शहर की सड़कें बनीं पार्किंग, अब जाम रोजाना हो रहा आम

स्वतंत्र समय, इंदौर

शहर में सडक़ों का इस्तेमाल पार्किंग के रूप में हो रहा है, इस कारण रोजाना ट्रैफिक कई इलाकों में उलझ रहा है। ऐसे में चार पहिया तो ठीक दोपहिया वाहन चालक भी नहीं निकल पा रहे हैं। गंतव्य तक पहुंचने का समय लगभग दोगुना हो गया है। इसकी वजह बढ़ते वाहनों के साथ ही सबसे बड़ी वजह सडक़ों पर पार्किंग है जिससे सडक़ों का दायरा सिमट गया है, ऐसे में प्रेशर टाइम में वाहन चालक गुत्थमगुत्था हो रहा है। वहीं शहर में कई जगह मल्टीलेवल पार्किंग बने हैं, लेकिन इनका प्रयोग कामयाब नहीं है क्योंकि लोग ग्राउंड की बजाय ऊपर जाकर वाहन पार्क करने से सामान्यत: बचते हैं। नगर निगम द्वारा बनाए गए पार्किंग की संख्या महज 19 है। शहर में पार्किंग समस्या की एक मुख्य वजह यह भी है। नगर निगम के 17 खुले पार्किंग तो कमोबेश सफल हैं, लेकिन छह स्थानों पर बनाए गए मल्टीलेवल पार्किंग में से ज्यादातर या तो खाली रहते हैं या शुरू नहीं हुए हैं।

इन जगहों पर तो सड़क पर ही पार्किंग

शहर की तकरीबन हर प्रमुख सडक़ पर पार्किंग की परेशानी है और काम्प्लेक्स, मॉल, होटल, अस्पताल आदि स्थानों पर आने वाले लोग सडक़ों पर ही पार्किंग करते हैं। इससे ट्रैफिक जाम होता है और दूसरे लोग परेशान होते हैं। यहां तक कि कालोनियों में भी अब गाडिय़ां खड़ी करने की जगह नहीं मिलती। शहर में फिलहाल 14 लाख से ज्यादा दो पहिया और करीब चार लाख से ज्यादा कारें हैं।

नगर निगम की खुले में ये पार्किंग कामयाब

कोठारी मार्केट, मेघदूत उपवन के पास, एमटीएच कंपाउंड पुलिस क्वार्टर के पास, नेहरू पार्क, संजय सेतु, कृष्णपुरा छत्री कंपाउंड और वीर सावरकर मार्केट गेट के पीछे, राजकुमार मिल सब्जी मंडी, सरवटे बस स्टैंड रेलवे फैंसिंग के पास, पीपल्यापाला रीजनल पार्क, महाराजा कॉम्प्लेक्स सेमी बेसमेंट, महारानी रोड स्थित गुजराजी कॉलेज, नगर निगम गेट के बाहर, महू नाका स्थित तरण पुष्कर, सिरपुर तालाब बगीचे के पास, जिंसी हाट मैदान, मालगंज चौराहा के पास खुले प्लाट पर और राजमोहल्ला सब्जी मंडी। ये सभी पार्किंग सफल हैं, क्योंकि लोग मल्टीलेवल पार्किंग के बजाय सडक़ किनारे वाहन खड़े करना ज्यादा पसंद करते हैं।

सडक़ों पर वाहनों की पार्किंग की कुछ बानगी…

इंदौर में सड़कों पर वाहनों की पार्किंग की बानगी देखने लायक है। इस पर भी सितम यह है कि पुलिस कार्रवाई नहीं करती। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी वाहन चालकों की हो रही है।

  1. रसोमा चौराहे पर फुटपाथ व सडक़ पर वाहनों का कब्जा : रसोमा चौराहे से रिंग रोड तक बनी सडक़ के कुछ हिस्से पर ही फुटपाथ है, लेकिन यह फुटपाथ भी अर्तिक्रमणकारियों के कब्जे में है। मेदांता अस्पताल के सामने फुटपाथ पर वाहनों की पार्किंग होती है। वहीं यहां चाय की गुमटी व रेस्टोरेंट संचालकों का कब्जा है। यहां रोड पर ही कारों खड़ी रहती हैं।
  2. संजय सेतु पार्किंग, 75 लाख खर्च पर नतीजा सिफर : इस समय शहर के मध्य बने संजय सेतु का पार्क सबसे ज्यादा समस्या का विषय बना हुआ है। नदी वाले एक हिस्से में संजय सेतु का पार्किंग है तो दूसरी ओर दुकानदार। इस तरह पार्किंग फुल होने पर सडक़ों पर कारें खड़ी रहती हैं तो दूसरी ओर दुकानदारों के वाहन व लोडिंग खड़े रहते हैं। ऐसे में प्रेशर टाइम में इस सडक़ पर अब जाम लगने लगा है।
  3. टीआई मॉल के वहां भी बुरे हॉल : इस मॉल के बेसमेंट में पार्किंग की व्यवस्था है लेकिन लोग बेसमेंट में पार्किंग से बचते हैं। इस कारण रोजाना अक्सर सड़क पर ही फोर व्हीलर और टू व्हीलर खड़े रहते हैं। इसके अलावा ऑटो व ई-रिक्शा खड़े होने से वाहन चालक परेशान होते हैं। मजे की बात यह है कि यहां पर यातायात की वैन भी आती है और वाहनों को कार्रवाई के दौरान लिफ्ट कर ले जाते हैं, तब भी वाहन चालकों की आदत में सुधार नहीं आ रहा है।
  4. बजाजखाने में जगह कम, फुटपाथी दुकानदार फजीहत : यहां पर मल्टीलेवल पार्किंग है लेकिन इसके बावजूद इलाका कम होने से वाहन चालक परेशान हो रहे हैं। वजह फुटपाथ पर बरसों से लगने वाली दुकानें। यहां पर नगर निगम और न पुलिस कोई कार्रवाई करती है, ऐसे में परेशानी वाहन चालकों के साथ ही ग्राहकों व राहगीरों की हो रही है। अक्सर हादसे भी हो रहे हैँ लेकिन ध्यान देने वाला कोई नहीं है। बजाजखाने से ही जुड़े मारोठिया, बोहरा बाजार और बर्तन बाजार के साथ ही छोटे सराफे की गलियां तीन दिशाओं से जुड़ी हैं जिससे यहां जाम की नौबत दिन में कई दफा बन रही है।

इसलिए… मल्टीलेवल पार्किंग का प्रयोग कामयाब नहीं…

  • लोग बेसमेंट या ऊपरी मंजिलों पर गाडिय़ां लगाना पसंद नहीं करते। शहर में ग्राउंड पार्किंग ही सफल है। इसका सबसे बेहतर उदाहरण बीसीएम हाइट्स (मंगल सिटी मॉल के पीछे) है, जिसका लोग खूब उपयोग करते हैं।
  • मल्टीलेवल पार्किंग ज्यादातर निजी-जनभागीदारी से बनाए जाते हैं, इसलिए उन्हें बनाने वाला नीचे दुकानें बनाता है और ऊपर पार्किंग। इससे लोग गाड़ियां रखने से बचते हैं।
  • नगर निगम को चाहिए कि वह मल्टीलेवल पार्किंग बनाने के बजाय ग्राउंड पार्किंग बनाए।  इसके लिए आसपास के बाजारों, कॉम्प्लेक्स को जोडक़र ग्रुप पार्किंग के कांसेप्ट पर भी काम किया जा सकता है।
  • भूमि विकास नियम-2012 में न्यूनतम 425 वर्गमीटर क्षेत्रफल (करीब 5000 वर्गफीट) का प्लाट होने पर ही पार्किंग की ऊंचाई संबंधी छूट मिलती है। सरकार को इस नियम को शिथिल करना चाहिए। अब समय आ गया है, जब हर घर में पार्किंग हो। निकायों को सरकार को सुझाव देना चाहिए कि पार्किंग संबंधी छूट का दायरा घटाकर 1000 वर्गफीट के प्लॉट पर भी दिया जाए। इससे कॉलोनियों में गाडिय़ां खड़ी करने संबंधी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।

मल्टीलेवल पार्किंग का यह हाल

  1. सुभाष चौकः यह वर्तमान में नगर निगम का इकलौता सशुल्क पार्किंग है और काफी सफल है।
  2. नगर निगम टैंपो स्टैंडः निशुल्क पार्किंग के बावजूद खाली रहता है। पूरी तरफ असफल।
  3. सी-21 माल के सामनेः पेट्रोल पंप के पास बना पार्किंग नि:शुल्क है, लेकिन सफल नहीं रहा।
  4. जवाहर मार्गः प्रेमसुख पर यह पार्किंग निशुल्क है और इसका इस्तेमाल पूरी तरह नहीं।
  5. बजाजखाना चौकः उक्त पार्किंग भी निशुल्क है और सफल है।