कार्यालय में पदस्थ अदने से कर्मचारी ने लाइसेंस फार्म ही फाड़ दिया, वीडियो वायरल

स्वतंत्र समय, नर्मदापुरम

पिछले कई दिनों से आरटीओ कार्यालय में कुछ भी ठीक ठाक नहीं चल रहा है। ऐसा ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। जिसमें ज्वाइंट कलेक्टर का रिश्तेदार लाइसेंस बनवाने गया था। जहां कार्यालय में पदस्थ एक अदने से कर्मचारी से उस फार्म पर महज साइन करनवाना था। कार्यालय में पदस्थ अदने से कर्मचारी की हिम्मत तो देखिए उस लाइसेंस फार्म पर साइन तो नहीं किये, उल्टा उस फार्म को ही फाड़ दिया। अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। यह घटनाक्रम मंगलवार का बताया जा रहा है। इस मामले को लेकर आरटीओ को जब फोन लगाया तो उन्होंने फोन तक रिसिव नहीं किया। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि आरटीओ कार्यालय में किस तरह आम लोगों को लाइसेंस बनवाने के लिए फटकना पड़ता है।

सूत्रों के मुताबिक जबकि शासन ने लाइसेंस बनवाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरु कर दी है। इसके बावजूद भी दलाली के माध्यम से ही लाइसेंस फार्म को ऑफ लाइन जमा करवाया जाता है,जो कि पूरी तरह नियम विरुध है। आरटीओ कार्यालय में नियम के मुताबिक अगर देखा जाये तो यहां कोई भी काम बिना दलालों के माध्यम से नहीं करवाएं जा सकते है। यह प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़ा सवाल है? कलेक्टर से लेकर आरटीओ के आला अफसरों तक का यहां ध्यान कार्यालय की व्यवस्था की ओर नहीं है। सोशल मीडिया पर जो वीडिय़ों वायरल हो रहा है उस वीडियो में कोई उत्तम यादव नामक युवक आरटीओ कार्यालय की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। युवक उस वीडिय़ों में आरटीओ कार्यालय के अदने से कर्मचारी जिसने लाइसेंस फार्म फाड़ दिया उसका नाम सुनील शर्मा बताया है। युवक ने वीडिय़ों में आरोप लगाते हुए कहा कि लाइसेंस फार्म पर महज साइन करने के लिए कहा था। इसी बात को लेकर उसने फार्म ही फार्ड दिया। जबकि उसके रिश्तेदार ज्वाइंट कलेक्टर से भी बात करवा रहा था। लेकिन अदने से कर्मचारी ने फोन पर भी बात नहीं की। कार्यालय केकर्मचारी की हिम्मत तो देखों की वह ज्वाइंट कलेक्टर के रिश्तेदार का ही फार्म फाड दिया।

एकल खिडक़ी से नहीं होते कोई काम

शासन के नियम के अनुसार आरटीओ कार्यालय में लोगों की सुविधा के लिए एकल खिडक़ी बनाई गयी है। लेकिन एकल खिडक़ी में कोई काम नहीं होते है। जबकि नियम के मुताबिक लाइसेंस बनवाने वाले वाहन मालिक ऑनलाइन आवेदन कर देते है। उसके बाद भी दलालों के माध्यम से ऑफलाइन फार्म जमा करना लोगों की मजबूरी बन गयी है। सूत्रो ने बताया कि बिना लेनदेन के आरटीओ कार्यालय में कोई काम नहीं होता है। लाइसेंस बनने की यहां कोई समय अवधि नहीं है। वाहन चालकों को लाइसेंस के लिए महीनों तक भटकना पड़ता है। इसके बाद भी उनका लाइसेंस नहीं मिलता है। इसके बाद वाहन मालिक आरटीओ कार्यालय में सक्रिय दलालों के माध्यम से ही काम करवाने होते है।

भिंड मुरैना से आए व्यक्ति कार्यालय में कर रहे काम

सूत्रों के मुताबिक भिंड मुरैना से आए बाहरी व्यक्ति आरटीओ कार्यालय में पेठ बनाकर बैठे है। अगर कोई काम करवाना है तो इनकी बिना अनुमति और लेनदेन के बाद ही काम कराना संभव होगा। कार्यालय से जो भी लाइसेंस बनते है,उसका पूरा हिसाब किताब फार्म फाडऩे वाला बाहरी व्यक्ति सुनील शर्मा ही देखता है। इसके लिए आरटीओ कक्ष के बाहर ही बकायदा एक कक्ष क्रमांक-3 बना है।, जिसमें यह अधिकारी के सामान वहां बैठता है। अब बड़ा सवाल यह है कि यह अदना सा कर्मचारी वहां किस हैसियत से बैठ रहा है जो जांच का विषय है।

फ्री नहीं बनते महिलाओं के लाइसेंस

शासन की गाइड लाइन के मुताबिक महिलाओं व युवतियों के लाइसेंस फ्री बनवाने का प्रावधान है। लेकिन आरटीओ कार्यालय में महिलाओं व युवतियों के लाइसेंस भी पैसे देकर ही बनते है। आरटीओ कार्यालय में दलाल इतने सक्रिय है कि बिना दलाल को लेनदेन किये फाइल आगे बढ़ती ही नहीं है। आरटीओ कार्यालय में मकडज़ाल की तरह यहां दलाल सक्रिय है। कई बार वाहन मालिकों ने यहां की समस्या के बारे में आरटीओ को अवगत करवाया। लेकिन लोगों की समस्या जस की तस बनी हुई है।

इनका कहना है

इस मामले में जब आरटीओ श्रीमती निशा चौहान से जानकारी चाही तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।

-श्रीमती निशा चौहान, आरटीओ