स्वतंत्र समय, मुरैना
शादी-समारोह का सीजन आते ही दूध व उससे बने उत्पादों की मांग बढऩे के साथ ही मिलावट का कारोबार तेज हो गया है। इस मिलावटी कारोबार के फलने-फूलने के पीछे एक वजह अंचल दूध उत्पादों का निर्यात भी है। लिहाजा दूध से बनने वाले पनीर, खोआ इत्यादि की सप्लाई लगातार जारी बनी हुई है। जिसकी ओर किसी का कोई ध्यान नहीं है।
मुरैना में दूध, दही, मावा, पनीर बनाकर विक्रय करने का कारोबार व्यापक स्तर पर होता है। जिला मुख्यालय सहित तहसीलों व ग्रामीण अंचलों में भी बड़ी-बड़ी दूध डेयरियों पर प्रतिदिन लाखों क्विंटल दुग्ध उत्पाद तैयार होते हैं, जिन्हें बाजार में बेचकर डेयरी संचालक मोटा मुनाफा कमाते हैं। जिला मुख्यालय पर दूध से दही, पनीर, मावा व क्रीम तैयार करने व मावा निकालने के कारोबार में आधा सैकड़ा से अधिक दूध डेयरियां संचालित हो रही हैं। इन डेयरियों पर सपरेटा दूध, मिलावटी मावा व पनीर तैयार करने का काम जोरशोर से चल रहा है। इसमें से अधिकांश माल तैयार का राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हरियाणा तक निर्यात कर दिया जाता है जब अंचल में दुग्ध उत्पादों की मांग बढ़ती है तो डेयरी संचालक मिलावट की तादाद बढ़ा देते हैं और यही मिलावटी दुग्ध उत्पाद स्थानीय बाजार में विक्रय कर दिया जाता है।
जंगलों में चल रही भट्टियां
सहालग शुरू होने के साथ ही जिले में दूध से मावा व पनीर बनाने का काम तेज हो गया है। खासकर कैलारस, सबलगढ़, पहाडग़ढ़, सुमावली के जंगली इलाकों में दूध माफिया द्वारा बड़ी-बड़ी भट्टियों पर मावा व पनीर बनाया जा रहा है, जिसे चोरी-छुपे निर्यात कर दिया जाता है।
दूध के भाव आसमान पर
दूध की अधिक खपत के चलते इन दिनों दूध के दाम आसमान पर चढ़े हुए हैं जिसके चलते गरीब परिवारों को अपने नौ निहालों के लिए जहरीला एवं सिंथेटिक दूध डेयरियों से महंगे दामों पर खरीदना पड़ रहा है। मार्केट में दूध की कीमत 50 से लेकर 60 रुपए लीटर तक पहुंच चुकी है। वहीं इससे बने पनीर, मावा के बड़े हुए दाम लोगों को हैरान किए हुए हैं।