अधिकारी-कर्मचारियों को सता रही जिले के बाहर तबादलों की चिंता

स्वतंत्र समय, सीधी

विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा सरकार की वापसी के बाद कलेक्ट्रेट समेत अन्य सरकारी दफ्तरों में प्रशासनिक कामकाज जरूर सामान्य हो गया है, लेकिन पुरानी पेंशन की मांग के समर्थन में सत्ता विरोधी वोट देने से अधिकारी-कर्मचारी वर्ग को बाहरी जिलों में तबादलों की चिंता सताने लगी है। इसका फैसला तो सीएम के शपथ लेने के बाद होगा। इसकी सुगबुगाहट कर्मचारी वर्ग की चर्चा में सुनी जा रही है। देखा जाए तो भाजपा सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार के बाद भी 1 सीट गंवाते हुए तीन विधानसभा सीट बरकरार रखने में कामयाब रही। चुनाव परिणाम में साफ तौर पर दिखाई दिया कि अधिकारी- कर्मचारी वर्ग और उनके परिवार ने पुरानी पेंशन की मांग के चलते सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस को अधिक वोट दिए। इससे सभी विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के वोट कम हुए। भाजपा गलियारों की चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के पहले बनाई गई तबादला की सिफारिशी सूची को पुन: निकाला जाएगा। इससे अधिकारी- कर्मचारी भी चिंतित हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले सर्जरी संभव
विधानसभा चुनाव के नतीजों की प्रशासनिक गलियारों में हो रही चर्चा में ये कहा जा रहा है कि अप्रैल में लोकसभा चुनाव है। इससे पहले प्रदेश सरकार कुछ स्तर पर प्रशासनिक सर्जरी कर सकती है। जिस अधिकारी- कर्मचारी का परफॉर्मेंस खराब रहा और उसका चुनाव परिणाम पर प्रभाव पड़ाए उन्हें हटाया जा सकता है। इसके चलते हर कोई सीएम के शपथ लेने के बाद उठाए जाने वाले कदमों की प्रतीक्षा कर रहा है। भाजपा सरकार की वापसी के बाद सीएम के शपथ लेने के इंतजार में अधिकारी-कर्मचारियों ने लाड़ली बहना समेत अन्य योजनाओं को सामान्य गति से काम शुरू कर दिया है। फिर भी ज्यादातर अधिकारियों का मानना है कि सीएम, मंत्रियों और सरकारी विभागों के बंटवारे के बाद ही तेजी से योजनाओं पर काम हो सकेगा। अधिकांश पुराने मंत्री हार गए हैं। अब नया मंत्रिमण्डल बनेगा। फिलहाल वे सिर्फ इंतजार कर रहे हैं।
अब है शपथ का इंतजार
भाजपा सरकार आने से नगर निगम की कांग्रेस परिषद को झटका लगा है। उन्हें कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने का इंतजार था। लेकिन चुनाव परिणाम निराश कर गए। इससे कांग्रेस पार्षदों और पदाधिकारियों में निराशा है। भाजपा पार्षदों में खुशी की लहर है। वे कह रहे हैं कि सरकार के शपथ लेने के बाद निगम में उनकी भागीदारी मजबूत होगी। इधर कर्मचारी वर्ग तीन माह से तनख्वाह न मिलने से परेशान है। निगम कार्यालय में सन्नाटा है। अधिकारी कर्मचारियों को नई सरकार के कामकाज की गाइडलाइन का इंतजार है।