शुभ महूर्त पर विराजेंगी मां दुर्गा श्रद्धालुओं में दिखा जमकर उत्साह

स्वतंत्र समय, सागर

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज 15 अक्टूबर से हो रही है। श्राध्द पक्ष के चलते रुके मांगलिक और शुभ कार्य नवरात्रि के पावन पर्व पर शुरू हो जाएंगे। नवरात्रि में पूरे नौ दिन देवी मां के अलग अलग स्वरूपों की आराधना की जाएगी। दुर्गोत्सव को लेकर शहर में जगह जगह तैयारियां की जा रहीं हैं। शारदेय नवरात्र में शहर में लगभग 200 स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी। शुक्रवार को मूर्तिकार मातारानी की प्रतिमाओं को पूर्ण करने लगे रहे। वहीं देवी मंदिरों में साज-सज्जा की गई। मां दुर्गा की उपासना के पर्व शारदीय नवरात्र की शुरुआत चित्रा नक्षत्र एवं जय योग में हो रही है। पर्व का समापन 24 अक्टूबर को विजयादशमी पर होगा। इस साल तिथि का क्षय नहीं होने के कारण नवरात्र पूरे नौ दिन तक चलेंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल माता हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। चूंकि हाथी संपन्नता का द्योतक है। इसलिए शारदेय नवरात्र संपन्नता बढ़ाने वाले होंगे।

सनातन धर्म में साल में चार बार नवरात्र आती है। इसमें दो नवरात्रि प्रत्यक्ष और दो नवरात्रि गुप्त होती हैं। अश्विन माह में पडऩे वाली शारदीय नवरात्र पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें मां दुर्गा की प्रतिमाएं विराजमान की जाती हैं। साथ ही कई स्थानों पर गरबा और रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है। इस 9 दिन के महापर्व के पहले दिन घट स्थापना कर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है। भक्त नवरात्रि के नौ दिन व्रत रखकर भी मां दुर्गा की आराधना करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्र रविवार से शुरू हो रहे हैं। यह दिन भगवान सूर्य की उपासना का दिन है। यानी इस दिन से मां शारदा की उपासना की शुरुआत बेहद खास व शुभ रहेगी। मातारानी की सवारी गज होगी। यानी इस साल मां शारदा हाथी पर सवार होकर आएंगी। इस बार तिथि का क्षय नहीं होगा। यानी शारदेय नवरात्र पूरे नौ दिन के रहेंगे। 23 अक्टूबर को नवमी तिथि दोपहर 2 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी। लेकिन दशहरा व दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन उदया तिथि में 24 अक्टूबर को ही मनेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार क्वांर की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर को पितृमोक्ष अमावस्या रात 10.43 बजे से शुरू हुई थी तथापि उदया तिथि के हिसाब से शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा 15 अक्टूबर को ही मानी जाएगी। इसके बाद प्रतिपदा तिथि 15 अक्टूबर को रात 11:40 बजे तक रहेगी। इसके बाद से द्वितीय तिथि लग जाएगी। यानी कलश स्थापना 15 अक्टूबर को रात 11:40 तक की जा सकती है।