स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर के साथ ही देश-भर में मान बढ़ाने वाला महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अपनी डायमंड जुबली यानी 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है। इसके लिए अब कॉलेज में तैयारियों का दौर जारी है और देश के साथ ही विदेश के डॉक्टर्स और पूर्व छात्र आयोजन में शरीक होंगे। इसके साथ ही आयोजन में विशेष डाक टिकट भी जारी होगा।
1878 में एमजीएम को मेडिकल स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था। यह एशिया के सबसे पुराने मेडिकल इंस्टीट्यूट में से एक है। 1948 में इसे मेडिकल कॉलेज बनाया गया। आयोजन 6 और 7 जनवरी को होगा। एमजीएम एलुमनी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. शेखर राव, सचिव डॉ. संजय लोंढे, आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिलीप आचार्य, सचिव डॉ. सुमित शुक्ला, कोषाध्यक्ष डॉ. विनीता कोठारी, डॉ. शेनल कोठारी ने बताया इस दौरान अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। डॉक्टर आपस में मिलकर एक-दूसरे से गुजरे दौर की अपनी यादें ताजा करेंगे।
दो दिन में ये आयोजन होंगे
- सारे विभागों की विजिट, कॉलेज-विभागों से संबंधित प्रदर्शनी, कॉलेज पर विशेष डाक टिकट का विमोचन होगा।
- कॉलेज के पूर्व छात्र जो विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व कार्य कर रहे हैं, विभिन्न वैज्ञानिक संगठनों में अध्यक्ष रह चुके, पद्मश्री से सम्मानित उनका सम्मान किया जाएगा।
- पूर्व छात्रों की कला, लेखन, खेल की उपलब्धियों की प्रदर्शनी।
- एकेडमिक सत्रों के साथ ही बियांड दि मेडिसिन, मेडिकल चिकित्सा का भविष्य जैसे विषयों पर चर्चा सत्र भी होंगे।
- सभी विभागों के बैचेस के फोटो सेशन होंगे।
- रन फार हेल्थ मैराथन, स्पोर्ट्स प्रतियोगिताओं का आयोजन।
- शाम के समय पूर्व छात्रों द्वारा पूर्व छात्रों के लिए ही सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन, सेलिब्रिटी द्वारा भी प्रस्तुति दी जाएगी।
ऐसे बना आज का मेडिकल कॉलेज
एमजीएम मेडिकल कॉलेज भारत के सबसे पुराने सरकारी मेडिकल कालेजों में से एक है। पहले किंग एडवर्ड मेडिकल स्कूल (केईएमएच) के रूप में जाना जाता था, जिसे वर्ष 1878 में स्थापित किया गया था। जो एशिया के सबसे शुरुआती मेडिकल स्कूलों में से एक था, इसे 1948 में वर्तमान मेडिकल कालेज में बदल दिया गया था। एमबीबीएस की डिग्री वर्ष 1948 से शुरू हुई।