शिवराज सरकार के 18 सालों में मप्र की अर्थव्यवस्था हुई खस्ताहाल: सुप्रिया श्रीनेत

भोपाल।

अभा कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय प्रवक्ता और आईटी प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने शुक्रवार को भोपाल के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया से चर्चा में प्रदेश की शिवराज सरकार को कठघरे में खड़ा किया। श्रीनेत ने कहा कि मध्य प्रदेश में भाजपा वाली शिवराज सिंह सरकार के 18 सालों में अर्थव्यवस्था हुई है खस्ताहाल, चालीस लाख युवा हैं बेरोजग़ार, महंगाई से है बुरा हाल और कर्जा बढ़ गया अपरंपार।
सुप्रिया ने कहा कि आज की तारीख़ में राज्य सरकार के ऊपर कऱीब 4 लाख करोड़ का कर्जा है, इस पर कऱीब 20 हज़ार करोड़ से ज़्यादा तो ब्याज चुकाती है शिवराज की सरकार। मोटे तौर पर इस समय मध्यप्रदेश के प्रति व्यक्ति पर 40,000 से ज़्यादा का कर्जा है। इनमें से एक लाख करोड़ का कर्जा तो पिछले दो सालों में ले लिया गया, जिसके चलते 5 साल में कर्ज़ा भी आपके ऊपर दोगुना हो गया। कर्ज बढ़ता गया और आमदनी जस की तस, अरे कर्ज लिया था तो निवेश करते, रोजग़ार बनाते, पर आमदनी बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। जिसके चलते सरकार का घाटा मतलब आमदनी और ख़र्चे के बीच का जो अंतर होता है वो तीन साल में तिगुना बढक़र 54,000 करोड़ पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि कर्जे में डूबी हुई सरकार रोजग़ार के बारे में नहीं सोचती, भ्रष्टाचार बेलगाम है, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां घोटाले नहीं हुए हों। पत्रकारवार्ता के दौरान मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा प्रमुख रूप से मौजूद थे।

बढ़ रही है बेरोजागारी

सुप्रिया ने कहा इसका सीधा संबंध बेरोजग़ारी से है। एक तरफ आपको कर्ज़ में डुबोया गया है, दूसरी तरफ़ आप बेरोजग़ार हैं। कितनी विडंबना है कि राज्य के 2 करोड़ युवाओं के भविष्य की कोई बाद ही नहीं कर रहा। 40,00,000 से ज़्यादा बेरोजग़ार प्रदेश सरकार के रोजगार विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर्ड थे जिनमें से मात्र 21 लोगों को नौकरी मिली। अब आगे सुनिए, हर नौकरी पर सरकार का खर्च कऱीब 80 लाख रुपये था, क्योंकि तमाम शहरों में एम्पलॉयमेंट एक्सचेंज खोले गए थे जिन पर कऱीब 17 करोड़ रुपये खर्च किए गए। उन्होंने कहा कि नौकरी ना मिलने का सबसे बड़ा कारण है कि यहाँ पर निवेश हिनहिना हो रहा – सरकारी नौकरी घोटालों और शिथिलता के चलते भारी नहीं जा रहीं और प्राइवेट क्षेत्र पैसा लगाने को तैयार नहीं। आखिर 18 साल में यहाँ कोई बड़ी इंडस्ट्री, कोई बड़ी फैक्ट्री, कोई बड़ा उद्योग घराना निवेश क्यों नहीं कर रहा है? यह सवाल सरकार से है।