शहर में ‘मुकाबला’ भाजपा-कांग्रेस के बीच, महू-देपालपुर में  ‘त्रिकोणीय’

स्वतंत्र समय, इंदौर

17 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए गुरुवार को नाम वापसी की तारीख गुजर जाने के बाद अब स्थिति बिल्कुल साफ हो गई है। इंदौर शहर के छह सीट पर मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच ही है। वहीं तीन ग्रामीण सीट में से महू में अंतर सिंह दरबार और देपालपुर में राजेन्द्र चौधरी के निर्दलीय के रूप में मैदान में डटे रहने से भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए खासी मुश्किल रहेगी। यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। इन चुनावों के लिए 4286 नामांकन दाखिल हुए थे, जिसमें से 525 निरस्त हो गए थे। कुल 102 प्रत्याशी अंतिम रूप में मैदान में थे, जिसमें से 10 ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। अब कुल 92 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होगा। कल नाम वापसी की प्रक्रिया के बाद सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की स्थिति साफ हो गई है। विधानसभा चुनाव के लिए कुल 102 प्रत्याशियों के नामांकन स्वीकार हुए थे, जिसमें से नाम वापसी की प्रक्रिया के अंतिम दिन दस प्रत्याशियों ने चुनाव से नाम वापस ले लिया, जिससे जिले की नौ विधानसभा में अब 92 प्रत्याशी ही आमने-सामने हैं। इनमें से भाजपा व कांग्रेस के साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी भाग्य आजमा रहे हैं। विधानसभा वार सभी जगह अधिकतम 14 प्रत्याशी हैं, लेकिन एकमात्र विधानसभा पांच में 16 प्रत्याशी होने से वहां पर अब 364 मतदान केंद्रों के लिए 728 बैलेट यूनिट के साथ 20 प्रतिशत रिजर्व यूनिट की व्यवस्था भी करना होगी। अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार पांच नं. विधानसभा में दो बैलेट यूनिट लगाई जाएगी। एक बैलेट यूनिट पर 14 प्रत्याशियों के नाम के साथ एक नोटा का बटन अनिवार्य रहता है। अब 16 प्रत्याशियों के मैदान में होने के कारण नोटा को एक अलग बैलेट यूनिट पर प्रदर्शित किया जाएगा।

दरबार-चौधरी ने दिखाया है दम

महू विधानसभा सीट से अंतरसिंह दरबार दो बार विधायक बने। उसके बाद कैलाश विजयवर्गीय और फिर उषा ठाकुर ने यहां से भाजपा को जीत दिलाई। इस बार कांग्रेस से दरबार फिर से दावेदार थे लेकिन कांग्रेस ने उनके स्थान पर रामकिशोर शुक्ला को टिकट दे दिया। उनके मुकाबले में वर्तमान विधायक उषा ठाकुर है। दरबार ने भी ताल ठोंक ली और चुनाव लडऩे का फैसला कर लिया। अब यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला है। उधर दूसरी ओर देपालपुर विधानसभा में भी चुनाव त्रिकोणीय हो गया है। भाजपा ने पिछला चुनाव हारे मनोज पटेल को टिकट दिया है तो जबकि कांग्रेस ने विधायक विशाल पटेल पर भरोसा जताया है। इस बार स्थानीय नेता और संघ से पूर्व में जुडे रहे राजेन्द्र चौधरी अपनी जबरेश्वर सेना के बैनर तले निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। राजेन्द्र चौधरी ने मनोज पटेल की मुश्किल और बढ़ा दी है। की सांवेर विधानसभा सीट में भाजपा के तुलसीराम सिलावट और कांग्रेस की रीना बौरासी का मुकाबला है। शहरी विधानसभाओं में विधानसभा-1 में मुकाबला दिलचस्प है। भाजपा ने यहां से राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने मौजूदा विधायक संजय शुक्ला को ही टिकट दिया है। यहां पर लड़ाई राजनीति के अलावा समाज स्तर पर ही होगी। दो नंबर विधानसभा में मौजूदा विधायक रमेश मेंदोला का मुकाबला कांग्रेस के चिंटू चौकसे से है। इस बार कांग्रेस द्वारा पिछली कुछ चुनावों में जीत का अंतर कम होने की बात कही जा रही है। विधानसभा तीन में कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने विधायक अश्विन जोशी को हराकर जीत हासिल की थी। आकाश का टिकट कटने पर भाजपा ने गोलू शुक्ला को टिकट दिया है। वही कांग्रेस ने महेश जोशी के पुत्र पिंटू जोशी को मैदान में उतारा है। इससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

चुनाव का अंक गणित

  • कुल विधानसभा                  09
  • शहरी विधानसभा                06
  • ग्रामीण विधानसभा                03
  • कुल नामांकन                    4286
  • निरस्त नामांकन                  525
  • वैध नामांकन                   3718
  • कुल प्रत्याशियों की संख्या          102
  • नाम वापसी                     10
  • मैदान में डटे प्रत्याशी              92
  • सर्वाधिक प्रत्याशी                 16 (विस क्रमांक पांच)
  • शहरी सीटों पर मुकाबला     भाजपा-कांग्रेस
  • महू व देपालपुर में मुकाबला   त्रिकोणीय

आठ विधायक फिर से मैदान में

इंदौर जिले में कुल 9 विधानसभा सीटें हैं। अभी 6 सीटों पर भाजपा तो तीन सीट पर कांग्रेस के विधायक है। पिछली विधानसभा में चुने गए आठ विधायक संजय शुक्ला, रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़, महेन्द्र हार्डिया, जीतू पटवारी, तुलसीराम सिलावट, विशाल पटेल और उषा ठाकुर फिर से किस्मत आजमा रहे हैं। केवल भाजपा से आकाश विजयवर्गीय का टिकट उनके पिता कैलाश विजयवर्गीय को विधानसभा एक से टिकट देने के कारण काटा गया है। विधानसभावार देखें तो छह शहरी सीट पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच ही मुख्य मुकाबला है। वहीं दूसरी ओर तीन ग्रामीण सीट में से दो पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।