स्वतंत्र समय, इंदौर
इस समय स्मार्ट सिटी के काम अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं। यह तय समय सीमा से करीब पौने माह ऊपर हो चुके हैं। वैसे इस काम की मियाद तो अगस्त में पूरी हो गई लेकिन स्मार्ट सिटी के काम नहीं हो पाए। विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच एक बार फिर स्मार्ट सिटी के काम अटके पड़े हैं। आपके उजले कपड़ों के लिए स्मार्ट शहर में धूल का बवंडर स्वागत के लिए रोज हर चौराहे पर बेताब है। इधर नगर निगम ने पहले ही इन कामों में हाथ डालने से मना कर दिया था। ऐसे में यह पेंडिंग काम शहरवासियों के लिए दुखदायी साबित हो रहे हैं। धूल, धुएं के बीच दमघोंटू वातावरण लोगों के धैर्य की परीक्षा ले रहा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के काम कागजों पर ही पूरे नजर आ रहे हैं और असल में यह पूरे नहीं हो पाए हैं। जनता जनार्दन पीड़ा भुगतने को मजबूर है। उदाहरण के लिए बड़े गणपति से कृष्णपुरा छत्री तक बनाई गई सडक़ अधूरी पड़ी है। ठेकेदार कंपनी ने अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया है। कंपनी ने धर्मस्थल हटाने से लेकर विवादित स्थिति बनने की आड़ लेकर काम रोक दिया है। ऐसे में चुनाव में यह अधूरे काम ही नजर आएंगे।
अधूरे काम चुनावी मुद्दा भी
इधर स्मार्ट सिटी के अधूरे काम चुनावी मुद्दा बनते नजर आ रहे हैं। प्रत्याशी नामांकन प्रक्रिया से फ्री होते ही अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों की हकीकत बताते नजर आ सकते हैं। ऐसे में यह प्रशासन के लिए भी सिरदर्द साबित होगा। जो काम तय मियाद में नहीं हो पाए, वे चुनाव के लिए बचे महज 20 दिन में पूरे होने के आसार कम ही हैं।
सबसे बुरी स्थिति राजवाड़ा क्षेत्र की
राजवाड़ा और इसके मध्यवर्ती इलाकों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां पर सडक़, नर्मदा व नाला टेपिंग के काम अधूरे पड़े हैं। चाहे निहालपुरा की बात करें, बक्षी बाग, पीर गली, राम लक्ष्मण बाजार, बंबई बाजार, जवाहर मार्ग समेत पंढरीनाथ, मच्छी बाजार, मोती तबेला, आलापुरा, जूनी इंदौर, रावला या हरसिद्धि इलाके की। हालत खराब ही है। इन इलाकों से शहर की 80 फीसदी आबादी रोजाना गुजरती है और धैर्य की परीक्षा दे रही है।
रीवर साइड रोड बना पार्किंग स्थल
नार्थतोड़ा इलाके का जवाहर मार्ग के ब्रिज से बनाई गई रीवर साइड रोड इन दिनों बड़े वाहनों के लिए पार्किंग स्थल का काम कर रही है। सबसे हास्यास्पद बात यह है कि प्रेमसुख के पास में ही मल्टीलेवल पार्किंग है, इसके बावजूद इस सडक़ पर कार समेत व्यावसायिक वाहनों का दिन-भर जमावड़ा रहता है। वहीं सिग्नल नहीं होने से यहां पर अब यातायात भी उलझने लगा है।
आपस में तालमेल ही नहीं
स्मार्ट सिटी कंपनी और नगर निगम के बीच तालमेल का असर भी स्मार्ट सिटी के कामों में नजर आ रहा है। इसी वजह से कई प्रोजेक्ट चींटी की गति से चल रहे हैं। मिसाल के लिए अतिक्रमणरोधी कार्रवाई नगर निगम को करना थी जबकि निर्माण ठेकेदार कंपनी की जिम्मेदारी थी। ऐसे में निगम और कंपनी की आपसी खींचतान के चलते कई जगह काम अधूरा पड़ा है।
यहां तो सड़क ही छोड़ दी
मल्हारगंज क्षेत्र के आसपास कुछ जगह सडक़ ही नहीं बनाई गई। इधर स्मार्ट सिटी कंपनी के सीइओ दिव्यांक सिंह भी स्वीकारते हैं कि कुछ जगह काम अब भी अधूरा है। कंपनी ने वर्षाकाल के बाद काम करने का भरोसा दिलाया था। अब तो ठंड का मौसम शुरू होने वाला है।
ड्रेनेज के ये काम पूरे तो नए अधूरे
शहर के कई इलाकों में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के काम तेज गति से भी हुए। इसमें कबूतर खाना, रेशम गली को माना जा सकता है। वहीं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ने मराठी मोहल्ला, कागदीपुरा, प्रणामी गली, सुभाष मार्ग सहित कई स्थानों पर नई ड्रेनेज लाइन बिछाने के काम शुरू किए हैं लेकिन अब इनके जल्द पूरे होने के आसार नहीं हैं।
यह भी शहर के मध्यवर्ती इलाके, अधूरे काम से जूझ रहे
मध्य क्षेत्र के कई इलाकों में वर्षों पुरानी ड्रेनेज लाइनों के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ने शुरू किए थे। छोटी लाइनों को बड़ी लाइनों से मिलाने का काम चल रहा है। प्रणामी गली, कागदीपुरा, सुभाष मार्ग क्षेत्र में यह काम शुरू किए गए हैं। आने वाले दिनों में जवाहर मार्ग से लेकर कई अन्य प्रमुख क्षेत्रों में भी काम शुरू किए जाएंगे।
यह सडक़ तो लंबे समय से पूरा होने की बांट जोह रही
चाहे पालदा औद्योगिक क्षेत्र हो या सांवेर रोड़ औद्योगिक क्षेत्र, चाहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई एमजी रोड की बात हो या राजवाड़ा से मरीमाता चौराहा तक बनाई जाने वाली सडक़ की बात। हर सडक़ की हालत खराब है। कहीं काम अधूरा पड़ा है तो कहीं तो काम शुरू ही नहीं हुआ। विभागों के बीच समन्वय की कमी की भी है। जहां सडक़ तो तैयार कर दी गई लेकिन स्टार्म वाटर लाइन और अन्य जरूरी काम हुए ही नहीं।
इन कामों की गति बेहद धीमी
- बक्षी बाग से सदर बाजार होते हुए मरीमाता
सिलावटपुरा से कड़ावघाट
नयापीठा से मच्छी बाजार
रावला, जूनी इंदौर से दूसरे साइड की सडक़
पालदा औद्योगिक क्षेत्र