शासकीय जमीन पर कब्जा कर  9.5 करोड़ में बेच दीं 30 दुकानें, जनपद पंचायत और नगर पालिका के बीच विवाद जारी

स्वतंत्र समय, सारंगपुर

जनपद पंचायत और नगर पालिका के बीच चल रहे विवाद के बीच विवादित भूमि को कलेक्टर न्यायालय से राजस्व की घोषित करने और आदेश प्राप्ति के तीन दिन बाद नगरपालिका ने 9 करोड़ 56 लाख में बेच दिया है। नगर पालिका सारंगपुर की इस करतूत के बाद अब जनपद पंचायत सारंगपुर न्यायालय की अवहेलना का मामला दर्ज करवाने जा रही है।

क्या है पूरा मामला

सारंगपुर नगर के बीचों-बीच सर्वे क्रमांक 833 और 836 कुल रकबा 1.279 हेक्टेयर बीते 60 सालों से जनपद पंचायत के कब्जे की भूमि है। इस भूमि पर बीते दिनों जनपद पंचायत सारंगपुर आवासीय क्वाटर्स बनवाने के लिए प्रयासरत थी। इसी बीच सारंगपुर नगरपालिका ने इस जमीन पर कब्जा कर दुकाने बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। जानकारी मिलने पर दस्तावेजों के साथ जनपद के सभी चुने हुए जनप्रतिनिधियों ने हाईकोर्ट इंदौर में एक पिटिशन दायर कर स्टे ले लिया। याचिका ख़ारिज होने के बाद दोबारा पुनरीक्षण याचिका दायर की गयी, उक्त मामले में इंदौर हाईकोर्ट की डबल बेंच के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविन्द धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति हृदेश ने आदेश पारित कर कलेक्टर राजगढ़ को विवाद निपटाने के लिए सक्षम अधिकारी बताया और 6 सप्ताह में प्रकरण में न्याय के निर्देश दिए गए। कलेक्टर के पाले में गेंद आने के बाद कलेक्टर न्यायालय ने दोनों पक्षों के दस्तावेज देखने के बाद एक भी  दस्तावेज नही पाया गया जिससे दोनों में से किसी का मालिकाना हक सिद्ध हो सके। हालांकि जनपद पंचायत का कब्जा यहां सिद्ध हुआ है। लेकिन राजस्व न्यायालय कलेक्टर ने उक्त मामले में 14 सितम्बर को आदेश पारित कर उक्त जमीन को राजस्व की घोषित कर दी। खसरा बी वन में भी अब यह जमीन शासकीय राजस्व की भूमि के नाम पर दर्ज है।

आदेश प्राप्ति के तीन दिन बाद बेच दी जमीन

14 सितम्बर को आए इस फैसले के आदेश को कलेक्टर न्यायालय ने सारंगपुर नगरपालिका और जनपद पंचायत सारंगपुर को भेज दिया। 18 सितम्बर को सारंगपुर नगरपालिका को कलेक्टर न्यायालय का आदेश मिलने के बाद आननफानन में 30 दुकानों को बेचने के लिए आवेदकों को बुलाया और नीलाम बोली शुरू कर दी। 20 सितम्बर को कुल 197 आवेदकों के बीच बोली लगाई गयी जिसमे 30 दुकानों को 25 लाख से 39 लाख तक बेचा जाकर कुल 9 करोड़ 56 लाख से अधिक की वसूली नगरपालिका सारंगपुर ने कर ली ।  प्रभारी ने सभी 30 दुकाने नीलामी के माध्यम से 9 करोड़ 56 लाख रुपए में बेच दी गयी है । अब जनपद कर रही न्याय की मांग मामले की याचिका दायरकर्ता ज्योति दुर्गेश सोमानी और शांतिलाल नागर जनपद सदस्य ने बताया की हाईकोर्ट इंदौर के आदेशानुसार कलेक्टर राजगढ़ ने गुणदोष के आधार पर सभि दस्तावेजों की जांच उपरान्त फैसला सुनाकर विवादित भूमि को राजस्व कि घोषित किया था। जिसे प्राप्त करने के लिए जनपद ने दोबारा आवेदन भी किया है। बीते 60 सालों से जनपद का इस पर कब्जा है।