स्वतंत्र समय, बरेली
दीपावली का त्योहार निकट आ रहा है। नगर एवं क्षेत्र की होटलों में विभिन्न प्रकार की मिठाईयों की बिक्री और खपत होती है। मिठाईयों के निर्माण में मिलावटी मावा, खतरनाक रंगों और सुस्ती शक्कर की अधिकता वाली विभिन्न मिठाईयों को महंगें दामों पर बेचने दुकानदार सक्रिय हो गए है। लोकल में बनने वाली खुले में बिकने वाली मिठाईयां, विभिन्न प्रकार के नमकीन में निर्माण और अंतिम तिथि अंकित न कर धड़ल्ले से बेचने का सिलसिला बना हुआ है। खाद्य एवं औषधी विभाग के जिम्मेदारों द्वारा वर्ष में एक-दो बार दुकानों पर पहुंच कर सेम्पल लेने की औपचारिकता निभाई जाती है। कुछ ऐसा ही नजारा दीपावली पूर्व होने की संभावना है।
शक्कर सस्ती, मंहगी मिठाईयां
मावा-दूध से बनी मिठाईयों में शक्कर की मात्रा अधिक रहती है। 40-45 रुपए किलो बिकने वाली शक्कर को ढाई तीन सौ रुपए किलो वाले मावा में मिलाकर मंहगे दामों पर बेचना, जिन डब्बों में मिठाई दी जाती है उसका बजन भी मिठाई में जुड़ जाता है।
मिलावटी मावा
अधिकांश दुकानदारों द्वारा मिठाईयां खुले रूप में विक्रय की जाती है। जलेबी, पोहा, गुलाब जामुन सहित अन्य मिठाईयां, चाउमीन, चाट, पकौड़ी इत्यादि में साफ-सफाई सुरक्षा का ध्यान न रखने से मख्खी-मच्छर आसपास बने रहते है।मिलावटी मावा- घटिया तेल दुकानदारों द्वारा अधिक लाभ के लिए मिलावटी मावा से मिठाईयों का निर्माण व्यापक स्तर पर किया जाता है। कम भाव वाली शक्कर अधिक मिलाने के साथ सूजी, मैदा का भी उपयोग किया जाता है। इसी प्रकार नमकीन के निर्माण में चना दाल के बेसन के स्थान पर कम कीमत वाली दालों से बने बेसन और सोयाबीन तेल के स्थान पाम ऑयल, व्हाइट ऑयल का भी नमकीन निर्माण में व्यापक उपयोग किए जाने की स्थिति रहती है। खाद्य एवं औषधी विभाग के जिम्मेदारों की उदासीनता या मिलीभगत मिठाई, नमकीन उपयोग करने वालों पर कभी भी भारी पड़ सकती है।