स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर की विधानसभा क्रमांक चार को भाजपा की अयोध्या यानी सुरक्षित सीट कहा जाता है। वर्तमान विधायक मालिनी गौड़ का परिवार पिछले नौ बार से इस सीट पर काबिज है। भाजपा हाईकमान ने उनका जीत का रिकॉर्ड देखते हुए उन्हें फिर से सीट की कमान सौंपी है। उधर सिंधी वोटों की बाहुल्यता को देखते हुए कांग्रेस ने सिंधी व्यवसायी राजा मंधवानी को टिकट दिया है, जो यहां पर अपनी जमीन तलाशने में जुटे हैं। यह कोशिश पिछली कई बार से कामयाब नहीं हो पाई है। इस सीट पर आप पार्टी के डॉ. पीयूष जोशी भी जोर लगा रहे हैं, अब देखना होगा कि वो कितने वोट लाकर किसको प्रभावित करते हैं।
अल्पसंख्यक कार्ड खेलकर सेंध लगाने की कोशिश
विधानसभा चार में इस बार भाजपा की मालिनी गौड़ का टिकट फाइनल होने के पहले कुछ विरोध हुआ लेकिन पार्टी ने उन्हें फिर से टिकट दिया है और इसके बाद यह विरोध भी गायब हो गया है। उधर दूसरी ओर कांग्रेस ने राजा मंधवानी को टिकट देकर सिंधी कार्ड खेला है। कांग्रेस को मुस्लिम और जैन मतदाताओं से भी मदद की उम्मीद है। कांग्रेस इस प्रकार अल्पसंख्यक कार्ड खेलकर अयोध्या में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। अब देखना होगा कि यह दांव कितना कारगर होता है। उनका भी विरोध अक्षय कांति बम ने किया। जो सडक़ों पर दिखा लेकिन उन्हें मना लिया गया है।
अपने-अपने हिसाब से प्रचार पर फोकस
वर्तमान में प्रचार को देखें तो मालिनी गौड़ अपने परम्परागत वोटों को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रही हैं और प्रचार में भी उन्हीं क्षेत्रों व मतदाताओं पर ही फोकस कर अपनी लीड को बढ़ाने की कोशिश रही हैं। उन्होंने इसकी प्लानिंग पहले से ही कर ली थी। दूसरी ओर राजा मंधवानी के नए प्रत्याशी होने के कारण पूरी विधानसभा की खाक छानना पड़ रही है। इस क्षेत्र में सिंधी कॉलोनी क्षेत्र और द्वारकापुरी क्षेत्र होने के कारण वहां से उन्हें बहुत उम्मीद है। वहीं खातीवाला टैंक से लेकर मोती तबेला तक के मुस्लिम इलाकों पर भी नजर लगाई हुई है। उधर आप पार्टी ने इस बार डॉ. पीयूष जोशी को अपना उम्मीदवार बनाया है। वो जीत पाए या किसी की हार का कारण बने, यह बात तो परिणाम आने पर पता चलेगी लेकिन उन्होंने प्रचार से अपनी व पार्टी की उपस्थिति इस क्षेत्र में जरूर दर्शा दी है।
सिंधी-मुस्लिम-ब्राह्मण का भी है जोर
इस विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण अन्य विधानसभा के मुकाबले ज्यादा अहम है। इसका कारण जातियों का लगभग बराबर होना है। इस क्षेत्र में मुख्य रूप से ब्राह्मण और सिंधी समाज का प्रभुत्व है। यही दोनों समाज मिलकर इस सीट का निर्णय करते हैं। दोनों ही पार्टियां दोनों ही समाजों को साधने का काम करती हैं, लेकिन इसके साथ ही मुस्लिम वोटर्स भी बड़ी संख्या में हैं। यहां पोरवाल, जैन, अग्रवाल व अन्य वैश्य वर्ग के लगभग 60 हजार मतदाता है, जबकि दूसरे नंबर पर सिंधी समाज के 55 हजार मतदाता हैं। मराठी मतदाताओं की संख्या भी करीब 35 हजार मतदाता है तो इस विधानसभा के दो वार्ड मुस्लिम बाहुल्य हैं, जहां से मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी करीब 35 हजार है। ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी लगभग 20 हजार है। इस सीट में व्यापारिक क्षेत्र भी आता है, जिसमें मप्र का सबसे बड़ा सराफा बाजार और कपड़ा मार्केट भी हैं।
80 का दशक दोहराने की कोशिश
इंदौर-4 विधानसभा सीट भी शामिल है। इस सीट पर कांग्रेस ने सिंधी कार्ड खेला है। कांग्रेस ने इस बार सिंधी उम्मीदवार राजा मंधवानी को चुनावी मैदान में उतार कर 80 के दशक का इतिहास दोहराना चाहती है। इससे पहले गोविंद मंधानी दो बार यह कोशिश कर चुके हैं लेकिन सफल नहीं हो पाए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी राजा मंधवानी सामाजिक गतिविधियों में भी हैं। ये क्षेत्र सिंधी बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है और सिंधी वोटर्स पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। उस दौरान नंदलाल माटा ने इस सीट को जीत कर कांग्रेस के नाम किया था। इस बार भी बीजेपी आलाकमान ने परंपरागत सीट को कायम रखते हुए कोई नया उम्मीदवार नहीं उतारा है। पार्टी ने फिर से मालिनी गौड़ को टिकट दिया है। वह इंदौर महापौर भी रह चुकी हैं।
गौड़ परिवार का रहा है दबदबा
इस सीट पर 30 साल से एक ही परिवार ये सीट पिछले तीस सालों से गौड़ परिवार के कब्जे में है। पहले 1993 से 2003 तक लक्ष्मण सिंह गौड़ भाजपा विधायक रहे, उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी मालिनी गौड़ 2008 से अब तक विधायक हैं। यहां कांग्रेस को आखिरी बार 1985 में जीत मिली थी। सबसे पहले इस सीट से जनता पार्टी के वल्लभ शर्मा (1977) चुनाव जीते थे। उसके बाद 1980 में वल्लभ शर्मा को हराकर कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा जमाया था, लेकिन भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने कांग्रेस के विधायक को हराकर यह सीट हासिल की। इसके बाद लक्ष्मण सिंह गौड़ लगातार 3 बार विधायक (1993,1998 और 2003) रहे, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद भाजपा ने उनकी पत्नी मालिनी गौड़ भी 3 बार इस विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा में पहुंच चुकी हैं। 2018 के चुनाव में इंदौर-4 सीट पर भाजपा की मालिनी गौड़ ने एकतरफा मुकाबले में कांग्रेस के सुरजीत सिंह चड्ढा को 43,090 मतों के अंतर से हराया था। इस सीट पर इसे सबसे बड़ी जीत के रूप में दर्ज किया गया था। इसके बाद कांग्रेस ने कई प्रयोग किए, लेकिन अब तक वह सफल नहीं हो सकी।