शिवपुरी जिले की पांच सीटों में से सबसे जोरदार मुकाबला कोलारस सीट पर

स्वतंत्र समय, शिवपुरी

शिवपुरी जिले की पांच विधानसभा सीटों में इस बार सबसे जोरदार घमासान कोलारस विधानसभा सीट पर देखने को मिला है। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के प्रत्याशियों ने जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। शहरी क्षेत्र में जहां भाजपा मजबूत नजर आई वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस का अच्छा जनाधार देखने को मिला। क्षेत्र में परिवर्तन की लहर के साथ-साथ लाड़ली बहिना योजना का प्रभाव भी प्रभाव भी नजर आया। हालांकि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया है लेकिन ऑफ दी रिकॉर्ड दोनों दलों के पैरवीकार स्वीकार कर रहे है कि जीत हार का अंतर पांच हजार मतों से अधिक नहीं होगा। अच्छे मतदान को हालांकि दोनों दलों ने अपने-अपने पक्ष का बताया है। इस विधानसभा क्षेत्र में लगभग 79 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
कोलारस विधानसभा क्षेत्र में 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी वीरेन्द्र रघुवंशी महज 750 मतों से विजयी हुए थे। उस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सिंधिया समर्थक महेन्द्र सिंह यादव को पराजित किया था। महेन्द्र यादव अब सिंधिया के साथ भाजपा में आ गए हैं और वह भाजपा टिकिट पर कोलारस से चुनाव लड़ रहे हैं। विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने भाजपा छोडक़र कांग्रेस की सदस्यता ले ली है और कांग्रेस ने भाजपा से आए सिंधिया समर्थक पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष बैजनाथ ङ्क्षसह यादव को उम्मीदवार बनाया है। कोलारस में यादव मतदाता निर्णायक स्थिति में है। पहली बार कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने यादव उम्मीदवारों को टिकिट दिया है। 30 हजार यादव मतदाताओं के समान ही कोलारस विधानसभा क्षेत्र में 30 हजार धाकड़ मतदाता भी है और इस वर्ग के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए बहुजन समाज पार्टी ने नवल धाकड़ को उम्मीदवार बनाया है। कोलारस में इसी कारण बसपा प्रत्याशी नवल धाकड़ कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा की संभावना अधिक प्रभावित कर रहे हैं। सजातीय वर्ग में कांग्रेस प्रत्याशी बैजनाथ सिंह यादव की भाजपा प्रत्याशी महेन्द्र यादव की तुलना में अधिक मजबूत पकड़ देखने को मिली। भाजपा समर्थक भी स्वीकार करते हैं कि यादव मतदाताओं का 60 प्रतिशत कांग्रेस प्रत्याशी को और 40 प्रतिशत भाजपा प्रत्याशी को मिलेगा, लेकिन वह यह भी कहते हैं कि परंपरागत रूप से कांग्रेस का वोट बैंक माने जाने वाले आदिवासी वर्र्ग में भाजपा ने इस बार मजबूत पकड़ बनार्ई है। कोलारस में आदिवासी मतदाताओं की संख्या लगभग 30 हजार बतार्ई जाती है। जाटव मतों का अधिकांश धु्रवीकरण कांग्रेस और बसपा प्रत्याशी के बीच में होना बताया जा रहा है। भाजपा की मजबूत पकड़ रघुवंशी, कुशवाह और लोधी मतदाताओं पर बताई गई है। इन वर्गों के पांच से सात हजार मतदाता है। वैश्य और ब्राह्मण मतों का कांग्रेस और भाजपा के पक्ष में धु्रवीकरण होने की उम्मीद है। सूत्र बताते है कि इस विधानसभा क्षेत्र में धन बल का भी जमकर उपयोग हुआ है। भाजपा प्रत्याशी महेन्द्र यादव के समर्थन में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 4 आम सभाऐं संबोधित की है। उनके अलावा इलाके में भाजपा के पक्ष में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की आमसभाऐं भी हुई है। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी बैजनाथ ङ्क्षसह यादव के समर्थन में सचिन पायलेट और दिग्विजय सिंह की आमसभाऐं अंतिम दिन हुई। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के प्रत्याशियों ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में जमकर पसीना बहाया है। किसी ने भी जीत के प्रयास में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस कारण मतदान समाप्त होने के बाद यह सुनिश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि इस विधानसभा क्षेत्र में तीन दिसम्बर को किस के गले में जीत का हार पड़ेगा और किसे निराशा का सामना करना पड़ेगा।

कांग्रेस-भाजपा दोनों ने किए अपनी-अपनी जीत के दावे

कांग्रेस प्रत्याशी बैजनाथ सिंह यादव के पुत्र रामवीर सिंह यादव अपने पिता की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं। मतदान समाप्त होने के दो दिन बाद उन्होंने विशलेषण कर बताया कि कांग्रेस प्रत्याशी बैजनाथ सिंह यादव 12 हजार मतों से विजयी होंगे। जबकि भाजपा नेता सिंधिया समर्थक हरवीर सिंह रघुवंशी का दावा है कि अंतत भाजपा प्रत्याशी महेन्द्र ङ्क्षसह यादव को विजयश्री हांसिल होगी। वह जीत का अंतर लगभग पांच हजार बताते है और कहते है कि हो सकता है यह अंतर घटकर दो तीन हजार तक सिमट जाए। लेकिन जीत भाजपा को मिलेगी।

लगभग दो लाख मतदाताओं ने किया मतदान

कोलारस विधानसभा क्षेत्र में लगभग दो लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में मतदान के प्रति अधिक ललक देखने को मिली। इसे भी कांग्रेस अपने पक्ष में बता रही है। इस विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख 8 हजार 338 पुरूष मतदाताओं ने मतदान किया। जिनका प्रतिशत 81.54 रहा। जबकि मतदान करने वाली महिला मतदाताओं की संख्या 91 हजार 532 रही और उनका मतदान प्रतिशत पुरूषों से 5 प्रतिशत कम होकर 76.41 प्रतिशत रहा।