फिजा जहरीली : आपके फेफड़े 370 एक्यूआई कैसे झेलेंगे…?

स्वतंत्र समय, इंदौर

शहर का विकास अब सेहत पर भारी पडऩे लगा है। जगह्र-जगह के सरकारी निर्माण कार्य, सीमेंट-कांक्रीट का जाल, खुदाई, निजी निर्माण कार्य, मेट्रो की खुदाई के साथ ही वाहनों का रोजाना बढ़ता दबाव शहर की हवा को जहरीली बना रहा है। शुक्रवार शाम को छोटी ग्वालटोली पर एक्यूआई 370 रहा जो अत्यंत घातक है और लोगों को फेफड़े के दीगर मर्ज के साथ ही कैंसर की दावत दे रहा है। वहीं कार्बन मोनो ऑक्साइड का स्तर घातक स्तर यानी 1200 के पार हो चुका है। वहीं सरकारी आंकड़ं चेतावनी दे रहे हैं कि पीएम 2.5 का स्तर इंदौर में विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन से 9.8 यानी लगभग दस गुना ज्यादा है। इससे अंदाज लगा सकते हैं कि हमारी सांसें शरीर में कितने जहर को वातवरण से खींच रही हैं। इस हाल में बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के स्वास्थ्य को भयावह स्तर पर खतरा है। खास तौर से गंभीर बीमार बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह समय दुष्कर है। शहर में चौतरफा बढ़ रही आबादी ने स्वास्थ्य के गंभीर खतरे की ओर हमें बढ़ा दिया है।

कार्बन मोनोऑक्साइड 1272, वाहनों का काफिला बढ़ रहा

इन आंकड़ों की रोशनी में देखें तो शुक्रवार शाम को कार्बन मोनाऑक्साइड का स्तर 1272 रहा। यह इंडस्ट्रियल के साथ ही वाहनों से निकलने वाले धुएं का असर है। इससे अनुमान लगा सकते हैं कि इंदौर में वाहन घनत्व कितनी तेजी से बढ़ रहा है जो इलेक्ट्रिक वाहनों के अलावा सीएनजी वाहनों पर भारी पड़ रहे हैं।

छोटी ग्वालटोली पर 370 एक्यूआई

एक्यूआई कई दिनों से 150 के आसपास था। अब दीपावली के साथ ही देवउठनी एकादशी भी हो चुकी है। ऐसे में प्रदूषण की वजह समझी जा सकती है कि केवल पटाखे नहीं डेवलपमेंट के काम भी शहर की सांसों को वेंटिलेटर पर पहुंचा रहे हैं। ग्रीन पटाखे, जागरुकता आदि को देखते हुए माना जा रहा था कि एक्यूआई अधिकतम 200 तक दीपावली पर रहेगा। हालांकि पिछले दिनों सारे अनुमान धरे रह गए। वाहनों की रेलमपेल वाले शहर में एक्यूआई ने छोटी ग्वालटोली पर 370 बता दिया। यह देश की राजधानी से 10 अधिक था। वहीं अब त्योहारी दौर निपटने के बाद भी एक्यूआई का 370 रहना इसे गंभीर प्रदूषित शहरों की ओर धक्का रहे रहा है। छोटी ग्वालटोली पर 370 तो भोपाल चौराहे पर 164, वहीं धनवंतरी नगर पर 186 व कुशवाह नगर पर 163 वायु गुणवत्ता सूचकांक रिकॉर्ड किया गया।

जहर का मुकाबला कैसे करें

  • बेहद जरूरी होने पर ही घर से बाहर जाएं।
  • खुले स्थानों पर मास्क का इस्तेमाल करें।
  • सड़कों पर सुबह की सैर करने से बचें, बगीचों में समय बिताएं।
  • वहीं एकदम सुबह के समय सैर न करें, इस समय वातावरण में तमाम तरह के प्रदूषक तत्व रहते हैं
  • गर्भवती महिलाओं को सांस की दिक्कत

 होती है, आईसीयू में जा सकता है नवजात

मैक्स हॉस्पिटल्स में एसोसिएट डायरेक्टर (ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी) और औरा स्पेशलिटी क्लीनिक की डायरेक्टर डॉ. रितु सेठी बताती हैं कि वायु प्रदूषण के बढऩे की वजह से लोगों को कई तरह की परेशानियां होती हैं। खास तौर पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को बढ़ते प्रदूषण के कारण ज्यादा परेशानी होती है। वायु प्रदूषण का लेवल बढऩे से गर्भवती महिलाओं को सांस की परेशानी हो जाती है। जिन महिलाओं को पहले से ही अस्थमा है तो उनकी बीमारी अचानक बढऩे लगती है। अस्थमा अटैक नहीं है तो भी सांस लेने की परेशानी हो सकती है। इसके साथ ही घबराहट भी होती है। बढ़ते प्रदूषण का असर गर्भवती महिला के होने वाले बच्चे पर भी पड़ सकता है। बच्चे को जन्म के बाद में आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है।

पीएम 2.5 और पीएम 10 की स्थिति भी घातक

छोटी ग्वालटोली के मीटर की ही बात करें तो पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों की स्थिति भी घातक रही। जहां पीएम 2.5 307 दर्ज किया गया तो पीएम 10 480 रहा। कायदे से पीएम 2.5 की मात्रा 60 आदर्श मानी जाती है जबकि इंदौर में यह 307 दर्ज की गई। वहीं पीएम 10 की मात्रा 100 मानक मानी गई है, वहीं इंदौर में यह 480 मापी गई है।

ये है पर्टिकुलर मैटर 2.5

पीएम 2.5 का पूरा नाम है पर्टिकुलेट मैटर। यह धूल-मिट्?टी-केमिकल्स आदि के वे छोटे-छोटे कण हैं, जो हवा में हर वक्त मौजूद रहते हैं। ये कण इतने बारीक होते हैं कि एक कण 2.5 माइक्रोमीटर या उससे भी छोटा हो सकता है। ये बारीक कण सांस के जरिए आसानी से हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं।

पीएम 10 की तुलना में ज्यादा हानिकारक

हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 और पीएम10 की मात्रा 100 होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है। गैसोलीन, तेल, डीजल ईंधन या लकड़ी के दहन से पीएम 2.5 का अधिक उत्पादन होता है। अपने छोटे आकार के कारण, पार्टिकुलेट मैटर फेफड़ों में गहराई से खींचा जा सकता है और पीएम 10 की तुलना में अधिक हानिकारक हो सकता है।