स्वतंत्र समय, उज्जैन
राजस्थान में भाजपा संतो को चुनाव लड़ा रही है। परंतु मध्य प्रदेश में यही पार्टी संतों की उपेक्षा कर रही है। धार्मिक नगरी उज्जैन में भी परोपकारी संतो को अवसर नहीं दिया जा रहा। इस कारण संतों से विचार विमर्श करने के बाद मैं उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लडऩे जा रहा हूं।
यह बात बुधवार की शाम स्वस्तिक धाम के पीठाधीश्वर क्रांतिकारी संत डॉ.अवधेश पुरी महाराज ने पत्रकारों से कही। उन्होंने कहा कि कुछ समय पूर्व उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा को राजनीति में संतो को भी अवसर देना चाहिए। विशेष कर धर्मनगरी उज्जैन में जहां 12 वर्ष में एक बार सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होता है और पूरे वर्ष शिप्रा स्नान तथा महाकाल दर्शन के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। ऐसे स्थान पर भाजपा को राजनीति में संतों का अवसर देना चाहिए, ताकि वे निस्वार्थ भाव से धर्मानगरी और आमजन के हित में कार्य कर सकें। अभी तक भाजपा ने जिन लोगों को चुनाव में अवसर दिया है। वह सभी विधायक और मंत्री बनने के बाद भी शिप्रा को आज तक प्रदूषण मुक्त नहीं कर पाए। महाकालेश्वर मंदिर में आज भी दर्शन के नाम पर शुल्क लिया जा रहा है। वर्षों से संतों की उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित करने की मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि केवल निजी स्वार्थ साध रहे हैं। गौशालाओं में गौ माताएं मर रही है। मठ मंदिरों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। मास्टर प्लान से लेकर सिंहस्थ आयोजन में संतों की लगातार उपेक्षा हो रही है। सिंहस्थ क्षेत्र में भी भूमिया राजनीति की आड़ में निजी कब्जे कर रहे हैं। ऐसे में आगामी सिंहस्थ के लिए संतो को पंडाल लगाने तक की जगह नहीं मिल पाएगी।
उन्होंने यहां तक कहा कि भाजपा मध्य प्रदेश में लगातार संतों की उपेक्षा कर रही है। यहां रामायण को जलाने वाले और रावण का मंदिर बनाने वाले तथा भूमिया भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और परोपकारी संतो को हर राजनीति से उपेक्षा कर दरकिनार किया जा रहा है। इन्हीं कारणों से आहत होकर संत समाज की आज्ञा से मैं उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लडऩे जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में वे आगामी 28 नवंबर को अपना नामांकन दाखिल करेंगे।