सियासत के रंग में रंगे कांग्रेस-भाजपा, मुड़वारा कटनी में ब्राह्मण मतदाताओं का वर्चस्व

  • कटनी की सीट को लेकर आशंकित मतदाता
  • चौपालों में छिड़ी सियासी जंग

स्वतंत्र समय, कटनी

जैसे जैसे चुनावो की तारीखें नजदीक आती जा रही है वैसे वैसे राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।दोनो प्रमुख राजनैतिक दलों कांग्रेस और भाजपा ने अभी अपने पत्ते ओपन नही किये। अलबत्ता  आम आदमी पार्टी बसपा,सपा,ने लगभग अपने उम्मीदवारों का चयन कर घोषणा भी कर दी है या नाम तय कर लिए है। सबसे दिलचस्प  स्थिति कांग्रेस से उम्मीदवारों की है कटनी मुड़वारा 93 से तमाम उम्मीदवार कांग्रेस टिकट चाह है इनमे से ज्यादातर  उम्मीदवार भाजपा के सामने बौने हैं। इनका भाजपा से जीतना अत्यंत कठिन है। 20 सालों से कांग्रेस कटनी मुड़वाड़ा से हारती चली आ रही है। वजह साफ कांग्रेस ने यहाँ  उम्मीदवारों का चयन सही नही किया। वरना कटनी मुड़वाड़ा में लगभग 37 हजार ब्राह्मण, 18 हजार सिंधी, 12 हजार मुस्लिम,8 हजार जैन 14 हजार पिछड़ा बर्ग के अलावा अन्य जातियॉ के मतदाताओं के बाहुल्य क्षेत्र कटनी मुड़वाड़ा कांग्रेस का गढ़ था। मुड़वाड़ा विधानसभा के लिए कांग्रेस ने यहाँ की जनता की पसंद को तबज्जो नही दी नतीजा लगातार हार मिल रही है। 2008 के दौर में भाजपा के गिरिराज किशोर पोद्दार से  कांग्रेस के प्रियदर्शन गौर लंबे अंतराल से हारे 2013 के दौर में निर्दलीय महापौर रहे संदीप जायसवाल को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया लिहाजा कांग्रेस के उम्मीदवार फिऱोज अहमद मुस्लिम प्रत्याशी की बजह से हारे, 2018 के दौर में कांग्रेस की लहर के बाबजूद कांग्रेस के प्रत्याशी मिथलेश जैन, निजी छवि के चलते भाजपा पुन: संदीप जायसवाल से हार गए। बीते बर्षो के तमाम आंकड़ों के मुताबिक कांग्रेस ने मुड़वाड़ा से जीतने के प्रबल नेताओ को प्राथमिकता नही दी।लिहाजा अब तक कांग्रेस द्वारा दिये  चेहरों पर कटनी शहर के मतदाता भरोसा ही नही जता सके। कमोबेश यही हाल नगर निगम चुनाव का भी रहा कांग्रेस ने पूर्व सुनील मिश्रा के नाम की घोषणा के बाद मेयर उम्मीदवार सिंधी सामुदाय से चीनी चेलानी को प्रत्याशी बनाया नतीजा कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने पिछले नगर निगम पुन: में प्रयोग किया और युवा तुर्क महिला श्रेहा रौनक खण्डेलवाल को प्रत्याशी बनाया लेकिन श्रेहा भी कांग्रेस की उम्मीद पर खरी नहीं उतर सकी ।

विधानसभा चुनाव सामने है अगर कांग्रेस कटनी सहित जिले भर में अपना परचम लहराना चाहती है तो किये गए कांग्रेस उम्मीदवार सर्वे को प्राथमिकता देनी होगी अन्यथा कांग्रेस की डगर कठिन है। दरअशल कटनी मुड़वाड़ा एक व्यापारिक नगरी है यहाँ वही प्रत्याशी जीत सकता है जो शांत सुलभ और मिलनसार छवि का हो कांग्रेस के पास ऐसा उम्मीदवार है भी जिसने प्रथम मेयर रहते शहर में जनहित कारी कार्य किये अपनी छवि और पारिवरिक पृष्टभूमि के चलते लोकप्रियता भी हासिल की । कांग्रेस सर्वे में प्रमुखता से  विजेंद्र मिश्र का नाम  है और जन चर्चा में भी यही नाम है। जिसका भाजपा के पास दूर दूर तक कोई तोड़ नही है। लेकिन कांग्रेस की भाई भतीजावाद की राजनीति चलते प्रत्याशी चयन में निजी हितों को प्राथमिकता दी गई।यही कारण है कांग्रेस की डगर कठिन है।

क्या गुल खिला गए अजय सिंह

पिछले दिनों  जन आक्रोश यात्रा का रथ कटनी आया जिसकी अगुवाई बरिष्ट कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल कर रहे थे।इनकी अगुवाई के लिए कटनी के कांग्रेसियों ने पलक पावड़े बिछा रखे थे  अजय सिंह कटनी आए तो लेकिन रात में अपने रिश्तेदार पूर्व विधायक डॉक्टर ए पी सिंह के निवास पर कुछ खास लोगों से गुफ्तगू करके वापस भोपाल रवाना हो गए और कांग्रेसी माले और गुलदस्ते लिए खड़े रह गए। लिहाजा  शहर में कांग्रेस की भड्ड पिट गई।

सूत्रों के मुताबिक अजय सिंह स्व. डॉ ए पी के परिजनों के बहाने भाजपा विधायक संदीप जायसवाल पर डोरे डालने आयेे थे कांग्रेस के विचैलियों का एक धड़ा  विधायक संदीप जायसवाल को कांग्रेस से टिकट दिलाकर निजी हित साधना चाहता है। ये वही धड़ा है जो कभी कांग्रेस हितैसी नही रहा।  जबकि कटनी का मतदाता भाजपा विधायक संदीप जायसवाल से नाखुश है। अब संदीप कांग्रेस से लड़े या भाजपा से जन चर्चा के मुताबिक डगर कठिन है। यही बजह भाजपा संदीप की जगह अन्य पूर्व महापौर शशांक श्रीवास्तव, अशोक विश्वकर्मा, रामरतन पायल, सुनील उपाध्याय, रवि खरे, विनय दीक्षित के नामो पर विचार हो सकता है। वही कांग्रेस में  सर्वे में प्रमुखता से उभरे ब्राह्मण मतदाताओं की पसंद बन कर उभरे विजेंद्र मिश्र राजा भैया, के अलावा पूर्व विधायक सुनील मिश्र, पिछली कांग्रेस लहर में हारे मिथलेश जैन, कटनी की मात्र 23 हजार सिंधी वोटरों के समुदाय से नवोदित नेता बने प्रेम बत्तरा, यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष अंशु मिश्रा के अलावा महापौर प्रीति संजीव सूरी के पुत्र गौरव सूरी प्रवल दावेदार है।लेकिन भाजपा के पास संदीप के अलावा कोई विकल्प भी नही है जो कांग्रेस के सम्भावित सबसे बजनदार उम्मीदवार विजेंद्र मिश्र को कड़ी टक्कर दे सके।