स्वतंत्र समय, भोपाल
मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ने वाले और हारने वाले विधायकों की भोपाल के सरकारी मकान का मोह नहीं छूट रहा है। यही कारण है कि विधानसभा सचिवालय के कई बार भेजे आग्रह पत्र के बाद भी विधायकों ने अब तक सरकारी आवास खाली नहीं किए हैं। वर्तमान रेस्ट हाउस के 53 आवास और अध्यक्षीय पूल के 18 बंगले अभी भी वापस नहीं मिले हैं। हालांकि, 23 पूर्व विधायकों ने आवास खाली कर दिए हैं। चुनाव न लडऩे वाले पूर्व विधायकों को आवास खाली करने के लिए सचिवालय ने आग्रह पत्र भेजा था। वहीं रिजल्ट के बाद हारने वाले विधायकों से आवास वापस करने का आग्रह किया है। परिणाम आए 20 दिन बीते, लेकिन इन माननीयों पर आग्रह पत्र का असर नहीं हो रहा। यही कारण है कि अब तक रेस्ट हाउस के 53 आवास और अध्यक्षीय पूल के 18 बंगलों को खाली नहीं कराया जा सका है।
ये पूर्व विधायक नहीं सुन रहे कोई निर्देश
जिन पूर्व विधायकों से विश्रामगृह खाली कराया जाना है, उनमें गोपीलाल जाटव, रक्षा संतराम सरोनिया, अमरसिंह, सुभाष रामचरित्र, नंदनी मरावी, देवी सिंह सैयाम, ब्रह्मा भलावी, रामचंद्र दांगी, राम दांगोरे, सुमित्रा देवी कास्डेकर, दिलीप मकवाना, रघुनाथ मालवीय, टामलाल रघुजी सहारे, मुरली मोरवाल के साथ जजपाल सिंह जज्जी, भारत सिंह कुशवाह, महेश राय, बैजनाथ कुशवाह, तरवर सिंह, मुकेश रावत पटेल, निलय डागा, राकेश गिरी, अजय टंडन, शशांक भार्गव, शरदेंदु तिवारी, राकेश पाल सिंह ने आवंटित कमरे नहीं छोड़े हैं।
इनको खाली करने हैं बंगले
इधर अध्यक्षीय पूल के 18 बंगले भी खाली होने हैं। जिन्हें ये बंगले छोडऩे हैं उनमें प्रद्युम्न सिंह लोधी, संजय शुक्ला, भूपेन्द्र मरावी, बाबूसिंह तंवर, आलोक चतुर्वेदी, प्रवीण पाठक, जीतू पटवारी, संजय शाह मकड़ाई, जालम सिंह पटेल, केपी त्रिपाठी, देवेन्द्र सिंह पटेल, रविन्द्र सिंह तोमर, सुरेन्द्र सिंह शेरा भैया, रामबाई गोविंद सिंह, संजय शर्मा, पीसी शर्मा, तरुण भनोत, नारायण त्रिपाठी शामिल हैं।
इन विधायकों ने दिखाई ईमानदारी
जिन विधानयकों द्वारा विश्रामगृह में आवंटित कमरे खाली कर दिए हैं, उनमें पुरुषोत्तम लाल तुंतवाय, शिवदयाल बागरी, पंचूलाल प्रजापति, राजश्री सिंह, पहाड़ सिंह कन्नौजे, देवेन्द्र वर्मा, सुलोचना रावत, मेवाराम जाटव, राकेश मावई, श्यामलाल द्विवेदी, राज्यवर्धन सिंह, सीताराम आदिवासी, वीरेन्द्र रघुवंशी, राजेश प्रजापति, ओपीएस भदौरिया, अर्जुन सिंह काकोडिया, नीलांशु चतुर्वेदी, बालसिंह मेड़ा और लक्ष्मण सिंह के नाम शामिल हैं।