स्वतंत्र समय, भोपाल
राजधानी में उखड़ी सडक़ों के दचके तो वाहनचालकों को बीमार ही कर रहे थे, अब वाहनों के चलने से उडऩे वाली धूल वाहन चालक और राहगीरों के लिए जानलेवा हो रही है। इधर उखड़ी सडक़ों से उड़ती धूल के कारण शहर की वायु गुणवत्ता(एक्यूआई) भी 300 के पार पहुंच गई, जो खराब श्रेणी में आती है। बावजूद इसके जिम्मेदार एजेंसियों के अधिकारी धूल को रोकने के लिए उखड़ी सडक़ों पर पानी का छिडक़ाव भी नहीं करा रहे हैं।
बता दें कि शहर में नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, बीडीए, हाउंसिग बोर्ड, भेल और पुलिस हाउंसिंग सोसायटी समेत अन्य एजेंसियों की करीब 4400 किलोमीटर सडक़ें हैं। मानसून पूर्व इनकी मरम्मत पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। लेकिन पहली बरसात ने ही इन सडक़ों की हालत खराब कर दी। हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले सितंबर और अक्टूबर माह में कुछ सड़कों की मरम्मत की गई। फिर भी शहर की 700 किलोमीटर से अधिक सडक़ें उखड़ी पड़ी हैं। जिससे रात के समय वाहन चालकों को इनमें दुर्घटना का डर तो दिन में धूल से संक्रमण का खतरा बना रहता है।
15 दिन में 45 प्रतिशत बढ़ा वायु प्रदूषण
शहर वायु गुणवत्ता मापने के लिए तीन स्थानों पर मापक यंत्र लगाए गए हैं। वर्तमान में इन तीनों स्थानों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार पहुंच गया है। जबकि 15 दिन पहले तक इन तीनों स्थानों का एक्यूआइ 200 से नीचे था। यानि कि तब शहर की वायु गुणवत्ता सामान्य स्तर पर थी। वहीं वर्तमान की बात करें तो रविवार को कलेक्ट्रेट परिसर में 332, पर्यावास भवन में 342 और टीटी नगर में लगे मापक यंत्र में 313 वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया गया। जो बेहद खराब स्थित में है।
18 प्रतिशत मरीजों की मृत्यु का कारण वायु प्रदूषण
हाल ही में जारी नेशनल इंस्टिट्यूट फार रिसर्च इन एनवायरमेंट हेल्थ(आइसीएमआर) की रिपोर्ट के अनुसार देश में 18 प्रतिशत मरीजों की मृत्यु का कारण वायु प्रदूषण से होने वाले रोग हैं। इस रिपोर्ट का खुलासा होते ही मप्र स्वास्थ्य विभाग ने भी अलर्ट जारी किया है। साथ ही सभी सीएमएचओ को जांच व इलाज की पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।जेपी अस्पताल के पूर्व अधीक्षक आइके चुग ने बताया कि वायु प्रदूषण से लोगों को आंख, कान, गला व त्वचा में जलन, गले में खराश, खांसी और सांस लेने में परेशानी हो सकती है। सिर दर्द, चक्कर आना और अस्थमा आदि। समेत अन्य रोग भी वायु गुणवत्ता के खराब होने से बढ़ते हैं। सबसे अधिक परेशानी उन लोगों को होती है जो निरंतर सडक़ों पर यात्रा करते हैं या फिर सडक़ों के किनारे व्यवसाय कर रहे हैं।
इन स्थानों की सड़कें खराब
शहर में सड़कों पर धूल को रोकने के लिए नगर निगम रोड स्वीपिंग मशीन से सफाई कराने का दावा करता है। लेकिन ये केवल वीआइपी क्षेत्रों तक ही सीमित है। जबकि उखड़ी सड़कों की मरम्मत तो दूर यहां पानी का छिडक़ाव भी नहीं किया जा रहा। सबसे अधिक खराब सडकें भेल, पुराने शहर और कोलार क्षेत्र में हैं। पिपलानी से खजूरी कला, सोनागिरी से कमला नगर, मैदा मिल से जिंसी, जेके रोड, कल्पना नगर, आनंद नगर, अवधपुरी और निर्माणाधीन कोलार सिक्सलेन सड़क सबसे खराब स्थिति में है।