व्यापारियों की ‘प्रतिनिधि’ शहरी सीट पर पिंटू-गोलू की ‘प्रतिष्ठा’ का सवाल

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर की विधानसभा क्रमांक तीन अपने आप में रोचक है। छह शहरी सीटों में यह विधानसभा वास्तव में शहरी मानी जाती है क्योंकि शहर के हृदयस्थल राजवाड़ा से लेकर मोबाइल, अनाज, किराना, इलेक्ट्रॉनिक्स के सभी प्रमुख थोक बाजार इसी विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। यह सीट वैसे तो परम्परागत रूप से जोशी परिवार की मानी जाती है। पांच बार जोशी परिवार का इस सीट पर कब्जा रहा है, लेकिन पिछले दो बार से भाजपा का कब्जा है। इस बार कांग्रेस ने जोशी परिवार से महेश जोशी के बेटे दीपक पिंटू जोशी को उम्मीदवार बनाया है तो दूसरी तरह शुक्ला परिवार के राकेश गोलू शुक्ला इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार है। इस तरह पिंटू और गोलू उपनाम के युवा प्रत्याशियों के बीच यह सीट कांटे के मुकाबले वाली है। यह सीट शहरी प्रतिनिधि सीट के साथ ही प्रतिष्ठा का प्रश्न भी बन गई है। विधानसभा क्रमांक तीन 2018 से ही चर्चा में रही है। वजह रही कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय। 2013 में इस सीट पर उषा ठाकुर ने जीत हासिल की थी। लेकिन 2018 में उषा ठाकुर को महू भेजकर ये सीट आकाश को दे दी गई और उन्होंने जीत भी हासिल की। भाजपा ने यहां से आकाश के जगह युवा गोलू शुक्ला को टिकट दिया है। कांग्रेस ने युवा पिंटू जोशी को मैदान में उतारा है।

पिंटू पिछली बार से ही सक्रिय

इस बार की स्थिति कुछ उलट है। भाजपा ने भी बाह्मण प्रत्याशी राकेश गोलू शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया है। हालांकि उनके परिवार के राजेन्द्र शुक्ला को भी भाजपा ने एक बार यहां से प्रत्याशी बनाया था लेकिन उन्हें हार मिली थी। राजेन्द्र शुक्ला को विजयवर्गीय खेमे का ही प्रत्याशी माना जा रहा है, इस कारण आकाश विजयवर्गीय के हाथ में ही पूरी चुनाव की कमान है। उन्हें अचानक ही यहां से उम्मीदवार बनाया गया है लेकिन आकाश और टीम का साथ मिलने से वो यहां से नए नहीं दिख रहे हैं। उधर दूसरी ओर दीपक पिंटू जोशी पिछले चुनाव में भी टिकट के तगड़े दावेदार थे लेकिन अश्विन जोशी को अंतिम चुनाव की बात कहकर कांग्रेस ने टिकट दिया था। इसके बाद से ही वो यहां से सक्रिय रहे हैं, उसका फायदा भी उन्हें मिल सकता है। इसके साथ ही ब्राह्मण के साथ ही मुस्लिम वोट का साथ भी उन्हें मिलने की उम्मीद है। अश्विन जोशी की नाराजी को भी उन्होंने दूर कर उन्हें साथ कर लिया है। इसका भी फायदा उन्हें मिलेगा। कुल मिलाकर इस बार इस सीट पर मुकाबला बहुत ही कड़ा होगा। हालांकि अगर आकाश यहां से चुनाव लड़ते तो स्थितियां कुछ अलग होती, क्योंकि विधायक होने के साथ ही वो पांच साल सक्रिय भी रहे थे।

कांटे के मुकाबले में जीते आकाश

पिछले कुछ विधानसभाओं की बात करें तो यहां पर बीजेपी ने अपने अलग-अलग प्रत्याशियों को खड़ा करके इस सीट को अपने नाम किया है। वहीं कांग्रेस ने पिछले कुछ सालों से इस सीट पर जोशी परिवार के चेहरे को उतार रही है। वहीं 2018 के चुनाव में बीजेपी के आकाश विजयवर्गीय ने इस कांटेदार मुकाबले में 5,751 मतों के अंतर से कांग्रेस के अश्विन जोशी को परास्त किया था। 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 2,07,976 में से 1,30,178 मतदाताओं ने वोट दिये थे और 1,447 लोगों ने नोटा को वोट दिया था। इस सीट पर मैदान में 10 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला हुआ था। लेकिन मुख्य रुप से यह मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहा। इस बार भी लगभग यही स्थिति है।

जोशी परिवार का रहा दबदबा

इस विधानसभा पर सन 1977 में जनता पार्टी के राजेंद्र धारकर ने चुनाव जीता था, उसके बाद कांग्रेस के महेश जोशी ने उन्हें हरा दिया। 1980 से 1985 तक महेश जोशी इस सीट पर कायम रहे। 1990 में महेश जोशी को बीजेपी के गोपीकृष्ण नेमा ने हरा दिया। फिर 1990 से 93 तक गोपीकृष्ण नेमा ने ही इस सीट को बीजेपी के खाते में रखा, लेकिन 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अश्विन जोशी ने नेमा को हराकर फिर से कांग्रेस को सीट दिला थी। 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में भी अश्विन जोशी ने ही जीत हासिल की। 2013 के चुनाव में अश्विन जोशी को भाजपा की उषा ठाकुर ने हरा दिया। इसके बाद आकाश विजयवर्गीय ने भी अश्विन जोशी हो हराकर यह सीट जीती। इस प्रकार देखें तो कुल पांच बार जोशी परिवार यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में काबिज रहा है। अब उनकी दूसरी पीढ़ी इस सीट पर चुनाव लड़ रही है।

व्यापारिक क्षेत्र.. मुस्लिम-ब्राह्मण का गणित भी

इंदौर-3 नंबर इंदौर विधानसभा सीट इंदौर की सबसे पुरानी विधानसभा सीटों में से एक मानी जाती है और पुराना इंदौर इसी विधानसभा में आता है। इंदौर का हृदय कहा जाने वाला राजवाड़ा भी इसी विधानसभा में आता है। इस विधानसभा का अधिकतर हिस्सा व्यापारिक क्षेत्र में आता है, जहां पर जेल रोड जैसा मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मोबाइल मार्केट भी मौजूद है तो वहीं व्यापारिक दृष्टि से कोठारी मार्केट और सियागंज जैसा किराना मार्केट भी है तो वहीं छावनी के बड़े बाजार के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सामान का एमटीएच कंपाउंड, थोक कटलरी मार्केट खातीपुरा और अन्य सामानों का मार्केट मौजूद है। इन मार्केट से पूरे मध्यप्रदेश और देश के अन्य भागों को सामान की सप्लाई होती है। इस दृष्टि से यह सीट व्यापारियों की प्रतिनिधि सीट के रूप में भी जानी जाती है औऱ यहां का विधायक होना प्रतिष्ठा का विषय है। जातिगत समीकरण देखें तो इस विधानसभा सीट पर ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाता ही निर्णायक भूमिका निभाते हैं। दौलतगंज, जवाहर मार्ग, रानीपुरा, साउथ तोड़ा जैसे मुस्लिम इलाके इस क्षेत्र में हैं। दोनों या किसी एक समाज ने थोकबंद जिस प्रत्याशियों को अपना बहुमत दिया है, उस प्रत्याशी की विजय इस सीट से हो जाती है। जोशी परिवार को मुस्लिमों का आरंभ से ही साथ मिलता आया है लेकिन पिछले कुछ चुनावों से मुस्लिम क्षेत्रों से भी भाजपा को कुछ ही सही, वोट तो मिल रहे हैं।

कौन-कौन हैं मैदान में

  1. दीपक (पिंटू) जोशी –     कांग्रेस
  2.  राकेश (गोलू) शुक्ला –    बीजेपी
  3. बिबिशन नायक – रिपब्लिकशन पार्टी ऑफ इंडिया
  4. प्रकाश वर्मा –     बसपा
  5. निर्दलीय  –      आनंद जैन, महेश जोशी पिंटू, पंकज गुप्ता, राजेंद्र सिंह पनवार

कब-कौन जीता है इस सीट पर

  • 1977       राजेंद्र धारकर          जनता पार्टी
  • 1980      महेश जोशी               कांग्रेस
  • 1985      महेश जोशी               कांग्रेस
  • 1990      गोपीकृष्ण नेमा            भाजपा
  • 1993     गोपीकृष्ण नेमा              भाजपा
  • 1998     अश्विन जोशी               कांग्रेस
  • 2003    अश्विन जोशी               कांग्रेस
  • 2008    अश्विन जोशी               कांग्रेस
  • 2013     उषा ठाकुर                  भाजपा
  • 2018     आकाश विजयवर्गीय       भाजपा