यशवंत क्लब : सचिव ने आरोपी भाई के लिए बदल डाला संविधान

स्वतंत्र समय, इंदौर

करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के आरोपी नरेंद्र गोरानी की मेंबरशिप की खातिर उनके भाई और यशवंत क्लब के सचिव संजय गोरानी ने क्लब का संविधान ही बदल डाला। उन्होंने इसके लिए क्लब का बाकायदा पांच साल पुराना प्रस्ताव ही बदल डाला। नरेंद्र गोरानी को कोर्ट से जमानत मिली गई है जबकि उनका साथी पार्टनर रमेश शाह कोर्ट में पेश नहीं हुआ है जिसे फरार घोषित करने की कार्रवाई संभावित है। बताया जाता है कि नरेंद्र ने फ्लैट बेचने का सौदा कर लोगों को फ्लैट का कब्जा नहीं दिया। साथ ही आर्बिट्रेशन के बाद पीडि़तों को राशि भी नहीं  लौटाई। ऐसे भाई के लिए क्लब सचिव संजय गोरानी ने क्लब का निजाम ही बदल डाला। उन्होंने बाकायदा अधिक उम्र के भाई को इसमें सदस्यता दिलाई बल्कि एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (ईओजीएम) का एजेंडा भी बदल डाला।

यह कहता है नियम

यशवंत क्लब के नियमों की बात करें तो क्लब सदस्य की 18 से 25 साल की उम्र वाली संतान ही सदस्यता ग्रहण कर सकती है। इस नियम को बदलने की शुरुआत फरवरी 2018 में हुई। इस दौरान मैनेजिंग कमेटी में चेयरमैन टोनी सचदेवा और सचिव संदीप पारिख व अन्य पदाधिकारी थे। इसमें एजेंडा जारी किया गया कि जो 18 से 25 की आयु में सदस्य नहीं बन पाए उनके लिए यह सीमा 45 साल कर दी जाए।

कोर्ट ने लगाया स्टे

इस प्रस्ताव के बाद क्लब के मेंबर अनिल पटवा और मनजीत ने इसे चैलेंज किया। उन्होंने कहा कि  एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (ईओजीएम) का एजेंडा नहीं बदला जा सकता। ऐसे में यह प्रस्ताव अवैध माना गया। कोर्ट ने भी स्टेल लगा दिया। वहीं नई मैनेजिंग कमेटी में पम्मी छाबड़ा चेयरमैन बने। स्टे भी यथावत रहा।

45 साल के दायरे से बाहर होना थी वजह

संजय गोरानी का यह पूरा मंसूबा अपने भाई की सदस्यता दिलाने के लिए किया गया था। नरेंद्र का जन्म 1962 का है और उनकी उम्र 56 के करीब हो गई। ऐसे में 45 साल की लिमिट वाले नियम से वे स्वत: ही बाहर हो जाते हैं और सदस्यता ग्रहण नहीं कर पाते। ऐसे में संजय ने इस नियम के लिए संविधान में ही बदलाव करवा दिया।

सदस्यता के बाद केस दर्ज

इस संशोधन के बाद नरेंद्र को सदस्यता मिल गई। वहीं उन पर 2022 में करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी में जालसाजी का केस भी दर्ज हो गया। छह शिकायतकर्ताओं की शिकायत के आधार पर अन्नपूर्णा थाने में केस दर्ज हुआ जिसकी दो दिन पहले उन्हें जमानत मिल गई। बताया जाता है कि इसी के साथ संजय ने सदस्यता के नाम पर लगने वाले 25 लाख रुपए शुल्क की बचत भी कर ली। स्पेशल कैटेगिरी के जरिए सदस्य बनने में 25 लाख रुपए शुल्क के साथ टैक्स भुगतान का नियम है। वहीं उन्होंने उम्रदराज भाई की मेंबरशिप भी दिलवा दी।

गंभीर अपराधियों को मेंबरशिप

पिछले दिनों स्पेशल कैटेगरी में 182 आवेदन आए। इसमें 10 आवेदन आपराधिक रिकॉर्ड का बहाना बताकर खारिज कर दिए गए। जो 172 फॉर्म मंजूर किए गए हैं इसमें गैंगरेप के आरोपी मोनू उर्फ हरपाल सिंह भाटिया को सदस्य चुना गया है। हालांकि पुलिस केस खत्म हो गया है लेकिन निजी परिवाद जारी है। इसी मामले में कोर्ट से फाइल चोरी का आरोप भी चल रहा है। वहीं आबकारी अधिकारी पराक्रम सिंह चंद्रावत जिन पर लोकायुक्त ने छापा मारा और जो सस्पेंड हैं, उन्हें सदस्यता के लिए उपयुक्त पाया गया।

जून 2022 के बाद किया खेला

एक बार फिर जून 2022 में नई कमेटी गठित हुई। इसमें चेयरमैन टोनी सचदेवा बने तो सचिव बने संजय गोरानी। इसी के साथ ही वकील बदल गए और कोर्ट से स्टे हटवाने की तैयारी की गई। वैसे केस तो अब भी जारी है। इसके बाद एजीएम और ईओजीएम में नया प्रस्ताव लाया गया। नवंबर 2022 में गोरानी ने फर्म्स एंड सोसायटी इंदौर को साल 2018 में पास नो एज लिमिट वाला एजेंडा भेज दिया और संविधान में बदलाव कर दिया। साथ ही इसके शुल्क का भुगतान कर दिया। जनवरी 2023 से यह संशोधन लागू हो गया। इस विधान के बाद अब क्लब सदस्य की संतान किसी भी उम्र में यशवंत क्लब की सदस्यता ले सकती है।