उदयपुरा-बरेली विधानसभा चुनावी संघर्षः कांग्रेस से देवेन्द्र तो भाजपा से नरेंद्र होंगे आमने-सामने

 स्वतंत्र समय, बरेली
कांग्रेस द्वारा जारी 144 उम्मीदवारों की सूची में उदयपुरा-बरेली विधानसभा 140 में दूसरी बार कांग्रेस ने देवेन्द्र पटैल को उम्मीदवार बना कर भरोसा व्यक्त किया है। 21 अक्टूबर से नामांकन पत्र जमा होगे। परंतु भाजपा के युवा उच्च शिक्षित इन्जीनियर नरेन्द्र शिवाजी पटैल और कांग्रेस के देवेन्द्र पटैल के बीच ही मुख्य चुनावी मुकाबला निश्चित हो गया है।
भाजपा के नरेन्द्र शिवाजी पटैल का भाजपा की दूसरी सूची में नाम आ गया था। लम्बे इंतजार के बाद नवरात्रि के पहले दिन कांग्रेस ने 144 उम्मीदवारों की सूची जारी की और 2018 में 8 हजार मतो से चुनाव जीतने वाले देवेन्द्र पटैल द्वारा जमा नामांकन पत्र पर आपत्ति लेकर भाजपा के चुनाव हारे प्रत्याशी रामकिशन पटैल ने न्यायालय की शरण ली थी। वर्षो तक मामला उच्च न्यायालय एवं सुप्रीम कोर्ट में चलता रहा। 21 अक्टूबर से नामांकन पत्र भरना शुरू हो रहे है। नामांकन पत्रों की जांच उपरान्त विधानसभा क्षैत्र में उम्मीदवारों की स्थिति स्पष्ट होगी, परंतु हमेशा की तरह भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच मुख्य मुकाबला होगा।

भाजपा-कांग्रेस उम्मीदवारों का प्रचार संपर्क जारी

लगभग 2 सप्ताह पूर्व भाजपा के नरेन्द्र शिवाजी पटैल की उम्मीदवारी घोषणा हो गई थी। देवेन्द्र पटैल पूर्व से ही संपर्क प्रचार अभियान में सक्रिय बने हुए थे। भले ही उनकी उम्मीदवारी को कांग्रेस के प्रदेश उपा. संजय मसानी चुनौती देते नजर आ रहे थे। विभिन्न बाधाओं को पार करते हुए देवेन्द्र पटैल टिकिट प्राप्त करने में सफल रहे, जिससे उनके समर्थकों साथी कार्यकर्ताओं में हर्ष बना हुआ है।

दूसरी बार चुनाव न जीतने की परंपरा

2008 के विधानसभा चुनावों से यह परंपरा बनी हुई है, कि जो भी विधायक चुना गया दूसरी बार चुनाव लडा तो चुनाव हार गया। 2008 के चुनाव में कांग्रेस के भगवान सिंह राजपूत चुनाव जीतने में सफल हुए परंतु 2013 के चुनाव में भाजपा के रामकिशन पटैल से चुनाव हार गए। 2018 में भाजपा के रामकिशन पटैल और कांग्रेस के देवेन्द्र पटैल के बीच मुकाबला हुआ और रामकिशन पटैल चुनाव हार गए। अब 2023 में कांग्रेस से दूसरी बार देवेन्द्र पटैल को उम्मीदवार बनाया है, वही भाजपा ने युवा पार्टी को समर्पित और नया चेहरा नरेन्द्र शिवाजी पटैल को उम्मीदवार बनाया है। 2008 से चली आ रही परंपरा रहती है, या बदलती है।
यह तो चुनाव परिणाम सामने आने पर ही ज्ञात होगा। दौनों ही उम्मीदवारों में मुख्य मुकाबला होगा और पूरी ताकत दमखम से कांग्रेस, भाजपा चुनावी संघर्ष में आमने सामने होगी।