ट्रांसफर और रिलीव होने के बाद भी बीआरसी का पांढुर्णा से नहीं छूट रहा मोह

स्वतंत्र समय, पांढुर्णा
दर्जनों शिकवे शिकायतों के बावजूद लंबे समय से अपनी पहुंच के भरोसे पांढुर्ना में बीआरसी के पद पर काबीज रहे लहु सरोदे का पिछले माह ही स्थानांतरण सौसर के शासकीय प्रभावती मानकर स्कूल में हुआ है। इन्हें 21 सितंबर को बीआरसी कार्यालय से प्रभार मुक्त किया जा चुका है, और स्थाई अधिकारी बीआरसी से के रूप में पांढुर्णा में पदस्थ ना होने के कारण बीएसी मोरेश्वर ब्रम्हे को अतिरिक्त प्रभार बिआरसी का सौंपा गया है।
लगभग एक माह रवानगी को होने के बावजूद पूर्व बीआरसी पांढुर्णा लहू सरोदे का क्षेत्र की स्कूलों और आधिकारिक रुतबे से शायद अभी तक मन भरा नहीं है। इसलिए वे अक्सर पांढुर्णा क्षेत्र के स्कूलों के दौरे पर चले आते हैं। बता जा रहा है कि 19 अक्टूबर को पूर्व बीआरसी महोदय आदिवासी अंचल के माध्यमिक शाला धनोरा और प्राथमिक अंबाडा स्कूल के निरीक्षण हेतु छिंदवाड़ा डाइट की महिला अधिकारी के साथ पहुंचे थे। इस संबंध में पांढुर्णा बीआरसी ऑफिस के अधिकारी कर्मचारियों को कोई अधिकृत जानकारी नहीं है।
जब लहू सरोदे की वर्तमान मूल पद स्थापना वाले शासकीय प्रभावती मानकर विद्यालय सौसर के प्राचार्य रियाज खान से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि 19 अक्टूबर को लहू सरोदे आधे दिन की छुट्टी के लिए आवेदन देकर छिंदवाड़ा से आई सोनी मैडम के साथ गए थे। यदि लहू सरोदे पांढुर्णा विकासखंड की स्कूलों के निरीक्षण के लिए श्रीमती सोनी जी के साथ अधिकृत और शासकीय दौरे पर निरीक्षण हेतु आए थे, तो उन्होंने अपनी मूल पद स्थापना वाली स्कूल में आधे दिन की छुट्टी का आवेदन क्यों दिया था। डाइट सेंटर्स आई श्रीमती सोनी पांढुर्णा क्षेत्र की स्कूलों में कक्षा पहली और दूसरी के बच्चों में मूलभूत दक्षता का आकलन करने पहुंची थी। कहा जा सकता है कि पूर्व बीआरसी वर्तमान समय में कहीं ना कहीं अनावश्यक रूप से पांढुर्णा की स्कूलों में एनकेन प्रकारेन अपना दखल देकर नियम विपरीत तरीके से जिले के अधिकारियों के साथ पांढुर्णा क्षेत्र में जाकर किन उद्देश्यों से घूम रहे हैं यह तो उनसे बेहतर कोई नहीं बता सकता।