स्वतंत्र समय, बरेली
बारना बांध उसकी सेकडो कि.मी. फैली नहरे क्षैत्र के किसानों के लिए मुख्य सिंचाई का साधन बनी हुई है। पूर्व के वर्षो में नहरों को पक्का करने सहित अन्य कार्यो पर कई सौ करोड रू. की राशि खर्च की गई। इसके बाद भी सर्वाधिक बायी मुख्य नहर और उससे जुडी नहरों उप नहरों की स्थिति क्षतिग्रस्त अत्याधिक खस्ता हाल बनी हुई है। नहरों की साफ सफाई मरम्मत की लगातार मांग उठती और अखबारों की सुर्खिया बनने के बाद भी बारना परियोजना के जिम्मेदार उदासीन रहे और कचरा, झाडियों, मिट्टी से भरी क्षतिग्रस्त नहरों में पानी छोडऩे से अवरोध की स्थिति बन रही है।
1975 में बाड़ी स्थित बारना बांध का निर्माण पूर्ण होने के साथ बक्तरा, बाड़ी, बरेली क्षैत्र में नहरों में पानी छोड़ कर किसानों को सिंचाइ सुविधा उपलब्ध कराई गई। बांध से निकली दो मुख्य नहरों से लगभग एक लाख एकड में सिंचाई सुविधा मिलती है। दायी नहर बाड़ी तहसील के ग्रामों के साथ बक्तरा शाहगंज तक के ग्रामों तक पानी ले जाती है। बायी मुख्य नहर बाड़ी तहसील के दर्जनों ग्रामों के साथ संपूर्ण बरेली तहसील के साथ उदयपुरा तक सिंचाई होती है। बारना बांध से मिली सिंचाई सुविधा के कारण संपूर्ण क्षैत्र में बासमती धान का लाखो कु. उत्पादन हो रही है। इसी प्रकार लाखो कु. गेंहू का उत्पादन कर अधिकांश गेंहू किसानों द्वारा समर्थन मूल्य पर बैंचा तौला जाता है।
मुख्य नहर क्षतिग्रस्त
दायी मुख्य नहर जो बक्तरा को जाती हैद्व अधिकांश नहर कटिंग में है। जबकि बायी मुख्य नहर बाड़ी से भौडिया तक जमीन से 15-20 फिट तक उंची है। बायी मुख्य नहर पर 8-10 स्थानों पर नहर पुल भी बने हुए, जिससे नदी नालों का पानी नहर के बीच से बहता रहे। करोडो खर्च फिर नहर क्षतिग्रस्त – पिछले वर्षो में बायी मुख्य नहर को ऊंचा चौडा और पक्की करने सहित अन्य कार्यो पर करोडो की राशि खर्च की गई। भारी भरकम राशि खर्च होने के बाद मुख्य नहर, नहरों, उप नहरों से पानी का रिसाव बंद नहीं हुआ, कारण विभिन्न कार्यो में जमकर आर्थिक अनिमित्ताए हुई। जिम्मेदार अधिकारी भोपाल बाड़ी में बैठ कर चल रहे निर्माण कार्यो की अनदेखी करते रहे। अन्यथा जिस प्रकार बायी मुख्य नहर स्थान स्थान पर क्षतिग्रस्त हो रही है। ऐसी स्थिति नहीं बनती इसी के साथ अनेक नहरों, उप नहरे भी क्षतिग्रस्त होकर जर्जर हो रही है। इस अवस्था में यदि अधिक मात्रा में पानी छोडा जाता है। तो नहर टूटने की संभावना रहती है। नहरों में झाडिया उगी है, घास, कचरा, मिट्टी, रेत भरी है। जिसकी सफाई न होने से पानी की गति अत्याधिक धीमी रहने से टेल क्षैत्र के खेतो ग्रामों तक लगभग एक माह में पानी पहुंच पाता है।