स्वतंत्र समय, भोपाल
भोपाल-बीना ट्रैक पर अगर पटरी में कोई क्रेक होगी तो पहले ही अलर्ट हो जाएगा। रेलवे देश के पहले कंटीन्यूअस रेल ब्रोकन डिटेक्शन सिस्टम का ट्रायल भोपाल-बीना रेल सेक्शन में सौंराई-सुमेर स्टेशनों के बीच दिसंबर से करने जा रहा है। इस सिस्टम की खासियत ये है कि ट्रैक टूटने से पहले ही रेलवे कंट्रोल रूम को सूचना मिल जाएगी।इस पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) की मदद से यह सिस्टम तैयार करवाया जाएगा। पिछले पांच साल में भोपाल-बीना सेक्शन में ठंड में रेलवे ट्रैप टूटने की 11 बार घटनाएं हुई हैं। इसको देखते हुए सबसे पहले यहां सिस्टम लगाया जा रहा है।
समय रहते हो सकेगा सुधार
अधिकारियों के मुताबिक पिछले 5 सालों में भोपाल-बीना सेक्शन में करीब 11 बार अलग-अलग स्थानों पर रेलवे ट्रैक टूटने या क्रैक होने की घटना हुई। आमतौर पर ठंड के मौसम में रेलवे ट्रैक टूटता है। यह सिस्टम लगते ही ट्रैक टूटने से पहले ही संबंधित लोकेशन की जानकारी रेलवे कंट्रोल रूम पर पहुंच जाएगी। उसमें समय रहते सुधार हो सकेगा। स्टेशनों की दूरी कम, इसलिए यहां ट्रायल ठंड में आमतौर पर दिल्ली, जम्मू तरफ और उत्तर प्रदेश में कुछ स्थानों पर ट्रैक टूटने या चटकने की घटनाएं होती हैं। लेकिन वहां पर ऐसे दो स्टेशन नहीं हैं, जिनके बीच कम दूरी हो और हर साल ऐसे घटनाक्रम होते रहे हों। इसको देखते हुए रेल मंत्रालय ने भोपाल रेल मंडल के अंतर्गत आने वाले इन स्टेशनों के बीच सिस्टम लगाने और ट्रायल का निर्णय लिया है।
एआई आधारित उपकरण…
रेलवे इंजीनियर्स के मुताबिक इस सिस्टम से सटीक रिजल्ट प्राप्त करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग उसमें लगाए जाने वाले उपकरणों में किया जाएगा। 5-जी इंटरनेट, आधुनिकतम इंफॉर्मेशन सिस्टम से लैस उपकरणों का उपयोग कर पूरा सिस्टम तैयार करवाया जाएगा, ताकि जल्द ही ट्रैक टूटने से लेकर अन्य कोई खराबी की जानकारी मिल सके।