स्वतंत्र समय, श्रीधाम
विगतदिवस स्थानीय जैन समाज के दसलक्षण पर्यूषण पर्वराज समापन के अंतिम दिवस अनंत चौदस पावन पर्व के शुभ अवसर पर श्रीदेव पारसनाथ दिगंबर जैन पंचायती बड़ा मंदिर से श्रीजी की भव्य शोभायात्रा भक्तिभाव श्रद्धापूर्वक हर्षोल्लासमय वातावरण के साथ धूमधाम से निकाली गई भव्य शोभायात्रा नगर के विभिन्न मार्गो से धूमधाम हर्षोल्लास के साथ निकाली गई शोभा यात्रा के आगे आगे रथ पर सवार झांकियां शोभायात्रा की शोभा में चार चांद लगाते हुए आगे आगे चलने के साथ साथ गाजे- बाजे बैंड बाजे की मधुर संगीतमय धुन पर नव युवकों की टोलियां झूमते नाचते गाते हुए भजनों की की प्रस्तुति कर संपूर्ण नगर का वातावरण धर्म में बनाते जयकारे लगा रहे थे चांदी से निर्मित पालकी में स्वर्ण की कलात्मक आकर्षक डिजाइनों से निर्मित सुसज्जित अति सुंदर पालकी में नगर में स्थित सातो जिनालयो के विराजमान भगवान जिनेंद्रदेवजी मानो ऐसे प्रतीत हो रहे थे ।
जैसे स्वर्ग लोक से इंद्र उतर कर श्रीधाम की पावन धरा पर श्री जी का विमान लेकर नगर में भ्रमण करा रहे हैं यह परम सौभाग्य का अवसर है जब भगवान जिनेंद्र सुसज्जित आकर्षक पालकी में इंद्र की वेशभूषा धारण किए हुए भक्तों के कंधों पर सवार होकर निकलने पर श्री जी की जगहजगह श्रावक श्राविकाओ ने भक्तिभाव श्रद्धा के साथ आरती वंदनकर से आशीर्वाद प्राप्तकर अपना जीवन धन्य बनाकर धर्मलाभ उठाया श्री जी की भव्य शोभायात्रा सराफा बाजार स्थित जिनेंद्रदेव 1008 श्री शांतिनाथ जिनालय ट्रस्टकमेटी 1008 श्री मुनि सुब्रतनाथ जिनालय ट्रस्टकमेटी श्री पारसनाथ छतारेलाल दिगंबर जैन मंदिर कमेटी द्वारा श्री जी की भव्य आरती वंदन भक्तिभाव के साथ करने के उपरांत भव्य शोभा यात्रा श्रीदेव ठाकुरबाबा मंदिर से माता महाकाली चौराहा से पथरिया कुआं होते हुए नवनिर्मित विद्याभवन पहुंची जहां पर भगवान जिनेंद्रदेव 1008 देवाधिदेव श्री आदि नाथ भगवानजी श्री पारसनाथ भगवानजी 1008 श्री शांतिनाथ भगवानजी 1008 श्री मुनि सुब्रतनाथ भगवान जी 1008 श्री नेमिनाथ भगवानजी वर्तमान जिन शासन नायक श्री महावीर स्वामीजी का अभिषेक शांतिधारा पूजन अर्चन आरतीवंदन पूर्ण विधि-विधान मंत्रोच्चारण के साथ ब्रह्मचारी भैयाजी सांगानेर वालों द्वारा अमृत वाणी से कराए जाने के उपरांत अपनी अमृत मयवाणी से श्रद्धालुबंधुओं को धर्म उपदेश देकर धर्म की राह पर चलने का मार्ग प्रशस्त किया तत्पश्चात रात्रि मे भगवान जिनेंद्रदेव की संगीतमय धुन पर शानदार महाआरती की प्रस्तुति किये जाने के उपरांत ब्रह्मचारी भैयाजी द्वारा अपनी अमृतवाणी की धर्मसभा को संबोधित किया गया इस अवसर पर सातों जिनालय के ट्रस्टीगण सकल जैन समाज के श्रावक श्राविकाएं नवयुवक बालक बालिका बड़ी संख्या में उपस्थित थे।