चुनावी जाजमः सात बार के विधायक वर्मा इस बार भी मैदान में, भाजपा की सुरक्षित सीट पर वर्मा को हराने वाले पटेल कांग्रेस प्रत्याशी

विधानसभा सीट इछावर में वोटरों की संख्या

कुल वोटरः 2,20,160

पुरुष वोटरः 1,14,789

महिला वोटरः 1,05,369

(2013 की स्थिति में)

स्वतंत्र समय, इंदौर

सीहोर जिले की यह सीट भाजपा के लिए लंबे समय से सुरक्षित सीट मानी जाती रही है। प्रदेश के पूर्व मंत्री करण सिंह वर्मा यहां लगातार 9 बार से ताल ठोंकते आ रहे हैं। भाजपा ने उन्हें इस बार भी टिकट से नवाजा है। हालांकि इस बार उनके खिलाफ पोस्टर लग गए। ऐसा पहली बार हुआ जब टिकट घोषित होते ही करण सिंह वर्मा केे खिलाफ पोस्टर लग हों। इछावर विधानसभा क्षेत्र में सात बार के भाजपा विधायक करण सिंह वर्मा के विरोध में पोस्टर लगने पर वर्मा ने इतना ही कहा कि वे शुचिता की राजनीति करते हैं। इधर इस सीट पर मुकाबला बेहद रोचक है क्योंकि कांग्रेस ने शैलेंद्र पटेल को मैदान में उतारा है।पटेल तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर चुनावलड़ रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि पटेल वर्मा को 2013 में बेहद रोचक मुकाबले में हरा चुके हैं।

इस बार कांग्रेस यहां इसलिए भी उम्मीद जता सकती है क्योंकि पोस्टर के अलावा कुछ महीने पहले निकली विकास यात्रा में पूर्व मंत्री करण सिंह वर्मा की खासी फजीहत हो चुकी है। उनका विकास यात्रा में खासा विरोध हुआ था। हालांकि इसके बावजूद भाजपा ने वर्मा का टिकट नहीं काटते हुए उन पर यकीन किया है।

कई जगह विकास यात्रा में वर्मा का हुआ था विरोध

सीनियर विधायक करण सिंह वर्मा को क्षेत्र में निकाली गई विकास यात्रा के दौरान कई जगह विरोध का सामना करना पड़ा। विकास यात्रा के दौरान हुए विरोध ने मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता करण सिंह वर्मा के सात बार के विधायक कार्यकाल पर भी सवाल उठा दिए। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इछावर विधानसभा क्षेत्र में लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान हैं। विधायक करण सिंह वर्मा जब विकास यात्रा लेकर ग्राम ब्रिजिशनगर पहुंचे तो यहां यात्रा के सामने गांव की महिलाएं आ गई थीं। महिलाएं विकास यात्रा के सामने ही रोड पर बैठ गई थीं और जमकर हंगामा किया था। महिलाओं का आरोप था कि सड़क-पानी जैसी मूलभूत समस्याओं के लिए हम जूझ रहे हैं। इसी तरह गुराड़ी के पास भी विधायक करण सिंह वर्मा को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा था।

1977 में इछावर सीट वजूद में आई

साल 1977 से पहले इछावर विधानसभा क्षेत्र सीहोर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ही आता था। 1977 में इछावर विधानसभा का गठन हुआ। 1977 के पहले ही चुनाव में यहां जनता पार्टी के नारायण प्रसाद गुप्ता विधायक चुने गए। हालांकि साल 1980 में हरिचरण वर्मा कांग्रेस से विधायक चुने गए। 1980 के बाद से तो मानो इछावर विधानसभा बीजेपी का गढ़ सा बन गया।

80 के बाद करण सिंह वर्मा का युग

इस सीट को 1980 के चुनाव के बाद करण सिंह वर्मा जनता को भा गए। साथ ही भाजपा की भी पहली पसंद बन गए। यही वजह है कि इस बार भी वे मैदान में हैं और 9 वीं बार रण संभाल रहे हैं। 1985 में वे (करण सिंह वर्मा) पहली बार विधायक बने। इसके बाद साल 1990, 1993, 1998, 2003 और साल 2008 करण सिंह वर्मा विधायक चुने गए। हालांकि 2013 में इस गढ़ पर कांग्रेस ने अपना कब्जा किया और शैलेन्द्र पटेल कांग्रेस से विधायक बने। हालांकि शैलेन्द्र पटेल अपनी इस जीत को आगे बरकरार नहीं रख सके और साल 2018 में पुन: करण सिंह वर्मा विधायक चुने गए। वर्तमान में करण सिंह वर्मा ही यहां से विधायक हैं।

हार का कारण बना था वर्मा के खिलाफ यह गाना

हूं कई करुं गीत की वजह से छह बार के भाजपा विधायक करण सिंह वर्मा साल 2013 के विधानसभा चुनाव में युवा कांग्रेसी नेता शैलेन्द्र पटेल से चुनाव हार गए थे। जो गीत था ‘वह हूं कई करुं, अरे भाया हूं कई करुं, अरे नेताजी आप नहीं करेंगे तो कौन करेगा, हूं कई करुं, नेताजी कहते रहते हैं हूं कई करुं. युवा को रोजगार नहीं है, हूं कई करुं. क्षेत्र में व्यापार नहीं है, हूं कई करुं. क्षेत्र में कोई उद्योग नहीं है, हूं कई करुं. क्षेत्र में कोई विकास नहीं है, हूं कई करुं. विकास की कोई आस नहीं है, हूं कई करुं. सिंचाई के साधन नहीं है, हूं कई करुं. गरीब-किसान परेशान हैं, हूं कई करुं. हर दम नेताजी कहते हैं हूं कई करुं. जब भी मिलो तो यही कहते हैं हूं कई करुं. कुछ कहो तो यही कहते हैं हूं कई करुं.

कांग्रेस के पटेल की राजनीतिक विरासत

शैलेंद्र पटेल का परिवार भी इछावर में खासा दबदबा रखता है। इनका ननिहाल कोठरी में हैं। इनके नाना स्व. शिवनारायण पटेल कांग्रेस में काफी दखल रखते थे। शैलेंद्र पटेल डेली कॉलेज इंदौर से पढ़े हुए हैं। यह जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं।

पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री में हुआ था कांटे का मुकाबला

इछावर विधानसभा सीट 1985 से भाजपा के लिए सुरक्षित मानी जाती रही है। यहां से प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा अब तक लगातार नौवीं बार भाजपा का चेहरा हैं। वे इतने लंबे चुनावी समर में सिर्फ एक बार 2013 में काफी करीबी अंतर यानी 744 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी शैलेंद्र पटेल से हारे थे।  इस बार पूर्व मंत्री करण सिंह वर्मा जहां भाजपा से उम्मीदवार हैं, वहीं शैलेंद्र पटेल कांग्रेस से चुनावी रण में हैं। इस सीट पर सीधे तौर पर किसी अन्य दल व निर्दलीय प्रत्याशी का दखल शून्य माना जा रहा है।

खाती समाज के प्रत्याशी पर भरोसा

इछावर विधानसभा में भाजपा की राह पर ही कांग्रेस भी चल पड़ी है। बीते दो बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भी खाती समाज के प्रत्याशी पर ही विश्वास जता रही है। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इछावर से युवा नेता शैलेन्द्र पटेल पर विश्वास जताया था। कांग्रेस का यह विश्वास खरा साबित हुआ और शैलेन्द्र पटेल चुनाव जीत गए। हालांकि 2018 के चुनाव में कांग्रेस के शैलेन्द्र पटेल को करीब 15 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने अब 2023 के विधानसभा चुनाव में भी यहां से शैलेन्द्र पटेल को ही प्रत्याशी बनाया है। मूलभूत समस्याओं को लेकर जनता नाराज है इसलिए वर्मा के लिए यह आसान मुकाबला नहीं है।

इछावर में सभी समाज लेकिन खाती ज्यादा

इछावर विधानसभा में सबसे ज्यादा वोट खाति समाज के हैं। इछावर विधानसभा में करीब 58 हजार खाती समाज के वोट बताए जाते हैं। हालांकि इछावर में सभी समाज निवासरत हैं। यहां परमार समाज, मेवाड़ा समाज, आदिवासी समाज, एसपसी समाज, मुस्लिम सहित अन्य समाज के

वोटर्स हैं।