स्वतंत्र समय, बरेली
दीपावली से पूर्व जिस प्रकार पारा नीचे गिरने के साथ धीरे-धीरे ठंड बढ रही है। वही चुनावी राजनैतिक गतिविधियां बढने से राजनैतिक, प्रचार संपर्क का पारा भी तेजी से बढ रहा है। 17 नवम्बर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। 31 अक्टूबर तक नामांकन जमा और 31 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच उपरान्त फिलहाल 9 उम्मीदवार है। 2 नवम्बर नाम वापसी का आखिरी दिन है, नाम वापसी के बाद उम्मीदवारों की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
प्रत्याशी, कार्यकर्ता सक्रिय
उदयपुरा-बरेली विधानसभा क्षैत्र में हमेशा मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस के बीच होता रहा है। अन्य पार्टी और निर्दलीय जरूर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते है। 2003 के चुनाव में निर्दलीय चुनाव लडी कांग्रेस की बागी स्व. श्रीमती पुष्पलता चौधरी को लगभग 10 हजार वोट प्राप्त हुए थे। भाजपा से घोषित नरेन्द्र शिवाजी पटैल और कांग्रेस से घोषित देवेन्द्र पटैल के बीच ही मुख्य चुनावी मुकाबला निश्चित है। दौनों ही प्रत्याशी और भाजपा, कांग्रेस के नेता, कार्यकर्ता दिन रात चुनाव प्रचार और ग्रामीण क्षैत्र में पहुंच कर सीधे मतदाताओं से संपर्क में जुटे हुए है।
बढ़ रहा राजनीतिक पारा
विधानसभा चुनाव लडने पहले भाजपा के नरेन्द्र शिवाजी पटैल ने एक बार साधारण तो दूसरी बार धूमधाम और रोड शो के साथ नामांकन पत्र जमा करते समय भाजपा का शक्ति प्रर्दशन किया। वही कांग्रेस से दूसरी बार उम्मीदवार बने विधायक देवेन्द्र पटैल ने एक बार साधारण और दूसरी बार कांग्रेस के नेताओं, कार्यकर्ताओं का शक्ति प्रदर्शन करते हुए नामांकन पत्र जमा करते समय अपनी शक्ति का प्रर्दशन किया गया। दौनों ही दलों के ग्रामीण कार्यकर्ता और नेता गांव-गांव जा रहे है। प्रचार वाहन भी गांव-गांव घूम रहे है। धीरे धीरे राजनैतिक पारा बढता जा रहा है।
एक बार भाजपा, एक बार कांग्रेस
2008 के विधानसभा चुनाव से उदयपुरा विधानसभा 140 में एक बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा का विधायक चुनने की परंपरा बनी हुई है। 2008 में कांग्रेस के भगवान सिंह राजपूत विधायक चुने गए, 2013 में दूसरी बार चुनाव लडे तो भाजपा के रामकिशन पटैल से चुनाव हार गए। 2018 में रामकिशन पटैल की कांग्रेस के देवेन्द्र पटैल से मुकाबला हुआ और भाजपा के रामकिशन पटैल चुनाव हार गए। 2018 में कांग्रेस के विधायक चुने गए देवेन्द्र पटैल का भाजपा के युवा, इन्जीनियर नरेन्द्र शिवाजी पटैल से चुनावी संघर्ष हो रहा है। बनी परिपाटी रहती है या क्षैत्र के मतदाता बदलाव करते है, यह तो चुनाव परिणाम के दौरान ही सामने आ पाएगा।