स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर जिले की सबसे नई सीट विधानसभा राऊ में एक बार फिर पिछले विधानसभा चुनावों के प्रत्याशियों के बीच ही मुकाबला होने जा रहा है। इस सीट पर राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले कांग्रेसी विधायक जीतू पटवारी और भाजपा से पिछला चुनाव हारे मधु वर्मा जीत के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। भाजपा ने इस बार चुनाव से करीब एक महीने पहले ही मधु वर्मा को प्रत्याशी घोषित कर तैयारी का पूरा समय दिया है लेकिन जीतू पटवारी को भी पिछले पांच साल से लगातार सक्रिय रहे हैं। इससे तैयारी में दोनों का हिसाब लगभग बराबर माना जा सकता है। पिछली बार मुस्लिम वोट के बल पर पटवारी की नैया पार हुई थी, इस बार भी उनको उम्मीद है तो वर्मा महाराष्ट्रियन और शहरी वोटों से बढ़त की उम्मीद लगाए हुए हैं। राऊ विधानसभा का गणित शहर और गांव दोनों से मिलकर बना है लेकिन यह सीट शहरी सीटों में ही गिनी जाती है। खाती समाज के साथ ही मुस्लिम व मराठी वोटर्स वाली इस सीट पर जीतू पटवारी हर बार चुनाव लड़े है। पहली बार हार के बाद उन्होंने लगातार दो बार जीत हासिल की है और तीसरी बार भी पूरी तैयारी से लगे हुए हैं। उधऱ दूसरी ओर मधु वर्मा पिछली बार मामूली अंतर से हार के बाद प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से ही लगातार मेहनत कर रहे हैं। उनका साथ पूरा संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी दे रहा है। इसके लिए अलग से पूरी तैयारी की गई है, जिसमें प्रत्येक मतदाता तक एक विशेष रणनीति के तहत पहुंचने का प्लान बनाया गया है।
दोनों दलों का अपना-अपना गणित
राऊ विधानसभा सीट में ग्रामीण और शहरी दोनों इलाके आते हैं, इसलिए मुद्दे भी अलग-अलग हैं। विधानसभा में खाती समाज के मतदाता ज्यादा हैं। इस सीट से बीजेपी दो बार पहले ही खाती समाज को टिकट दे चुकी है। उधर पिछली बार तक कांग्रेस के जीतू पटवारी और भाजपा के जीतू जिराती यानी दोनों प्रत्याशी खाती समाज से होने के कारण वोट बंट जाते थे लेकिन इस बार खाती समाज के एकमात्र प्रत्याशी होने से जीतू पटवारी को अपने पक्ष में अपने समाज अच्छी वोटिंग की उम्मीद है। इसके अलावा शहरी इलाके में मराठी, ब्राह्मण और पिछड़ा वर्ग के वोटर्स भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। शहरी क्षेत्र में राजेन्द्र नगर का बड़ा इलाका राऊ विधानसभा में आता है, जिस पर भाजपा का पूरा फोकस है। पिछली बार इन क्षेत्रों से भी भाजपा को पूरा समर्थन नहीं मिला था। इसी को ध्यान मे रखते हुए संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पूरी कमान अपने हाथों में ली है। भाजपा के परम्परागत वोटर्स के साथ ही ऐसे वोटर्स पर पूरा फोकस किया जा रहा है, जो भाजपा को वोट दे सकते है। भाजपा को उम्मीद है कि इनका साथ भाजपा को जीत दिला सकता है। उधर भंवरकुआं के बाद का सिख बहुल भी इसी क्षेत्र में है। वही दूसरी ओर बांक जैसे बड़े मुस्लिम क्षेत्र भी इसी विधानसभा में शामिल है। पिछले विधानसभा में बांक क्षेत्र से मिले थोकबंद वोट के कारण ही जीतू पटवारी की नैया पार हो पाई थी। इस बार भी उन्हें मुस्लिमों के साथ ही खाती समाज से पूरी उम्मीद है।
तीन में से दो बार से पटवारी
इस सीट पर 2008 में पहली बार हुए चुनाव में भाजपा से जीतू जिराती के सामने जीतू पटवारी की चुनौती थी और जीतू जिराती ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 2013 में जीतू पटवारी ने जीतू जिराती को 18559 वोट से शिकस्त देकर इस सीट पर कब्जा जमाया था। पिछले चुनाव यानी 2018 में भाजपा ने मधु वर्मा को उम्मीदवार बनाया था। जीतू पटवारी ने जीत जरूर हासिल की थी लेकिन जीत का अंतर 5703 वोट तक ही सिमट गया था। राऊ विधानसभा में 3 लाख 70 हजार वोटर्स हैं।
अभी भी कई मुद्दे जीवंत
2008 के नगर निगम चुनाव के पहले हुए परिसीमन में राऊ में कई नए वार्ड जोड़े गए थे। 15 साल के बाद भी यहां की कई कॉलोनियों में नर्मदा का पानी नहीं पहुंचा है साथ ही नई कॉलोनियों में ड्रेनेज की बड़ी समस्याएं हैं। शहरी और ग्रामीण इलाके में पेयजल, शिक्षा, सडक़, खेल और किसानों की समस्या बड़े मुद्दे हैं। भाजपा इन मुद्दों को लेकर कांग्रेस विधायक को घेरने की तैयारी में है। वहीं जीतू पटवारी जीवंत संपर्क और समस्याओं को हल करवाने की तत्परता की बात कह अपने आपको सुरक्षित मान रहे हैं। कांग्रेस में अपनी बड़ी पकड़ बनाने के बाद उन्हें उम्मीद है कि लोग उन्हें पिछली बार से ज्यादा वोट से जिताएंगे लेकिन मधु वर्मा को भी कम आंकना भूल होगी।
कौन-कौन हैं मैदान में
- जीतू पटवारी कांग्रेस
- मधु वर्मा भाजपा
- मोहन सोनगरा आजाद समाज पार्टी
- आशीष बारोडे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए)
- भानुप्रताप अटेरिया पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक)
- देवकी मंडलोई बसपा
- निर्दलीय हेमंत राठौर, आशिफ पटेल, मधु वर्मा, प्रदीप मधुकर, रवि सिरवैया
कब कौन जीता है इस सीट पर
- 2008 जीतू जिराती भाजपा
- 2013 जीतू पटवारी कांग्रेस
- 2018 जीतू पटवारी कांग्रेस