आदिवासी बस्तियों में आज भी नहीं है बिजली की सुविधा, सर्वे तक सिमटी विद्युत मण्डल की कार्रवाई, नहीं होती सुनवाई

स्वतंत्र समय, शहडोल

जिले के अधिकांश ग्रामीण अंचलों के आदिवासी टोलों में आज भी विद्युत व्यवस्था का अभाव है। हालांकि पंचायत चुनावों के समय अथवा विधानसभा चुनाव के समय इन बस्तियों के रहवासियों को आश्वासन दिया जाता है लेकिन आज तक आश्वासन पूरा नहीं हुआ। अधिकांश आदिवासी टोलों के लोग चिमनी के उजाले में रात बिताते हैं। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि इस समय मिट्टी का तेल डीजल से भी अधिक मंहगा है और राशन दूकानों में नहीं मिलता है, इसलिए रात को अंगीठी जलाकर सोना पड़ता है। अब तो गरीबों को मिट्टी का तेेल भी दूभर हो गया है। शासन लोगोंको भरमाने के लिए बड़े बड़े वायदे भले ही करे, लम्बी डींगें भले ही हांके पर सच यही है। आदिवासी घरों में रात केा जाकर देखा जा सकता है।

इन टोलों में नहीं प्रकाश व्यवस्था

प्रकाश व्यवस्था से केवल एक जनपद के ग्रामीण क्षेत्र वंचित नहंी हैं अपितु लगभग सभी जनपद क्षेत्रों में ऐसे टोले मजरे मौजूद हैं। सोहागपुर जनपद में कुदरी, खेतौली, कोटमा कोलान, बैगान बस्तिया, सिंदुरी, चुनिया, पड़मनियां आदि, गोहपारू अंतर्गत असवारी, सुड़वार, सेमरा, बकेली तथा जयसिंहनगर अंतर्गत कउआ सरई, अमझोर, देउरा, टेटका आदि सहित कई गांव ऐसे हैं जहां अभी तक आदिवासियों के घरों में बिजली की व्यवस्था नहीं हो सकी है। जबकि विद्युतमण्डल इन गांवों में दो चार खंभे लगाकर और 10-20 कनेक्शन देने के बाद गांव का विद्युतीकरण दर्शा कर आगे बढ़ गया है और यह बस्तियां आज तक रोशनी से वंचित है।

सर्वे तक सीमित रहती है कार्रवाई

ग्रामीणों ने बताया कि यहां पोल गाडऩे के लिए कई बार सर्वे किया गया लेकिन पोल आज तक नहीं लगा। यहां प्रकाश व्यवस्था की परवाह भी कोई नहीं करता। जो प्रतिनिधि चुनाव केे समय बार बार बिजली की समस्या का आश्वासन देते हैं वहंी सरपंच बनने के बाद कहने लगते हैं कि पुलिया बनवाना पहले जरूरी है। बिजली की व्यवस्था बाद में करेंगे। विधानसभा के प्रत्याशी भी चुनाव जीतने के बाद गांव टोलों का रास्ता भूल जाते हैं। ऐसे में निर्धन बस्तियों की समस्याओं का निराकरण भला कैसे हो सकता है।

दो बार ज्ञापन दे चुके

गोहपारू के कुछ आदिवासी किसानों ने बताया कि बिजली की समस्या से छुटकारा पाने के लिए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप चुके हैं लेकिन आश्वासन से आगे कुछ नहीं मिलता है। कुछ बस्तियों में न तो खंभे है न कनेक्शन हैं जबकि कुछ बस्तियों में कनेक्शन है तेा पर्याप्त बिजली नहीं मिलती। सिंचाई के समय विद्युत संकट के कारण किसान अपने खेतों की पर्याप्त सिंचाई भी नहीं कर पाते हैं। ज्ञापन में इन सारी समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया लेकिन लाभ कुछ नहीं हुआ।