मल्हारगढ़ विधानसभा सीटः कांग्रेस दूरबीन से खोज रही उम्मीदवार, खिंची हो सकते हैं चेहरा

 स्वतंत्र समय, इंदौर

चुनावी जाजमः मल्हारगढ़ सीट

कुल वोटर     2,26,194

पुरुष वोटर    1,14,914

महिला वोटर   1,11,277

(2018 की स्थिति में)

मल्हारगढ़ विधानसभा सीट यानी 2017 के किसान गोलीकांड की कड़वी यादें जिसे याद कर संबंधित परिवारों की आंखों के साथ दिल और अंतरआत्मा आज तक कराह रही है। इस काण्ड ने प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा की चूलें हिला दी थीं। अगले साल ही हुए चुनाव में भाजपा को तगड़ा झटका लगा और ग्रामीण इलाकों में जोर-शोर से कांग्रेस ने वापसी की। भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा। 2018 के चुनाव के ठीक एक साल पहले के घटनाक्रम ने भाजपा की पूरे देश में फजीहत कर दी थी। नतीजा 2018 में सत्ता परिवर्तन के तौर पर दिखा। मंदसौर में 6 जून 2017 को किसान आंदोलन के दौरान फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई थी। आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बाद जिले के 13 थाना क्षेत्रों में उपद्रव, तोडफ़ोड़ व बलवे के मामले में लगभग 100 प्रकरण दर्ज हुए थे। इनमें 351 को नामजद आरोपी बनाकर 81 गिरफ्तारी की गई थी। मामले में करीब 3 हजार अज्ञात लोगों पर भी प्रकरण भी दर्ज हुए थे। बाद में किसानों के विरोध और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आश्वासन के बाद पुलिस ने सभी मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

देवड़ा का कद लगातार बढ़ा

इस सीट पर भाजपा की मौजूदगी मजबूती से है। लगातार तीन बार से जगदीश देवड़ा विधायक हैं। उनके प्रदर्शन को देखते हुए इस बार के समर में ही देवड़ा भाजपा के प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। यह हाई प्रोफाइल सीट है। वे शिवराज सिंह चौहान सरकार में वित्त और आबकारी मंत्री भी हैं। मल्हारगढ़ सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

गुजरात की टीम को भाजपा ने झोंका था

2018 का चुनाव भाजपा के लिए इस सीट पर मुश्किल था। ऐसे में भाजपा ने अपना प्रबंधन गुजरात की टीम के भरोसे किया। वहां के सांसद के अलावा केंद्रीय कृषि मंत्री समेत पदाधिकारियों की फौज ने मैदान संभाला। मल्हारगढ़ विधानसभा सीट पर 9 उम्मीदवार आमने-सामने थे, लेकिन यहां पर मुख्य मुकाबला भाजपा के जगदीश देवड़ा और कांग्रेस के परशुराम सिसोदिया के बीच रहा। जगदीश देवड़ा को 99,839 वोट मिले तो परशुराम सिसोदिया को 87,967 वोट मिले। देवड़ा 11,872 मतों से जीते।

1 करोड़ के मुआवजे व सरकारी नौकरी से खरीदा, दोषियों पर आज तक कार्रवाई नहीं

प्रशासन ने पीडि़त परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी देकर खरीद लिया। पुलिस फायरिंग में मारे गए किसान कन्हैया लाल के बेटे जितेंद्र कहते हैं कि उन्हें सरकारी नौकरी देकर चुप कराया गया है। असली न्याय तो तब मिलेगा, जब दोषी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। फायरिंग के दौरान मारे गए एक नाबालिग अभिषेक पाटीदार की मां कहती हैं कि 6 साल बेटे के बिना बिताना कितना मुश्किल रहा, वो बता नहीं सकतीं। अब न्याय की उम्मीद तो नहीं है, लेकिन न्याय के लिए जब तक और जहां तक लड़ा जा सकता है, वो जरूर लड़ेंगी।

कांग्रेस की उम्मीदें इनसे

कांग्रेस की ओर से श्यामलाल जोकचंद उम्मीदवार हो सकते हैं। वे कमलनाथ के संपर्क में भी हैं और चुनावी रण की तैयारी में हैं। इसके अलावा सिंधिया समर्थक और पिछला चुनाव हारने वाले परशुराम सिसोदिया भी मुख्य दावेदार हैं। वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश महासचिव हैं और सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद भी वे कांग्रेस का दामन थामे हुए हैं। हालांकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में सक्रिय हुए अशोक खिंची को भी दावेदार माना जा रहा है। आलाकमान इन पर मेहरबान हो सकती है।

सिंचाई का मुद्दा बड़ा

इलाके की पहचान खेती से है और इस वजह से किसानी समस्याएं यहां सिर उठाती रही हैं और चुनावी मुद्दा भी बनेंगी। चंबल नदी से खेती के लिए पर्याप्त रूप से पानी नहीं मिलने पर किसानों में नाराजगी है। किसानों को लुभाने वाला ही यहां रण जीतता आया है। अभी तो वोटर्स को देवड़ा पर भरोसा बना हुआ है। क्षेत्र में फूल प्रोसेसिंग यूनिट शुरू नहीं हो पाई। गांधी सागर बांध के बावजूद सिंचाई का पर्याप्त पानी नहीं मिलना मुद्दा है।

पाटीदार से लेकर मेघवाल समाज का बाहुल्य

इस सीट पर पाटीदार, राजपूत और मेघवाल समाज के वोटर्स यहां के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ग्रामीण इलाकों में आदिवासी वोटर्स भी बड़ी तादाद में है। यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। ऐसे में समाजगत वोटों के साथ ही उम्मीदवारों का फोकस आदिवासी मतदाताओं पर भी रहता है।