स्वतंत्र समय, जीरापुर
हमेशा से सुर्खियों में रहने वाले सीविल अस्पताल में आये दिन स्टाफ नर्सो द्वारा मरिजो और उनके परिजनों से बदसलूकी करने की आये दिन शिकायतें मिलने के बावजूद भी अस्पताल प्रबंधन व वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ध्यान नही दिया जा रहा है जिसका खामियाजा लोगों को उठाना पड रहा है मामला जब और गंभीर हो जाता है जब डूयुटी पर नियुक्त स्टाफ नर्सो ने ड्रीप तक निकालने से मना कर दिया और परिजनों से दुर्व्यवहार किया ऐसे में वही काम करने वाली एक महिला सफाई कर्मचारी ने ड्रीप निकाली। शनिवार सुबह स्कूल के टूर से लौटकर आये कक्षा 10 वी के छात्र गौरव को सुबह अचानक पेट दर्द उल्टी दस्त होने पर परिजन सीविल अस्पताल लेकर पहुंचे जहा अस्पताल में कोई डाक्टर मौजूद नहीं थे इस पर सीविल अस्पताल ही निवास कर रहे डाक्टर विवेक दूबे को फोन लगाया इस डाक्टर दूबे ने उपचार कर अस्पताल में ड्रिप लगवाने की बात कही वहाँ मौजूद स्टाफ ने पर्चे पर लिखी एक ड्रिप अस्पताल में उपलब्ध नहीं होने के बाद बाजार से लाने की बात कही करीब 20 मिनिट की देरी से दर्द से परेशान बालक को ड्रिप चढाई गई जब परिजनों ने स्टाफ नर्स से बोला की एक ड्रिप अस्पताल से ही लगना थी तो आप चाहती तो इसे पहले भी लगवा सकती बाजार की ड्रिप बाद में लग जाती इस पर डूयुटी नर्स ने कहा कि हमे पूरी रात हो जाती जल्दी थी तो दूबे जी के यहा ही प्रायवेट रुप से लगवा लेते ।
इस बीच अस्पताल के रुटीन के तहत स्टाफ नर्स की डूयुटी बदलने के उपरांत जब अस्पताल में भर्ती बालक की ड्रिप की दवा खत्म होने पर स्टाफ रुम में तीन नर्से मौजूद थी जब बालक के परिजन ने स्टाफ रुम में नर्स से ड्रिप निकालने की बोला तो नर्सो ने मना कर दिया डूयुटी नर्स ने ड्रिप निकालने से साफ इंकार कर दिया और कहा की यह हमारा काम नहीं है जब बालक की मम्मी ने उनसे कहा की यह भी तो आपका काम है तो फिर कौन निकालेगा इस पर डूयुटी नर्स ने अभद्रता करते हुए कहा की कल से मुझसे झाड़ू पौछा तक लगाने की कहोगे तो क्या ये भी में करूगी और तुम मुझे बताऊगी क्या करना चाहिए।
इस वाकये के बाद अस्पताल में ही सफाई का काम करने वाली महिला सफाई कर्मचारी ने जाकर सुई निकाली। अस्पताल में नियुक्त नर्सो द्वारा आये दिन मरीजों और उनके परिजनों से दुर्व्यवहार किया जाता है शिकायत के बाद भी अधिकारीयों द्वारा कार्रवाई नही करने से स्टाफ नर्सो की मनमानी चल रही है। शासन द्वारा भले ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लाख दावे किये जा रहे परंतु जमीनी हकीकत में आज भी सरकारी अस्पतालों में लोग उपचार कराने से आज भी कतराते है इसका जीता जागता उदाहरण जीरापुर का सीविल अस्पताल है जिले भर के अस्पतालों में मरिजो को भर्ती के लिए बैड नही मिल पाते हैं एक एक पलंग पर दो दो लोगों को भर्ती किया जा रहा है परंतु जीरापुर के अस्पताल में सभी बैड हमेशा खाली ही दिखाई देते हैं।
अस्पताल में दवाओं का है टोटा
कहने को तो सिविल अस्पताल का दर्जा मिल चुका है परन्तु सुविधाओं के नाम पर अस्पताल में मरिजो को सिर्फ परेशानी उठाना पड़ रही है अस्पताल में कई तरह की दवाओ की कमी तो है परंतु 20 से 30 रुपये तक बाजार में मिलने वाली ड्रिप बाटल भी मौजूद नहीं है सुबह जिसे बाहर से खरीदने के लिए मेडीकल खुलने तक का इंतजार करना पडा 7 जबकि जीरापुर रोगी कल्याण समिति भी आर्थिक रूप से सक्षम होने के बावजूद भी मरिजो की छोटी मोटी आवश्यकता ओ की पूर्ति नहीं कर सकती है।
इनका कहना है
मै अभी बाहर हुं किस नर्स ने ड्रिप निकालने से इंकार किया इसकी जानकारी लेकर इन की क्लास ले रहा हुं।
-डाक्टर मनोज कुमार गुप्ता, ब्लाक मेडिकल आफिसर।