शुरू हुआ चुनावी रण: निर्दलीयों ने भी कसी कमर, मुड़वारा सीट पर है सभी की नजर

स्वतंत्र समय, कटनी

कटनी जिले के 4 विधानसभा के लिए राजनीतिक दलों द्वारा अपने अपने अधिकृत प्रत्यासियो की घोषणाएं कर देने के बाद अब पूरी तरह तस्वीर साफ हो चुकी है। इस बार दोनों ही दलों काँग्रेस और भाजपा ने 4 विधानभा के सीटों पर 3-3 विधानसभा में वही पुराने चेहरे मैदान में उतारे है।  विजयराघवगढ़ से भाजपा ने विधायक संजय पाठक  को लगातार तीसरी बार मौका दिया है। उल्लेखनीय हैं इससे पूर्व संजय पाठक कांग्रेस से दो बार विजयरागढ़ से विधायक रह चुके है। 2014 में उनका कांग्रेस से मोह भंग होने के बाद उपचुनाव में भाजपा के विधायक चुने गए। तो वही काँग्रेस ने  नीरज सिंह बघेल के  रूप में  अपना प्रत्याशी उतारा हैं।हालांकि यहां से पूर्व प्रत्याशी रही पद्मा शुक्ला, और विधानसभा चुनावो की आहट के बाद पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह और संजय पाठक के सबसे पुराने मित्र संदीप बाजपेई पप्पू ने भी टिकट में दावेदारी जताई थी। फिलहाल विजयराघवगढ़ का चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। फिलहाल रोचक मुकाबला होने की संभावना बताई जा रही है।

विधानसभा मुड़वारा से फिर एक बार भाजपा और काँग्रेस ने वही पुराने ही उम्मीद्वारो पर दाँव खेला है,2018 के चुनाव में काँग्रेस के प्रत्याशी अधिवक्ता मिथलेश जैन लगभग 16080 वोटों से भाजपा प्रत्यासी वर्तमान विधायक संदीप जायसवाल से चुनाव में पराजित हो चुके है।2023 के होने वाले विधानसभा के लिए काँग्रेस और भाजपा ने फिर से इसी मुकाबले को दोहरा रही है और इस बार सत्ता विरोधी लहर  और विधायक के खिलाफ भाजपा के ही बागी नेताओ ने बगावत करके एक चुनौती सामने खड़ा किया है तो वही काँग्रेस प्रत्यासी मिथलेश जैन को फिर से उम्मीदवार बनाये जाने से अन्य नेताओं में एक बेचैनी बनी हुई है। हालांकि मुड़वारा  कांग्रेस से पूर्व विधायक सुनील मिश्र, पूर्व मेयर विजेंद्र मिश्र, जैसे बजनदार चेहरों ने भी अपनी दावेदारी जताई थी। इसके अलावा इंटक नेता बीएम तिवारी,अधिवक्ता संघ अध्यक्ष अमित शुक्ला, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष अंशु मिश्रा, प्रेम बत्रा, हरिशंकर शुक्ला,रौनक खंडेलवाल  भी टिकट की दौड़ में थे । लेकिन कांग्रेस के बरिष्ट नेताओ ने पुन: पूर्व प्रत्याशी रहे मिथलेश जैन पर भरोसा किया अब देखना हैं कटनी की जनता क्या परिणाम देती हैं। मुड़वारा में कांग्रेस भाजपा दोनो दलों में

भितरघात से इंकार नही किया जा सकता

विधानसभा बड़वारा की अगर बात करे तो सुरक्षित आदिवासी सीट पर काँग्रेस की इकलौती सीट जहाँ से विधायक काँग्रेस का है विजयराघवेंद्र सिंह उर्फ बसन्त सिंह को फिर से 2023 में भी रिपीट उम्मीदवार बनाया है तो वही भाजपा ने बड़ी चतुराई से बड़वारा विधायक के परिवार के सदस्य को ही अपना प्रत्यासी बनाकर घर मे ही दो फाड़ कर चुनाव में सेंध मारने का एक बड़ा काम कर दिया है। भाजपा ने बड़वारा से धीरेंद्र सिंह को अपना प्रत्यासी बनाया है जो काँग्रेस विधायक के चचेरे भाई है, इस बार बड़वारा का चुनाव आपसी टकराव और बहुत नजदीकी का होने जा रहा है ? विधानसभा बहोरीबंद की हम बात करे यहाँ फिर से एक बार काँग्रेस और भाजपा दोनों ने ही उसी चेहरो पर दाँव खेला है जो पूर्व के 2018 में आमने सामने रहे और जिसमे भाजपा की जीत 16063 वोट से प्रणय पांडेय जीते रहे,काँग्रेस प्रत्यासी जो फिर से उम्मीदवार बने है कुँवर सौरभ सिंह पिछला चुनाव में हुई रही हार,इस बार ये बहोरीबंद विधानसभा में क्या हिसाब करेंगे सौरभ बराबर या प्रणय पांडेय अपनी जीत रखेंगे बरकार। इस तरह कटनी जिले की 4 विधानसभा में ज्यादातर सीटों पर वही पुराने चेहरे चुनावी मैदान में है।

आज की जन प्रतिक्रिया

ब्राह्मण और पिछड़ा वर्ग भी आम मतदाताओं में शामिल है। मतदान में सभी विकास सहित जनहितैषी विषयों पर ही मत के माध्यम से अपनी-अपनी पसंद को व्यक्त करते हैं। उम्मीदवार तो बस एक पार्टी का मुखौटा पहने रहता है विजेता बनने के पश्चात दुर्भाग्यवश इसे उतार कर ” सरकारी कठपुतली” बन आम मतदाताओं तथा उनसे किए गए वादों को पूरा नहीं करता।  अपने आदर्श आचरण और जिम्मेदारी को आगामी पांच वर्षों के लिए लाकर में  क्यों डाल देता है?

कटनी शहर का विकास और विनाश पर्यायवाची बन गए

विगत बीस सालों से निर्वाचित भाजपाई विधायकों ने और न प्रतिपक्ष के नेताओ जन गण मन मंगल हेतु जनविरोधी नीतियों का विरोध नहीं किया। नगर निगम कटनी सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में कमीशन की अफवाहें क्यों कर फैल रहीं हैं ?