भाजपा ने मैदान में उतारे खिलाड़ी तो कांग्रेस में अभी भी चल रहा मंथन

स्वतंत्र समय, कटनी

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा 136  प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। चौथी सूची में पार्टी ने अपने परंपरागत चेहरों पर ही दांव लगाया है। कांग्रेस में अभी प्रत्याशी चयन पर मंथन ही चल रहा है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने एक सर्वे और कराया है। इसमें सर्वे में  चेहरों पर दांव लगाने की बात सामने आई है।   दरअसल, पार्टी नेताओं का मानना है कि भाजपा ने जिन परंपरागत चेहरों को मैदान में उतारा है, उनके विरुद्ध एंटी इंकमबेंसी है। जनता इनसे ऊब चुकी है। पार्टी कार्यकर्ता भी नए चेहरों को आगे बढ़ाने के पक्षधर हैं।

2023 के चुनाव से पहले चार-पांच सर्वे हुए थे

भाजपा  ने 2023 के चुनाव से पहले चार-पांच सर्वे कराए थे और उनके निष्कर्षों के आधार पर मुड़वाड़ा में लगातार तीसरी बार विधायक संदीप जायसवाल, विजयराघवगढ़ में लगातार तीसरी बार विधायक संजय पाठक, हालांकि संदीप और संजय दोनो कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए और शिवराज के खास बनकर उभरे यही बजह है। भारी विरोध के बाबजूद दोनो को रिपीट किया गया। वही बहोरीबंद से विधायक प्रणव पाण्डेय अभी होल्ड है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक बहोरीबंद से संभव है भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.डी.शर्मा किस्मत आजमाएं यही बजह है इधर ड्ढद्भश्च अभी भी मंथन के दौर पर है।जबकि 2018 में भाजपा के भारी विरोध के बाबजूद प्रणव पाण्डे ने कांग्रेस के सौरभ सिंह को  कड़ी टक्कर देकर हराया था। पर 2023 में शिवराज के भरोसे पर प्रणव खरे नही उतर रहे। लेकिन परिस्थितियों के मुताबिक  समय आने पर भाजपा प्रणव को ही उम्मीदवार बनाएगी ऐसी उम्मीद राजनैतिक पंडितों को है। वही प्रणव के अलावा बहोरीबंद से दिलीप दुबे भी अपना दावा बनाये हुए है। वही बड़वारा पहली बार भाजपा ने युवा चेहरे धीरू सिंह को उम्मीदवार बनाया है।धीरू हालांकि रिश्ते में कांग्रेस के तत्कालीन विधायक बसंत सिंह के पारिवारिक भाई है।

कांग्रेस अभी भी मंथन का दौर : सर्वे के मुताबिक कांग्रेस में  से पूर्व महापौर विजेंद्र मिश्र राजा भैया प्रवल दावेदार माने जा रहे है। इनके अलावा पूर्व विधायक सुनील मिश्रा, 2018 में प्रत्याशी रहे मिथलेश जैन, युवा कांग्रेस अध्यक्ष अंशु मिश्रा, इंटक नेता बीएम तिवारी, राकेश जैन, अधिवक्ता संघ अध्यक्ष अमित शुक्ला, पूर्व अध्यक्ष प्रियदर्शन गौर, प्रेम बत्रा, रौनक खंडेलवाल ने भी अपना दावा पेश किया है। वही राजनैतिक पंडितों की माने तो कांग्रेस को अगर जिले भर में कांग्रेस का परचम लहराना चाहती है तो जनता की पहली पसंद बन कर उभरे विजेंद्र मिश्र राजा भैया को उम्मीदवार बनाना चाहिए। लेकिन गुटों में बटी कांग्रेस कटनी जिले को प्रयोगशाला समझती है कमलनाथ को लगता है अपने वफादार को टिकट दे कमलनाथ यही भूल प्रदेश भर में कर रहे है। अगर प्रदेश में कमलनाथ ने सर्वे की प्रमुखता दी तो कांग्रेस 160 से ज्यादा सीटों पर परचम लहरा सकती है। अगर सर्वे के अलावा निजी समर्थकों पर ही भरोसा जताया। तो कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

संजय पाठक के सामने भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह

, नीरज सिंह बघेल, संदीप बाजपेई, नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रहे गणेश राव हाथ पांव मार रहे हैं। कांग्रेस किस पर दांव लगाती है ये तो भविष्य तय करेगा। बड़वारा में बर्तमान विधायक बसंत सिंह ही उम्मीदवार होंगे ऐसा माना जा रहा है। हालांकि इनका स्थानीय विरोध भी है लेकिन आलाकमान की गुड़ लिस्ट पर इनका नाम है। बात करे बहोरीबंद की तो यहाँ से दो कांग्रेस के दो पूर्व विधायक सौरभ सिंह और नीतिश पटेल का अपना अपना दावा है तो कांग्रेस का सर्वे शंकर महतो की तरफ इशारा कर रहा है।

टिकट वितरण में अगर हुआ भाई भतीजा बाद तो कांग्रेस का नुकसान तय

भाजपा ने जो चौथी सूची जारी की है उसमें परंपरागत चेहरों पर ही भरोसा जताया है। 24 मंत्रियों को फिर चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस के पदाधिकारियों का कहना है कि यह हमारे लिए शुभ संकेत हैं। भाजपा सरकार और उसके प्रतिनिधियों को लेकर कोरी घोषणा, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी आदि मुद्दों को लेकर जनता में आक्रोश है, जिसका प्रकटीकरण जन आशीर्वाद यात्रा में भी जगह-जगह पर देखने को मिला। जन आक्रोश यात्रा में जो प्रतिसाद मिला, उससे स्पष्ट है कि प्रदेश में सत्ता विरोधी माहौल है। इसका लाभ निश्चित तौर पर पार्टी प्रत्याशियों को मिलेगा।

पर अगर कांग्रेस ने किए सर्वे को ताक पर रख कर निजी उम्मीदवार को मौका दिया तो कांग्रेस की डगर कठिन है। क्योंकि माहौल भाजपा के खिलाफ जरूर है लेकिन कुछ क्षेत्रों माहौल सिर्फ भाजपा प्रत्यासियो के खि़लाफ़ कटनी मुड़वारा में लगभग यही स्थिति है अगर कांग्रेस सर्वे से जरा भी भटकी तो  कांग्रेस की नैया खतरे में है फिर यहाँ निर्दलीय महापौर के जैसे निर्दलीय विधायक भी चुना जा सकता है।