स्वतंत्र समय, भोपाल
अपने सख्त लहजे का लगातार परिचय कराते हुए सीएम डॉ. मोहन यादव अब विभागों को राजस्व के जरिए पेट भरने का मन बना रहे हैं। जिन विभागों को सीएम कमाऊ वाले मान रहे हैं, उनमें अन्य संसाधनों को लागू कर अतिरिक्त राजस्व जुटाने की योजना पर काम करने के लिए अफसरों की फौज तैयार कर रहे हैं। सरकार अपनी घोषणाओं को पूरा करने के लिए आर्थिक स्थिति मजबूत हो तभी सभी योजनाओं को फंडिंग भी निर्बाध रुप से हो सकेगी। इसके लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाने को लेकर सीएम ने रणनीति पर काम करने के लिए अफसरों को निर्देश भी दिए हैं। इतना ही नहीं वाणिज्यिक कर, खनिज साधन, वन, ऊर्जा, राजस्व सहित अन्य विभागों को बकाया वसूली से लेकर नए विकल्प भी तलाशने होंगे। इसके लिए मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने अपर मुख्य सचिव वित्त अजीत केसरी को कार्ययोजना बनाने के लिए कहा है तो वे स्वयं राजस्व संग्रहण वाले प्रमुख विभागों की समीक्षा करेंगे।
तीन लाख 14 हजार करोड़ रुपये प्रदेश का बजट
वित्त विभाग ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि राजस्व संग्रहण के जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, उन्हें हर हाल में पूरा किया जाए। प्रदेश का बजट तीन लाख 14 हजार करोड़ रुपये का है। अनुपूरक अनुमान को मिलाकर यह तीन लाख तीस हजार करोड़ रुपये के आसपास हो रहा है। राज्य कर से इस वर्ष 86 हजार 500 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया है, जो गत वर्ष की तुलना में 19 प्रतिशत अधिक है, लेकिन सरकार की जो घोषणाएं हैं, उसकी पूर्ति के लिए अधिक राशि की आवश्यकता होगी। इसे देखते हुए सरकार ने राजस्व संग्रहण करने वाले प्रमुख विभागों को लक्ष्य पूरा करने के साथ नए विकल्प तलाशने के लिए कहा है।
विभागों से रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश
मुख्यमंत्री कार्यालय ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे रिपोर्ट तैयार करें। वन, राजस्व, खनिज, वाणिज्यिक कर सहित राजस्व संग्रहण वाले विभागों ने प्रस्तुतीकरण भी तैयार कर लिया है। इधर, वित्त विभाग पहले ही विभागों को राजस्व संग्रहण बढऩे के निर्देश दे चुका है। यह तैयारी लोकसभा चुनाव के पहले सरकार की प्राथमिकता वाले कार्यों को पूर्ण करने को लेकर भी की जा रही है।
विभाग ही बनाएंगे अब कार्यवाही विवरण
मुख्यमंत्री की बैठकों के कार्यवाही विवरण तैयार करने की जिम्मेदारी भी विभागों की होगी। मुख्यमंत्री ने मंत्रालय में उनकी अध्यक्षता में आयोजित बैठकों के संदर्भ में यह नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत अब जिस विभाग की समीक्षा बैठक होगी, वह ही कार्यवाही विवरण तैयार करेगा और उसका मुख्यमंत्री से अनुमोदन कराया जाएगा। अभी तक मुख्यमंत्री द्वारा की जाने वाली विभागीय समीक्षा बैठकों के कार्यवाही विवरण मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा तैयार किया जाता था।