कैंसर पूरी तरह नहीं हो पाया खत्म, ‘बॉयपास’ कर निकाला बीमारी का हल

स्वतंत्र समय, इंदौर

एमवाय परिसर में स्थित गवर्नमेंट कैंसर अस्पताल कैंसर मरीजों से बीमारी को दूर करता है लेकिन अपनी खुद की बिल्डिंग के बेसमेंट में लगे कैंसर का पूरी तरह इलाज नहीं कर पाया। पिछले 20 सालों से कैंसर अस्पताल के बेसमेंट में पानी के रिसाव की समस्या है, जिससे अस्पताल परेशान है। इस बीमारी को दूर करने के प्रयास कैंसर को निकालने के बजाय अल्टरनेटिव बॉयपास करके किया गया है। यहां पर पानी कहां से आ रहा है, इसका पता लाख कोशिशों के बावजूद नहीं चल पाया। अब इस पानी को एक टैंक में इकट्ठा करके लगातार बाहर फेंका जाएगा और बाकी स्थान का उपयोग कर यहां पर छह डिपार्टमेंट शुरू किए जाएंगें। अभी पूरा बेसमेंट पानी के कारण बेकार था। इसके लिए आईडीए 85 लाख रुपए खर्च कर रहा है।लगभग 20 साल पहले कैंसर अस्पताल के बेसमेंट में पानी रिसने और भरने की समस्या शुरू हुई थी। इस समस्या के हल के लिए प्रशासन ने पिछले सालों में कई नगर निगम से लेकर आईडीए तक के डिपार्टमेंट से मदद ली, लेकिन कोई भी इसका स्थायी समाधान नहीं ढूंढ पाया। तमाम कोशिशों और रिसर्च के बावजूद बेसमेंट में पानी कहां से आ रहा है, यह कोई भी पता नहीं लगा पाया। आखिरकार पानी कहां से आ रहा है, उसका स्रोत ढूंढने की बजाय अब पानी को कैसे निकाला जाए, इस प्लानिंग को बनाया गया। अब इस तरह समस्या का समाधान संभव हो पाया है।इसी मार्च महीने में रामनवमी के दिन पर शहर में हुए बावड़ी हादसे ने पूरे शहर सहित प्रशासन को हिला कर रख दिया था। इससे कैंसर अस्पताल के बेसमेंट में सालों से भरने वाले पानी और इससे बिल्डिंग को हो रहे नुकसान पर भी सवालिया निशान खड़े किए गए थे। सालों से पानी के रिसाव को बंद नहीं कर पाने के कारण बिल्डिंग को हो रहे नुकसान और भविष्य में हो रहे खतरे भी सामने आए थे। इसके बाद तत्कालीन सम्भागायुक्त डॉ. पवन शर्मा के निर्देशन में तत्काल योजना बनाई गई। 20 साल से पानी में खड़े कैंसर अस्पताल की इस समस्या के समाधान के लिए हाउसिंग बोर्ड, नगर निगम सहित एसजीएसआईटीएस इंजीयनियरिंग कॉलेज की मदद ली गई। यह सब पानी के स्रोत को ढूंढने और उसे बंद करने में असफल रहे लेकिन उन्होंने बेसमेंट में पानी की समस्या का हल करने और इसे हॉस्पिटल के लिए दोबारा उपयोगी बनाने की कार्ययोजना बताई। इसे पूरा करने की जिम्मेदारी इंदौर विकास प्राधिकरण मतलब आईडीए को सौंपी गई, जिस पर अभी काम चल रहा है।आईडीए की टीम ने पहले पानी रोकने की भरपूर कोशिश की। जब बात नहीं बनी, तब दूसरी योजना बनाई गई। पहले पता चला कि परिसर में एक कुआं है, जिसे ढंक दिया गया । और उस पर शौचालय बनाया गया है। यह करीब 40 साल पुराना है और भीतर से उसकी दीवारें भी कमजोर हो चुकी हैं।

एंडोस्कोपी जांच जल्द की जाए, मरीजों को परेशानी से बचाएं : मालसिंह

प्रदेश के सबसे बड़े एमवाय अस्पताल के साथ ही रॉबर्ट नर्सिंग होम का संभागायुक्त मालसिंह ने निरीक्षण करते हुए इंडोस्कोपी जांच जल्द करने के निर्देश दिए ताकि मरीजों को परेशान नहीं होना पड़े।संभागायुक्त मालसिंह ने एमवाय अस्पताल तथा रॉबर्ट नर्सिंग होम का औचक निरीक्षण किया। एमवाय अस्पताल निरीक्षण में दौरान एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित तथा एमवाय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. पीएस ठाकुर भी मौजूद थे।मालसिंह ने अचानक पहुंचकर एंडोस्कोपी जांच सेंटर, मेडिसिन विभाग के वार्ड 21,22 एवं 23 तथा ब्लड बैंक का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने चिकित्सा व्यवस्था के साथ साफ-सफाई, बेड की व्यवस्थाएं भी देखीं।

वार्ड में मरीज के साथ अटेंडर रहे

वार्ड में मरीज के साथ एक ही अटेंडर रहे। बगैर काम का व्यक्ति फालतू इधर-उधर नहीं घूमे, मरीजों के पास भीड़ नहीं रहे। उन्होंने ब्लड बैंक का निरीक्षण भी किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने ब्लड वितरण व्यवस्थाएं देखीं। उन्होंने कहा रक्तदान के संबंध में जागरूक करने संबंधी जानकारी प्रदर्शित करें। लोगों की भ्रांतियों को दूर करने संबंधी जानकारी भी लगाई जाए। डिस्प्ले बोर्ड के माध्यम से ब्लड की उपलब्धता, वितरण की जानकारी भी प्रदर्शित की जाए।

रॉबर्ट नर्सिंग होम का निरीक्षण

संभागायुक्त मालसिंह ने रॉबर्ट नर्सिंग होम का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने नर्सिंग होम की ओपीडी, वार्ड का निरीक्षण किया। उन्होंने मरीजों से चर्चा कर अस्पताल में उपलब्ध चिकित्सा तथा अन्य सुविधाओं, साफ-सफाई के बारे में जानकारी ली। उन्होंने ओपीडी निरीक्षण के दौरान चिकित्सकों तथा आने वाले मरीजों के संबंध में भी जानकारी ली। अस्पताल में साफ-सफाई से संतुष्ट दिखे।