स्वतंत्र समय, इंदौर
कोरोना की दोबारा आहट और दहशत के बीच खुलासा हुआ कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मध्यप्रदेश में रेमडेसिविर के नकली 1200 इंजेक्शन खपाए गए थे। ईडी ने मई 2021 में मामले में आरोपियों पर केस दर्ज किया था। अब ईडी ने खुलासा किया है कि अकेले मध्यप्रदेश में आरोपियों ने 1200 इंजेक्शन खपाए थे। इन्हें रोगियों के परिजन को 11-11 हजार रुपए में बेचा गया था। मामले में दो आरोपियों ने स्पेशल कोर्ट में जमानत का आवेदन लगाया था, जो खारिज हो गया है। खुलासा किया गया है कि इस काम में गुजरात की आपराधिक कडिय़ां भी लिप्त थीं। इस गैंग ने नकली रेमडेसिविर खपाकर करीब 2.89 करोड़ रुपए की काली कमाई की थी। मामले की परतें खुलतीं गईं तो प्रवर्तन निदेशालय इसमें तह तक उतरता गया। मामले की गंभीरता के मद्दनेजर अब कोर्ट भी आरोपियों के जमानती आवेदन को दरकिनार कर खारिज कर रहा है।
इस तरह चलता था मौत का खेल
बताया जाता है कि एक गैंग अस्पतालों में मरीज की मौत के बाद बचे हुए रेमडेसिविर ब्लैक में बेच रही थी तो दूसरी गैंग नकली रेमडेसिविर अपनों की जान बचाने की जद्दोजहद में लगे जरूरतमंदों को खपा देती थी। सभी आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने रासुका की कार्रवाई के लिए कलेक्टर को प्रस्ताव भी भेजा गया था। विजय नगर पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपियों की एक गैंग गुजरात के सूरत में नकली दवाएं बनाने वाले गिरोह से जुड़ी थी। इस गिरोह से पूछताछ के बाद गुजरात के कारोबारी सुनील मिश्रा को भी विजय नगर पुलिस ने हिरासत में लिया था।
सरगना सुनील के फॉर्म हाउस पर बनाते थे नकली इंजेक्शन
मिश्रा अपने फॉर्म हाउस पर नकली इंजेक्शन तैयार करवाता था। करीब 1200 इंजेक्शन व दवाओं के कुछ बॉक्स इसने इंदौर व जबलपुर में गैंग के बदमाशों को दिए थे। इसमें से एक हजार इंजेक्शन इंदौर में गैंग के सदस्य धीरज (26) पिता तरुण साजनानी और दिनेश (28) बंसीलाल चौधरी निवासी अनुराग नगर ने खपाना कबूले। इन दोनों पर मई 2021 में विजय नगर थाने में केस दर्ज हुआ था। इनकी निशानदेही पर सरगना सुनील मिश्रा तक पहुंचे। सुनील ने प्रदेश में 1200 इंजेक्शन बेचे थे।
गुजरात पुलिस की मदद से पकड़ा था सुनील को, 200 इंजेक्शन भेजे जबलुपर
गुजरात पुलिस की मदद से रीवा निवासी सुनील मिश्रा को हिरासत में लिया गया था। शुक्रवार को गुजरात पुलिस की टीम आरोपी सुनील को इंदौर लेकर आई। पूछताछ में उसने बताया कि सूरत में एक अन्य आरोपी के साथ मिलकर उसने फॉर्म हाउस पर नकली दवा व इंजेक्शन बनाने की फैक्टरी डाली थी। दूसरी लहर में रेमडेसिविर व टॉसी इंजेक्शन की मांग बढऩे पर वह फॉर्म हाउस पर संचालित फैक्टरी में नकली इंजेक्शन तैयार करने लगा था। उसने 1200 इंजेक्शन तैयार करवाए थे। इसमें इंदौर में 1 हजार नकली इंजेक्शन भी खपाए। 200 इंजेक्शन जबलपुर भेजे थे। वहीं मिश्रा ने असीम भाले को 7 इंजेक्शन 4800 रुपए के भाव से बेचे थे।
पुनीत शाह सबसे बड़ा खिलाड़ी, ऑनलाइन के जरिए शाह से जुड़ा था मिश्रा
गुजरात के मोरबी के कौशल वोरा और पुनीत शाह ने दस हजार नकली रेमडेसिविर बेचे थे। सुनील मिश्रा इंदौर में रहकर मेडिकल से जुड़ी सामग्रियों की ऑनलाइन खरीदी बिक्री करता है। कोविड काल में उसका काम खूब चला। ऑनलाइन माध्यम से ही वह पुनीत शाह के संपर्क में आया था। इसके बाद वह भी ऑनलाइन इंजेक्शन बेचने के लिए ग्राहक ढूंढने लगे।
असीम और दिनेश की जमानत खारिज
दिनेश चौधरी और असीम भाले ने इस मामले में जिला कोर्ट में जमानत संबंधी याचिका दायर की थी। दिनेश ने बताया कि वह अनाज कारोबारी है और 30 करोड़ रुपए का टर्नओवर है और मामले की सुनवाई के दौरान नहीं भागेगा। इस तरह असीम ने भी जमानत याचिका लगाई लेकिन न्यायाधीश राकेश गोयल की स्पेशल कोर्ट ने मामले की गंभीरता देखते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी।