रालय बनाया जाए। गौवंश की तस्करी को रोकने हेतु नियम बनाये जाकर गौ हत्या से जुड़े हथियार, कारखाने आदि पर प्रतिबंध लगाए जाये। गौवंश तस्करी से जुड़े परिवहन साधनों को पकड़ में लिए जाने के बाद उनकी जमानत न होने का कानून लाया जाए और तस्करी में एफ डीडी प्रयुक्त वाहन को आजीवन न छोड़ा जाकर स्क्रैप किया जाए।
मांस की बिक्री एवं पॉलीथिन प्रतिबंधित करने की भी मांग
गौ सेवक ने ज्ञापन में जिले में संचालित मीट मांस की दुकानों एवं पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने एवं को अभयारण्य बनाने की भी मांग की है। गौ सेवकों ने कहा है कि उनकी मांगों पर शीघ्रमण नहीं किया गया तो वह आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।