इतनी ही सैलरी मिलती रहे तो है गनीमत है | मंदी के दौर में नौकरीपेशा की रजा

नई दिल्ली। नया साल शुरू होते ही लोगों के बीच अप्रेजल की सुगबुगाहट तेज होने लगती है। सैलरी कितनी बढ़ेगी, इस बारे में तरह-तरह के कयास लगने शुरू हो जाते हैं। लेकिन इस समय दुनियाभर में जिस तरह का माहौल है, उसे देखकर लग रहा है कि इस साल अप्रेजल भूल जाइए। जिस सैलरी पर काम कर रहे हैं, वही बची रहे तो गनीमत समझिए। पिछले साल ट्विटर और फेसबुक समेत कई कंपनियों ने बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की थी। भारत में भी कई स्टार्टअप कंपनियों ने बड़े पैमाने पर स्टाफ को निकाला था। नए साल में भी यह ट्रेंड जारी है। अमेरिका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी ऐमजॉन ने भी दुनियाभर में 18,000 कर्मचारियों को निकालने की घोषणा की है। इनमें से एक हजार कर्मचारी भारत में भी निकाले जाएंगे। साथ ही कई और कंपनियों ने भी छंटनी की घोषणा की है। कई कंपनियां ऐसी भी हैं जिन्होंने छंटनी तो नहीं की है लेकिन सैलरी में कटौती करने जा रही हैं। अमेरिका समेत दुनियाभर में मंदी की आशंका के चलते कंपनियां ऐसा कर रही हैं। यानी साफ है कि इस साल अप्रेजल तो भूल जाइए।

टेक इंडस्ट्री का बुरा हाल
मंदी की आशंका से टेक इंडस्ट्री पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री का भी बुरा हाल है। नवंबर के आंकड़ों के मुताबिक इस सेक्टर ने 52,771 जॉब कट की घोषणा की। पूरे साल इस सेक्टर में करीब 81 हजार लोगों की नौकरी गई। हाल में ऐमजॉन और सेल्सफोर्स इंक ने व्यापक पैमाने पर छंटनी की घोषणा की है। आईफोन बनाने वाली दिग्गज कंपनी एपल ने कई तरह के जॉब्स के लिए रिक्रूटमेंट बंद कर दिया है। नए साल में कई विभागों के लिए बजट में कटौती की भी आशंका जताई जा रही है।

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