बिल 75 यूनिट का और मनमाने उपयोग की छूट, पौने पांच लाख उपभोक्ताओं के घरों से नहीं होती है रीडिंग

स्वतंत्र समय, भोपाल

एक तरफ प्रदेश में बिजली चोरी रोकने के लिए स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रदेश में करीब पौने पांच लाख उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनके घरों पर मीटर तक नहीं लगे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि वे कितनी बिजली का उपयोग कर रहे हैं कैसे पता चले। इससे तय है कि नियमानुसार बिजली कंपनियां ऐसे उपभोक्ताओं को महज 75 यूनिट तक का ही बिल दे सकती हैं। ऐसे में यह उपभोक्ता कितनी भी बिजली का उपयोग कर रहे हैं कैसे पता चले।
इस तरह के उपभोक्ताओं द्वारा बिजली उपयोग अधिक मात्रा में करने की वजह से ही घाटा हो रहा है तो दूसरी ओर खुले आम शहरों की स्लम बस्तियों में खुलेआम सैकड़ों की संख्या में अवैध तार डालकर बिजली का उपयोग खाना बनाने से लेकर पानी गरम करने तक में किया जाता है, लेकिन इन पर बिजली महकमा नकेल नहीं कस रहा है। हाल ही में तीनों बिजली कंपनियों द्वारा नियामक आयोग को दी गई जानकारी में बताया गया है कि प्रदेश में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 1 करोड़ 30 लाख के करीब है। इनमें से 4 लाख 64 हजार बिजली उपभोक्ताओं के घरों पर बिजली मीटर तक नहीं लगाए गए हैं।
यह स्थिति तब है जबकि, केंद्र सरकार द्वारा बिजली कंपनियों को बिजली चोरी रोकने और लॉइन लॉस को कम करने के लिए करोड़ों रुपए का बजट दिया जा रहा है। इस राशि से प्रदेश में स्मार्ट मीटर भी लगाए जा रहे हैं। कई शहरों में स्मार्ट मीटर लगाए जाने की प्रक्रिया जारी है। एक तरफ तो बिजली कंपनियां स्मार्ट मीटर लगाने, अंडर ग्राउंड लाइनें बिछाने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं। दूसरी ओर प्रदेश में लाखों की संख्या में लोग बिना मीटर के बिजली जला रहे हैं। इससे बिजली कंपनियों को हर साल बड़ा घाटा हो रहा है। इस घाटे की भरपाई के लिए कंपनियों द्वारा लगातार टैरिफ में वृद्धि कर दी जाती है। हाल ही में बिजली कंपनियों ने 2046 करोड़ का घाटा बताकर 3.86 फीसदी टैरिफ बढ़ाने की याचिका आयोग में लगा रखी है। इससे यह तो तय है कि नए वित्तीय वर्ष से प्रदेश में बिजली का झटका लगेगा।

बिल का यह है प्रावधान

आयोग का मानना है कि संबंधित उपभोक्ताओं के घरों में मीटर नहीं लगना बिजली कंपनियों की लापरवाही है। ऐसे में बिजली कंपनियां ऐसे उपभोक्ताओं से 75 यूनिट बिजली का बिल दे सकती है। अगर ऐसे बिजली उपभोक्ता महीने में निर्धारित यूनिट से 50 यूनिट ज्यादा बिजली भी जलाते हैं, तो बिजली कंपनियों को 200 करोड़ से ज्यादा का नुकसान होगा। कृषि उपभोक्ताओं को दी जाने वाली बिजली की गणना ट्रांसफॉर्मर और फीडर से की जाती है। लेकिन बिना मीटर वाले घरेलू बिजली उपभोक्ताओं द्वारा जलाने वाली बिजली को मापने का कोई इंतजाम नहीं है। उधर, अकेले मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने लाइन लॉस कम करने और प्रीपेट स्मार्ट मीटरिंग पर 10 हजार 702 करोड़ रुपए खर्च करेगी। अहम सवाल यह है कि खंम्भों से सीधे बिजली के तार डालकर बिजली चोरी करने वालों के खिलाफ बिजली विभाग कभी अभियान नहीं चलाता है, बल्कि बिजली कंपनियां टैरिफ बढ़ाकर ईमानदार उपभोक्ताओं पर भार डाल देती हैं।

प्रीपेट स्मार्ट मीटरिंग पर 10 हजार 702 करोड़ रुपए खर्च करेगी सरकार

आयोग का मानना है कि संबंधित उपभोक्ताओं के घरों में मीटर नहीं लगना बिजली कंपनियों की लापरवाही है। ऐसे में बिजली कंपनियां ऐसे उपभोक्ताओं से 75 यूनिट बिजली का बिल दे सकती है। अगर ऐसे बिजली उपभोक्ता महीने में निर्धारित यूनिट से 50 यूनिट ज्यादा बिजली भी जलाते हैं, तो बिजली कंपनियों को 200 करोड़ से ज्यादा का नुकसान होगा। कृषि उपभोक्ताओं को दी जाने वाली बिजली की गणना ट्रांसफॉर्मर और फीडर से की जाती है। लेकिन बिना मीटर वाले घरेलू बिजली उपभोक्ताओं द्वारा जलाने वाली बिजली को मापने का कोई इंतजाम नहीं है। उधर, अकेले मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने लाइन लॉस कम करने और प्रीपेट स्मार्ट मीटरिंग पर 10 हजार 702 करोड़ रुपए खर्च करेगी। अहम सवाल यह है कि खंम्भों से सीधे बिजली के तार डालकर बिजली चोरी करने वालों के खिलाफ बिजली विभाग कभी अभियान नहीं चलाता है, बल्कि बिजली कंपनियां टैरिफ बढ़ाकर ईमानदार उपभोक्ताओं पर भार डाल देती हैं।