स्वतंत्र समय, शाजापुर
एक कहावत है जिस थाली में खाया, उसी में छेद किया…। कुछ इसी तर्ज पर वर्षों से भीतरघात करते हुए योगेंद्रसिंह बंटी बना कांग्रेस की किश्ती को डूबोने में लगे हुए थे, लेकिन हर बार चुनावी संग्राम में कांग्रेस का बेड़ा गर्क करने वाले बंटी को इस बार हाईकमान ने जिलाध्यक्ष के पद से हटा दिया है। साथ ही सात दिनों में अपनी करतूत पर स्पष्टीकरण देने को भी कहा गया है। कांग्रेस पार्टी में रहते हुए योगेंद्रसिंह बंटी बना हर बार विधानसभा चुनाव में अपने निजी स्वार्थ के चलते शुजालपुर कांग्रेस उम्मीदवार की जीत में बाधक बनते हैं। कांग्रेस का झंडा उठाकर भाजपा के लिए काम करने का बंटी बना का पुराना इतिहास रहा है। यही कारण है कि पिछले विधानसभा चुनाव के साथ ही इस विधानसभा चुनाव में भी बंटी बना ने कांग्रेस प्रत्याशी रामवीरसिंह सिकरवार का खुलकर विरोध किया। इतना ही नही बाद में बंटी बना ने पार्टी के साथ काम करने का दिखावा करते हुए कांग्रेस के खिलाफ मतदान कराकर भाजपा को फायदा पहुंचाने का काम किया। बंटी बना की इस जयचंदी कार्यशैली की पुख्ता खबर जब कांग्रेस हाईकमान को लगी तो तुरंत ही हाईकमान ने पत्र जारी कर बंटी को शाजापुर कांग्रेस जिलाध्यक्ष के पद से मुक्त कर दिया है।
स्वार्थ के चलते किया कांग्रेस के साथ भीतरघात
शुजालपुर विधानसभा पर योगेंद्रसिंह बंटी बना की हमेशा से ही नजर रही है और वे कांग्रेस हाईकमान से हर बार विधानसभा चुनाव में टिकट की मांग करते हैं, लेकिन उन्हे पार्टी के द्वारा टिकट नही दिया जाता है। ऐसे में अपने स्वार्थ के चलते बंटी बना प्रत्येक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के साथ भीतरघात करते हैं, ताकि कोई प्रत्याशी जीत हासिल न कर सके और बंटी बना को मौका मिल सके। बंटी बना शुजालपुर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडकऱ भी कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा चुके हैं और इसके बाद से लगातार वे पार्टी में रहते हुए दगाबाजी कर फूलछाप कांग्रेसी के तौर पर सक्रिय रहे हैं। कांग्रेस ने बंटी को शाजापुर जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी, किंतु बंटी बना ने इस महत्वपूर्ण पद की गरिमा को भी धुमिल करते हुए अपने फूलछाप होने का प्रमाण देते हुए कांग्रेस को खोंखला करने का काम किया जिसके बाद उन्हे पार्टी ने पद से हटा दिया है। सूत्रों की मानें तो बंटी बना को आगामी दिनों में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।