शिक्षा की बदहाली: बजट के अभाव में ड्रेस बनाने को तैयार नहीं महिला स्व सहायता समूह

स्वतंत्र समय, सीहोर

स्कूली शिक्षा विभाग आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। हालात कुछ यूं हैं कि शिक्षण सत्र शुरू हुए आधा साल बीत गया है लेकिन शासकीय विद्यालयों में विद्यार्थियों को गणवेश तक नहीं बाटे गए। बजट नहीं मिलने के चलते अभी जिले में महिला स्वसहायता समूहों ने गणवेश बनाने का काम शुरू नहीं किया है। गणवेश न होने का साफ असर विद्यार्थियों की उपस्थिति पर भी दिखाई दे रहा है। ड्रेस के आभाव में अनेकों छात्र-छात्राएं विद्यालय जाने में अरूचि दिखा रहे हैं। ऐसी स्थिति में आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा का सपना लक्ष्य से डगडमा रहा है।
गौरतलब है कि शिक्षण सत्र 2023-24 आधा बीत चुका है और शासकीय विद्यालयों में अभी तक छात्र-छात्राओ को डे्रस वितरण नहीं हो सका है। जबकि गणवेश के आभाव में राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस भी बीता, विद्यालयों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं भी संपन्न कराई गई और अब गणतंत्र दिवस भी आने को है किंतु अभी तक गणवेश बनाने का काम तक शुरू नहीं हुआ। स्थिति इस कदर बिगडी है कि शहरी क्षेत्र के स्कूलों में बीते शिक्षा सत्र की डे्रस भी नहीं बट सकी है।

बनाई जानी है एक लाख 86 हजार की ड्रेस

शासकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों की ड्रेस बनाने का जिम्मा आजीविका मिशन को सौंपा गया है। जिले में महिला स्वसहायता समूह स्कूली गणवेश तैयार करते हैं। जानकारी के अनुसार इस वर्ष एक लाख 86 हजार ड्रेस बनाने का आर्डर महिला स्वसहायता समूहों को मिला है। जिले में 108 समूहों ने डे्रस बनाने के लिए पोर्टल पर अपना पंजीयन कराया है। तो वहीं जिले में कुल 8500 महिला स्वसहायता रजिस्टर्ड हैं। बीते सत्र में 63 समूहों ने एक लाख 40 हजार ड्रेस तैयार की थी। जिनको करीब 4 करोड का भुगतान किया गया था।

एक लाख 5 हजार बच्चों को ड्रेस का इंतजार

शिक्षक मानते हैं कि जब बच्चे ड्रेस में होते हैं तो उनका आत्मविश्वास बढता है और पूरी कक्षा एकरूपता में नजर आती है। उनका मन भी पढाई में लगता है। विभागीय आंकडों की बात करें तो शिक्षा सत्र 2023-24 में कक्षा 1 से 8 तक एक लाख 5 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। जिनमें 49 हजार 455 बालक और 55 हजार 779 बालिका हैं वहीं जिले में 1320 प्राईमरी विद्यालय तो वहीं 684 माध्यमिक विद्यालय हैं।

पंजीयन होने लगे हैं

इस संबंध में एनआरएलएम के डीपीएम दिनेश बरफा कहते हैं कि पोर्टल पर समूहो ने पंजीयन करा लिया है, राज्य शिक्षा केन्द्र से विभाग को बजट प्राप्त नहीं हुआ है बजट मिलने पर समूह आगे काम शुरू करेंगे।

कई बार रिमांडर भेजा

डीपीसी आरआ उइके का कहना है कि यह शासन स्तर पर मामला है भोपाल से सारी प्रक्रिया प्रचलन में है शहरी क्षेत्र में अभी बीते सत्र की ड्रेस देने के लिए कई बार एनआरएलएम को पत्र लिख चुके हैं वह ध्यान ही नहीं देते हैं।