स्वतंत्र भोपाल।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मप्र की जीवन रेखा नर्मदा जी को भाजपा की सरकारों ने लूटकर छलनी किया और जन भावनाओं का दोहन कर शासकीय धन को हानि पहुंचाई, लेकिन नर्मदा जी वहीं की वहीं है। उनका जल ना तो निर्मल हो पा रहा है न अवैध उत्खनन रुक पा रहा है और ना ही कमीशनखोरी रुकी। 2012 में नर्मदा को निर्मल करने मनमोहन सिंह सरकार ने 1066 करोड़ रुपये स्वीकृत किये थे। शर्त रखी थी कि पहले राज्य डीपीआर केंद्र को जमा करे। मप्र सरकार ने डीपीआर बनाकर केंद्र से पैसा लेने के बजाय 2017 में जर्मनी के केएफडब्ल्यू बैंक से कर्जा उठाना पसंद किया, लेकिन 5 साल में भी डीपीआर बनाकर केंद्र को नहीं दी। कांग्रेस ने शिवराज सिंह से पूछा है कि केंद्र की राशि छोडक़र कर्जा क्यों लिया?
कांग्रेस उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने बताया कि नर्मदा सेवा सेना ने बड़वानी में विगत दिनों नर्मदा जी की महाआरती सेवा की थी। नर्मदा मैया के लिए शिवराज सरकार ने 2017 में जो वादे किए थे, उनकी कैसे पूर्ति हुई, इसका पता लगाया था। बड़वानी जैसी छोटी सी जगह में सीवेज लाइन डालने और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का ठेका 2018 में एक कथित विदेशी कंपनी टहल कन्सल्टिंग इंजीनियर्स लि. को दिया गया जिसका मुख्यालय इजराइल में बताया जाता है। गुडगांव में भारतीय आफिस बनाकर इसने भारत में काम शुरू किया। इस कंपनी की पूंजी मात्र 3 करोड़ एवं पैड अप कैपिटल लगभग 96 लाख है, फिर भी इस कंपनी को 105 करोड़ का ठेका देने में 10 करोड़ रूपया एडवांस में दे दिए गए। कंपनी बिना काम करे जब रफू चक्कर हुई और स्थानीय स्तर पर जांच की मांगें उठने लगीं तब लोकल ठेकेदारों के माध्यम से सडक़ खुदवा कर किसी तरह 10 करोड़ के भुगतान को समायोजित करने की कोशिश हुई। इसमें एसटीपी का अध-बना ढांचा भी खड़ा है जो अभी बरगी का पानी छोडऩे पर स्वयं ही नर्मदा के पानी में डूब गया था। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने 24 महीने का समय दिया गया था और 2020 तक पूरा हो जाना था लेकिन न यह काम पूरा हुआ न सीवेज लाइन डली न इजराइल की कंपनी वापिस आई।
शैल कंपनी के नाम पर फर्जीवाड़े का अंदेशा
जब भ्रष्टाचार की पोलें खुलने लगीं तो सितंबर 2023 में यह काम मुंबई की एक कंपनी आर एंड बी इन्फ्रा लिमिटेड को दे दिया गया, जो यह काम श्रीराम कंस्ट्रक्शन कंपनी ग्वालियर के ज्वाईंट वेंचर में कर रही है। श्रीराम कंस्ट्रक्शन कंपनी मात्र 4 साल पुरानी है, पड़ताल करने पर इन कामों में उनका अनुभव सामने नहीं आया। नये ठेके की शर्तों में सीवेज संग्रहण, सीवेज ट्रीटमेंट एवं निष्पादन के कार्य को आमंत्रित निविदा में पूरे सिस्टम को रीडिजाइन करने और मोडीफाई करने का आदेश दिया है जिसका तात्पर्य है कि कथित इजराइली कंपनी का डिजाइन एवं सर्वे ही गलत रहा है यह सरकार स्वयं मान रही है। ऐसे टेंडर विदेशी कंपनियों के नाम नर्मदा किनारे बड़वानी, अंजड़ और अन्य नगर पालिकाओं में दिये गये। आशंका जताई जा रही है कि कहीं ये कंपनियां भ्रष्ट अफसरों या नेताओं की शैल कंपनियां तो नहीं हैं, इसकी जांच होना चाहिए। गुप्ता ने कहा कि कमलनाथ की सरकार आने पर सरदार सरोवर एवं अन्य योजनाओं में हुए भ्रष्टाचार की जांच भी की जायेगी।