प्याज माना तो टमाटर फिर रुठने लगा, 50 रुपए पार, शादी के सीजन में मुनाफाखोर लॉबी सक्रिय 

स्वतंत्र समय, इंदौर

प्याज के दाम किसी तरह वापस नीचे आए हैं लेकिन टमाटर की सुर्खी फिर रफ्तार पकडऩे को तैयार है। ऐसे में माना जा सकता है कि विवाह सीजन के बीच टमाटर अपनी रंगत दिखा सकता है। पिछले महीने 10 रुपए किलो बिकने वाला टमाटर खेरची में 50 से 60 रुपए किलो बिक रहा है। दूसरी ओर प्याज के भाव में कमी आई है। इंदौर में कुछ दिन पहले 80 रुपए प्रति किलो तक बिका प्याज अब 30 से 40 रुपए किलो मिलने लगा है। असल में नई फसल की आवक होने से भावों में सुधार हुआ है।

व्यापारियों के मुताबिक अभी महाराष्ट्र से माल सीमित मात्रा में आ रहा है। आवक सुधरते ही भाव में कमी आ सकती है। हालांकि व्यापारिक लॉबी के एक धड़े का कहना है कि कमजोर मानसून के चलते टमाटर की फसल अच्छी नहीं बैठी है। ऐसे में दाम ज्यादा कम होने की उम्मीद नहीं की जा सकती। दक्षिणी राज्यों में मानसून ने फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। ऐसे में प्याज की आवक महाराष्ट्र बेल्ट से ही सीमित होकर रह गई है। दूसरी ओर विवाह सीजन में मुनाफाखोर लॉबी सक्रिय हो सकती है जिससे टमाटर में लंबी तेजी बन रह सकती है।

आवक फिलहाल घट रही

व्यापारियों के मुताबिक फिलहाल टमाटर की आवक केवल एक ही बेल्ट से हो रही है। नकदी खेती के लिए मशहूर महाराष्ट्र से इस समय 20 से 25 फीसदी माल ही आ रहा है। अन्य प्रदेशों व महाराष्ट्र से मिलाकर 5 हजार कैरेट की रोजाना आवक होती है लेकिन इस समय एक ही राज्य यानी महाराष्ट्र से करीब 1 हजार कैरेट की आवक हो रही है।

किसानों की प्राथमिकता में नहीं रहा टमाटर

लगातार तीन सालों से टमाटर की फसल अच्छी हो रही है और किसानों को इसके अपेक्षित भाव नहीं मिले। इस साल किसानों ने बढ़ती लागत और कम मुनाफा मिलने से टमाटर की फसल पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। दूसरी ओर दक्षिणवर्ती इलाके में भी टमाटर के लिए प्रतिकूल मौसम रहा। ऐसे में उत्पादन में कमी आई है और भाव आगे बढऩे का अंदेशा है।

लोकल आवक नहीं हो रही

अगस्त में बारिश की खेंच के चलते टमाटर की फसल को नुकसान पहुंचा। किसान बता रहे हैं कि रही-सही कसर सितंबर की एकबारगी बारिश ने कर दी। इससे टमाटर की फसल प्रभावित हुई है। दूसरी ओर सर्दी के उतार-चढ़ाव के कारण अब टमाटर की फसल पक नहीं रही है। अगर ठंड असरदार रही तो संभव है कि टमाटर देर से पकेंगे। ऐसे में आवक कम होगी, जिससे भाव स्थिर रहेंगे या और बढ़ भी सकते हैं।

आगे की तस्वीर

खेती बाड़ी से जुड़े जानकारों के मुताबिक मानसून में अगस्त की लंबी खेंच इस बार फसलों पर भारी पड़ गई। सितंबर में एक ही स्लॉट की भरपूर बारिश ने फसलों को फायदा कम और नुकसान ज्यादा पहुंचाया है। ऐसे में कह सकते हैं कि टमाटर की आवक सुधरने से स्थिति बदल सकती है। हालांकि कई इलाकों में मानसून कमजोर रहा, ऐसे में बहुत ज्यादा भाव कम होने की संभावना नहीं है।

मुनाफाखोरों ने नाफेड का दिया था चकमा

टमाटर में मुनाफाखोर आम आदमी का बजट बिगाड़ सकते हैं। इस महीने ऐन चुनाव के वक्त इस लॉबी के सक्रिय होने से नाफेड का 3 लाख टन का प्याज का स्टॉक भी नाकाफी साबित होने लगा था। सरकार ने 25 रुपए प्रति किलो कई शहरों में प्याज बिकवाई। वह तो गनीमत रही कि नई प्याज की आवक हो गई अन्यथा प्याज में अभी तक तेजी बन रहती। ऐसे में माना जा रहा है कि कम आवक में यह लॉबी अपने हाथ बहते पानी में धोकर मुनाफा कूट सकती है।